मुस्लिम युवक ने की हिंदू लड़की से शादी, सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया वो सरकारों के लिए है सबक उत्तराखंड By Nayan Datt On Jun 12, 2025 एक मुस्लिम युवक और हिंदू लड़की की शादी पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला सुनाया है जो निचली अदालतों के लिए ही नहीं सरकारों के लिए भी सबक है. सर्वोच्च अदालत ने साफतौर पर कहा है कि जब अलग-अलग धर्मों के दो वयस्क सहमति से एक साथ रहने का फैसला लेते हैं तो राज्य सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती. क्या है पूरा मामला और क्यों सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी की, आइए जानते हैं. यह भी पढ़ें चमोली में शुरू होने से पहले ही गिर गया पुल, ठेकेदार के खिलाफ… Jun 6, 2025 भारी बारिश और बर्फबारी के बावजूद नहीं थमी भक्तों की आस्था,… Jun 4, 2025 उत्तराखंड में एक मुस्लिम शख्स ने हिंदू लड़की से शादी की थी. विवाह उनके परिवारों की अनुमति से सम्पन्न हुआ था. मुस्लिम व्यक्ति ने शादी के एक दिन बाद एक हलफनामा भी दाखिल किया था, जिसमें उसने कहा था कि वह अपनी पत्नी को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर नहीं करेगा और वह अपने धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र है. कुछ संगठनों का रास नहीं आई शादी कुछ संगठनों को युवक का फैसला रास नहीं आया और पुलिस में उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी गई. इसके बाद उसकी गिरफ्तारी हुई और उसे जेल भी जाना पड़ा. शख्स को उत्तराखंड धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम, 2018 और भारतीय न्याय संहिता, 2023 के प्रावधानों के तहत अपनी धार्मिक पहचान छिपाने और हिंदू रीति-रिवाजों के तहत महिला से धोखे से शादी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. 6 महीने जेल में गुजारने के बाद भी उत्तराखंड हाई कोर्ट से उसे राहत नहीं मिली. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. शख्स के वकील ने तर्क दिया कि केवल इसलिए शिकायत दर्ज की गई है क्योंकि शख्स ने एक ऐसी महिला से शादी रचाई जो एक अलग धर्म का पालन करती है. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया और मुस्लिम युवक के पक्ष में फैसला दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में युवक को राहत देने के साथ राज्य सरकारों को नसीहत भी दी. मुस्लिम व्यक्ति को जमानत देते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा, राज्य को अपीलकर्ता और उसकी पत्नी के एक साथ रहने पर कोई आपत्ति नहीं हो सकती, क्योंकि उनकी शादी उनके माता-पिता और परिवारों की इच्छा के अनुसार हुई है. कोर्ट ने ये भी कहा कि जब अलग-अलग धर्मों के दो वयस्क सहमति से एक साथ रहने का निर्णय लेते हैं तो राज्य सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती. MP हाई कोर्ट ने भी एक कपल के खिलाफ दिया था फैसला ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश में भी सामने आया था. 31 मई 2024 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इसपर फैसला सुनाया था. न्यायालय ने एक कपल को पुलिस सुरक्षा देने से इनकार करते हुए कहा कि मुस्लिम पुरुष और हिंदू महिला के बीच विवाह मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत वैध नहीं है, भले ही वह विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत हो. सफी खान और सारिका सेन ने अदालत से कहा कि वे विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करना चाहते हैं, जो दूल्हा और दुल्हन की आस्था या धर्म से परे विवाह की अनुमति देता है, लेकिन अपने परिवार की धमकियों के कारण ऐसा नहीं कर सकते. उन्होंने विवाह रजिस्ट्रार के समक्ष सुरक्षा की मांग की. सरकारें भी रही हैं खिलाफ जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार है वो ऐसी शादियों के खिलाफ रही है. वे हिंदू लड़की की मुस्लिम युवक से शादी पर आपत्तियां जा चुकी हैं. वे इसे लव जिहाद के तहत देखती हैं. बाकायदा बीजेपी शासित कई राज्यों में इसके खिलाफ कानून भी लाया गया. बीजेपी का कहना है कि हिंदू महिलाओं को दूसरे धर्मों के पुरुषों के साथ भागकर शादी करने का झांसा देने के कई मामले सामने आ चुके हैं. महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि ये प्रेम नहीं है, बल्कि एक सोची समझी साजिश है और ये लव जिहाद है. ये हमारे धर्म की महिलाओं को धोखा देने और उन्हें बिगाड़ने का एक मौका है. Share