छांगुर बाबा की ‘स्पेशल 50 टास्क फोर्स’ की कहानी, अवैध धर्मांतरण का CODE हुआ DECODE उत्तरप्रदेश By Nayan Datt On Jul 12, 2025 उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में अवैध धर्मांतरण रैकेट के सरगना जमालुद्दीन उर्फ की कहानी किसी माफिया डॉन की स्क्रिप्ट से कम नहीं है. एक समय सड़कों पर अंगूठी और नग बेचने वाला यह शख्स न केवल 100 करोड़ की संपत्ति का मालिक बन गया, बल्कि उसने अपने काले साम्राज्य को संचालित करने के लिए 50 युवकों की एक विशेष टास्क फोर्स भी तैयार की थी. यह ‘स्पेशल 50 टास्क फोर्स’ छांगुर बाबा के इशारों पर काम करती थी. यूपी एटीएस अब इसकी जांच में जुटी है. यह भी पढ़ें होटल के बंद कमरे में कर रही थी रोमांस, तभी बच्चों के साथ आ… Jul 12, 2025 लखनऊ: 15 करोड़ का कर्ज, बेटी को डायबिटीज और रिटायर्ड दारोगा… Jul 12, 2025 बलरामपुर के मधपुर गांव में छांगुर बाबा की आलीशान कोठी किसी किले से कम नहीं थी. तीन बीघे में फैली इस कोठी में 40 से 70 कमरे, सीसीटीवी निगरानी, प्राइवेट पावर प्लांट, सोलर पैनल, और विदेशी नस्ल के घोड़ों, कुत्तों और जर्सी गायों के लिए मार्बल से सजा ‘वीआईपी’ अस्तबल तक मौजूद था. यही वह जगह थी, जहां छांगुर बाबा अपनी ‘स्पेशल 50 टास्क फोर्स’ को रखता था. इन युवकों के लिए कोठी में अलग-अलग कमरे, खाना-पीना, कपड़े और हर जरूरत की चीजें बाबा द्वारा मुहैया कराई जाती थीं. यह कोठी छांगुर बाबा के काले साम्राज्य का मुख्य अड्डा थी, जहां वह धर्मांतरण का नेटवर्क संचालित करता था. जांच में पता चला कि कोठी का एक हिस्सा सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाया गया था, जिसे प्रशासन ने 8-9 बुलडोजरों की मदद से तीन दिन तक चले अभियान में जमींदोज कर दिया. ‘स्पेशल 50 टास्क फोर्स’ बाबा के ‘आध्यात्मिक सैनिक’छांगुर बाबा ने करीब 50 युवकों की एक विशेष फोर्स तैयार की थी, जो उसके हर हुक्म को बिना सवाल उठाए मानती थी. ये युवक बाबा के इशारे पर धर्मांतरण की गतिविधियों में शामिल थे. सूत्रों के मुताबिक, इन युवकों को कोठी में ही ब्रेनवॉश किया जाता था. उन्हें बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती थी, जिसमें बाबा का हर आदेश अंतिम फरमान माना जाता था, चाहे वह कानूनी हो या गैरकानूनी. बाबा खुद को धर्मगुरु और सूफी संत के रूप में पेश करता था, और इन युवकों को अपने ‘आध्यात्मिक सेवक’ बताकर अपने पास रखता था. जांच एजेंसियों के मुताबिक, इन युवकों का उपयोग न केवल धर्मांतरण के लिए किया जाता था, बल्कि स्थानीय स्तर पर भय और दबाव बनाने के लिए भी किया जाता था. कुछ मामलों में, इनका इस्तेमाल हिंसा फैलाने और लोगों को धमकाने में भी हुआ. सूत्रों का दावा है कि इनमें से कुछ युवक अन्य राज्यों से लाए गए थे, जिन्हें कोठी में रखकर मानसिक और वैचारिक रूप से तैयार किया जाता था. धर्मांतरण का ‘रेट कार्ड’ और प्रेमजाल छांगुर बाबा का नेटवर्क संगठित और खतरनाक था. जांच में खुलासा हुआ कि उसने धर्मांतरण के लिए जाति के आधार पर ‘रेट लिस्ट’ तैयार की थी, ब्राह्मण, क्षत्रिय या सिख लड़कियों के लिए 15-16 लाख रुपये, पिछड़ी जातियों के लिए 10-12 लाख रुपये, और अन्य जातियों के लिए 8-10 लाख रुपये. गरीब और असहाय लोगों को धन, नौकरी या शादी का लालच देकर या धमकियों के जरिए धर्मांतरण के लिए मजबूर किया जाता था. बाबा का नेटवर्क राजस्थान, लखनऊ, बलरामपुर और पुणे तक फैला था, और उसने हज़ारो लोगों का धर्म परिवर्तन कराया था. विदेशी फंडिंग और अंतरराष्ट्रीय साजिश की आशंका एटीएस की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि छांगुर बाबा और उसके सहयोगियों ने 40 से अधिक बैंक खातों में 100 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन किया, जिसमें खाड़ी देशों से विदेशी फंडिंग शामिल थी. बाबा ने 40-50 बार इस्लामिक देशों की यात्राएं की थीं, जिससे उसके अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की पुष्टि होती है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अब मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के पहलुओं की जांच कर रहा है, जबकि एनआईए भी टेरर फंडिंग के मामले में पूछताछ की तैयारी में है. अवैध धर्मांतरण का CODE हुआ DECODE छांगुर अपने साथियों से बातचीत में कोडवर्ड का प्रयोग करता था. जैसे-लड़कियां थीं ‘प्रोजेक्ट’ और ‘मिट्टी पलटना’ था मतांतरण.काजल करने का अर्थ था मानसिक रूप से प्रभावित करना था.दर्शन का मतलब बाबा से मिलवाना था.निकाह और शादी का वादा करने के बाद मतांतरण को नया जीवन शुरू करने की शर्त बताई जाती थी.कुछ युवाओं को कथित तौर पर इस्लामी शिक्षण संस्थानों में मुफ्त पढ़ाई और विदेश में काम का प्रलोभन भी दिया गया. Share