ChatGPT का इस्तेमाल करने वाले सावधान रहें। बेहद ही हैरानीजनक खुलासा हुआ है। ChatGPT और अन्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स की बढ़ती उपयोगिता को लेकर अब एक नया सवाल उठ रहा है। इनका अत्यधिक उपयोग बच्चों के दिमागी विकास पर प्रतिकूल असर डाल सकता है? पिछले कुछ सालों में AI की तकनीकों के उपयोग के बारे में कई बहसें हो चुकी हैं, लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन ने इस पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। ChatGPT के लॉन्च होने के लगभग तीन साल बाद, सीखने पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तकनीकों के प्रभाव के बारे में व्यापक बहस हुई है।
हैरानीजनक खुलासा
MIT (मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक अध्ययन किया, जिसमें यह पाया गया कि जब विद्यार्थी ChatGPT जैसी AI तकनीकों का उपयोग करते हैं तो उनके सोचने और समस्या सुलझाने के कौशल में गिरावट आ सकती है। अध्ययन के परिणामों से पता चला कि जो लोग AI का उपयोग करते थे, उनके लेखों में ज्यादा बोधात्मक संलिप्तता नहीं थी और उन्हें अपने लेखों से संदर्भ याद करने में भी मुश्किलें आईं। शोधकर्ताओं का कहना है कि एआई की लंबी अवधि तक इस्तेमाल करने से विद्यार्थियों के दिमागी विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि एआई टूल्स का उपयोग विद्यार्थियों को जल्दी समाधान तक पहुंचने में मदद कर सकता है, लेकिन इससे उनके भीतर तर्कसंगत सोच और समस्या हल करने की क्षमता विकसित नहीं हो पाती। इससे विद्यार्थी अपने दिमाग का इस्तेमाल करने से बचने लगते हैं।
एआई की स्थिति को समझने के लिए हम इतिहास में वापस जा सकते हैं, जब पहली बार कैलकुलेटर का उपयोग शुरू हुआ था। उस समय शिक्षा प्रणाली ने इसे स्वीकार किया, लेकिन इसके प्रभाव को नियंत्रित किया और विद्यार्थियों से यह उम्मीद की गई कि वे अपने मानसिक प्रयासों को जटिल समस्याओं पर लगाएं। इससे छात्रों को कठिन प्रश्नों के हल के लिए अपनी मानसिक क्षमताओं का सही तरीके से उपयोग करना सिखाया गया था। लेकिन आज की शिक्षा प्रणाली में एआई के प्रभाव को सही तरीके से समायोजित नहीं किया गया है। इस वजह से यह छात्रों के लिए हानिकारक हो सकता है, क्योंकि वे सीखने की प्रक्रिया में अपने दिमाग का उपयोग कम कर सकते हैं और केवल AI पर निर्भर रहने लग सकते हैं। यह साफ है कि AI को शिक्षा प्रणाली में प्रभावी तरीके से उपयोग करने की आवश्यकता है। शिक्षकों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि AI का सहारा लेने से विद्यार्थियों की सोचने की क्षमता और मानसिक प्रयासों पर असर न पड़े।