BlinkIt, Zepto से पता चलेगा देश की महंगाई का हाल, सरकार ने बनाया ये प्लान व्यापार By Nayan Datt On Jun 9, 2025 भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जब अपनी मौद्रिक नीति या यूं कहें कि रेपो रेट की दरें तय करता है, तो उसके लिए कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के कैलकुलेशन को बेस बनाता है. भारत में रिटेल महंगाई नापने के लिए सीपीआई का इस्तेमाल होता है. अब सरकार ने इसी सीपीआई में ब्लिंकइट, जेप्टो और बिगबास्केट जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर मौजूद सामान की कीमतों को शामिल करने का प्लान बनाया है. यह भी पढ़ें Dominos और Pizza Hut को टक्कर देने आ रहा है अमेरिका का… Jun 8, 2025 इन 4 दिग्गज देशों ने भारत के लिए खोले ऑयल टैंकर, मई में आए… Jun 6, 2025 मौजूदा समय में सीपीआई के तहत ग्रॉसरी से लेकर टेलीफोन के बिल, पेट्रोल-गैस की कीमत इत्यादि को मिलाकर एक प्रोडक्ट बास्केट तैयार की जाती है और फिर अलग-अलग मार्केट में उस बास्केट की कॉस्ट के आधार पर इंडेक्स बनाकर महंगाई का कैलकुलेशन होता है. लेकिन देश में कंज्यूमर के खरीदारी के बदलते पैटर्न को देखते हुए सरकार ने सीपीआई में बदलाव की योजना बनाई है. 12 शहरों से कलेक्ट होगा डेटा सरकार के प्लान के मुताबिक ऑनलाइन खरीदारी का डेटा देश के 12 ऐसे शहरों से जुटाया जाएगा, जहां 25 लाख से ज्यादा की आबादी है. इन शहरों में लोगों के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स से खरीदारी करने, उन प्लेटफॉर्म्स पर सब्जी-फलों से लेकर ग्रॉसरी के सामान की प्राइसिंग तक का डेटा सरकार जुटाएगी. इसके आधार पर फिर कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स बनाया जाएगा. इससे सरकार को शहरों में और ग्राम स्तर पर महंगाई के आकलन की सुविधा मिलेगी. वहीं ये देश में कंज्यूमर बिहेवियर में आ रहे बदलाव को भी समझने का मौका देगा. सरकार इस नए पैटर्न पर बेस्ड सीपीआई डेटा को 2026 से जारी करना शुरू कर सकती है. कैसे कलेक्ट होगा ऑनलाइन डेटा? शहरों से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का डेटा कलेक्ट करने के लिए सरकार उस शहर के लीडिंग ऑनलाइन सेलर को सिलेक्ट करेगी और फिर उससे कीमतों का डेटा जुटाएगी. ईटी की खबर के मुताबिक सरकार चाहे तो लखनऊ जैसे शहर से चावलों की कीमत के लिए बिग बास्केट को चुन सकती है, तो वहीं बेंगलुरू में ये जेप्टो या अमेजन हो सकता है. अभी सीपीआई के लिए सरकार 1,181 ग्रामीण और 1,114 शहरी मार्केट से डेटा जुटाती है. नए पैटर्न में बदलाव के बाद देश में टोटल 2900 मार्केट से कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के लिए रिटेल कीमत का डेटा जुटाया जाएगा. इतना ही नहीं नए सीपीआई में मोबाइल, इंटरनेट, केबल टीवी जैसे रिचार्ज के डेटा के साथ ओटीटी प्लेटफॉर्म, हवाई और रेल यात्रा के किराये को भी शामिल किया जा सकता है. वहीं सीपीआई के बेस ईयर भी 2012 से बदलकर 2024 करने का प्लान है. Share