गलत दिशा में जांच, आपको डिक्शनरी की जरूरत- प्रोफेसर अली के FB पोस्ट की जांच करने वाली SIT से बोला SC देश By Nayan Datt On Jul 16, 2025 सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कमेंट करने के आरोप में गिरफ्तार अशोका यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर मोहम्मद अमिर अहमद उर्फ अली खान महमूदाबाद के मामले में हरियाणा एसआईटी की जांच पर सवाल उठाया और कहा कि यह गलत दिशा में जा रही है. यह भी पढ़ें डोनाल्ड ट्रंप में चाचा चौधरी जैसे गुण… मनोज झा ने कहा-… Jul 30, 2025 कहां से लाते हैं ऐसे लेखक… जब सिंदूर ही उजड़ गया फिर ऑपरेशन… Jul 30, 2025 जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने एक सीनियर पुलिस अधिकारी की अगुवाई वाली हरियाणा एसआईटी से कहा कि वह प्रोफसर महमूदाबाद के खिलाफ उनके विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर दर्ज 2 एफआईआर तक ही सीमित रहे. साथ ही कोर्ट ने एसआईटी से यह सवाल भी किया कि प्रोफेसर के पोस्ट की जांच गलत दिशा में क्यों है? 4 हफ्ते में रिपोर्ट पेश करे SIT: SC सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी से यह भी कहा आपको उसकी जरूरत नहीं है, आपको एक डिक्शनरी की जरूरत है. कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि एसआईटी यह देखे कि क्या कोई अपराध हुआ है. साथ ही एसआईटी टीम को 4 हफ्तों में रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है. बेंच ने फटकार लगाते हुए कहा कि एसआईटी के लिए महमूदाबाद के मोबाइल फोन सहित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जांच के वास्ते जब्त करने की कोई वजह नहीं थी. कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि महमूदाबाद एसआईटी जांच में सहयोग कर रहे थे, इसलिए उन्हें दोबारा तलब करने की कोई जरूरत नहीं थी. महमूदाबाद को दी गई गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा जारी रहेगी. प्रोफेसर को मिली जमानत की शर्तों में ढील शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान 21 मई को प्रोफेसर महमूदाबाद की जमानत की शर्तों में भी ढील दे दी. अब उन्हें कोर्ट में विचाराधीन मामले को छोड़कर, पोस्ट करने, लेख लिखने और अपनी कोई भी राय व्यक्त करने की अनुमति दी. इससे पहले हरियाणा पुलिस ने ऑपरेशन सिंदूर पर प्रोफेसर महमूदाबाद के पोस्ट को लेकर एफआईआर दर्ज होने के बाद उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया था. उन पर यह आरोप लगाया गया था कि उनकी पोस्ट ने देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डाला. सोनीपत में अली के खिलाफ 2 FIR दर्ज पोस्ट के बाद सोनीपत जिले में राई पुलिस ने उनके खिलाफ 2 एफआईआर दर्ज की थी. एक हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया की शिकायत के आधार पर और दूसरी एक ग्राम सरपंच की शिकायत पर दर्ज की गई थी. इसके बाद महमूदाबाद को हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया. फिर प्रोफेसर महमूदाबाद ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट की ओर रूख किया और एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए याचिका लगाई. 19 मई को जब इस मामले की पहली सुनवाई हुई थी, तो कोर्ट ने पुलिस की ओर से दर्ज की गई एफआईआर पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन प्रोफेसर को अंतरिम जमानत पर जेल से रिहा कर दिया था. साथ ही कोर्ट ने मामले की जांच के लिए हरियाणा पुलिस की जगह एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन किया था. तब कोर्ट ने प्रोफेसर की ओर से किए पोस्ट में इस्तेमाल भाषा पर कड़ी आपत्ति जताई थी और कहा कि इसके दोहरे अर्थ हो सकते हैं. Share