रवि प्रदोष व्रत का इस विधि से करें पारण, जीवन में बनी रहेगी खुशहाली! धार्मिक By Nayan Datt On Jun 8, 2025 हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है, और जब यह रविवार के दिन पड़ता है तो इसे “रवि प्रदोष व्रत” कहा जाता है. रवि प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ सूर्य देव की भी पूजा की जाती है. इन दोनों देवों की संयुक्त कृपा से भक्तों को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं. यह व्रत व्यक्ति को समाज में नाम, यश और सम्मान दिलाता है. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और व्यक्ति प्रभावशाली व्यक्तित्व का धनी बनता है. रवि प्रदोष व्रत में शाम के समय, जिसे “प्रदोष काल” कहा जाता है, भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. इसमें शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित किया जाता है और “ॐ नमः शिवाय” जैसे मंत्रों का जाप किया जाता है. अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाता है. यह भी पढ़ें क्यों मनाई जाती है बकरीद? बकरी नहीं सबसे पहले दी गई थी इस… Jun 6, 2025 निर्जला एकादशी को क्यों कहा जाता है पांडव एकादशी ? जानें… Jun 5, 2025 प्रदोष व्रत पारण विधि पंचांग के अनुसार, जिन महिलाओं ने रवि प्रदोष व्रत रखा है वे 9 जून को सुबह जल्दी उठकर विधि-विधान से पूजा करके व्रत का पारण कर सकती है. पारण वाले दिन (9 जून 2025) सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घर के पूजा स्थल और स्वयं को शुद्ध करें और भगवान शिव की दोबारा पूजा करें. स्नान के बाद भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की दोबारा पूजा करें. शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, फूल, चंदन, अक्षत आदि अर्पित करें और धूप और दीप जलाएं. व्रत सफलतापूर्वक संपन्न होने के लिए भगवान शिव का धन्यवाद करें और ॐ नमः शिवाय मंत्र का यथासंभव जाप करें. भगवान शिव को भोग लगाएं. आप मीठे चावल, खीर, या कोई अन्य सात्विक मिठाई अर्पित कर सकते हैं. कुछ लोग सिंगाड़े की लपसी का भोग लगाना भी शुभ मानते हैं. पारण के दिन करें दान-पुण्य पारण करने से पहले अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान अवश्य करें. किसी गरीब, ब्राह्मण या जरूरतमंद को अन्न (चावल, गेहूं, दाल आदि) दान करें. वस्त्रों का दान भी बहुत पुण्यकारी माना जाता है. रवि प्रदोष व्रत पर जल का दान विशेष रूप से फलदायी होता है. प्याऊ लगवा सकते हैं या किसी को पानी पिला सकते हैं. मंदिर में या गरीबों को फल और मिठाई दान करें. दान के साथ थोड़ी दक्षिणा भी दें. दान करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है और भगवान शिव व सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है. इससे जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है. पारण में खा सकते हैं ये चीजें दान-पुण्य के बाद, भगवान का प्रसाद ग्रहण करके व्रत का पारण करें. व्रत का पारण हमेशा सात्विक भोजन से करें. सबसे पहले थोड़ा जल ग्रहण करें. उसके बाद, उबले हुए चावल या चावल से बनी कोई सात्विक चीज (जैसे खीर) खाकर व्रत खोलना शुभ माना जाता है. आप दाल रहित दलिया, उबली हुई सब्जियां (बिना प्याज-लहसुन), फल या दूध से बनी चीजें भी खा सकते हैं. सामान्य नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग कर सकते हैं. पारण के बाद भी अपने मन को शांत और सकारात्मक रखें. भगवान शिव का स्मरण करते रहें और उनके आशीर्वाद के लिए आभारी रहें. दूसरों के प्रति दया और प्रेम का भाव रखें. रवि प्रदोष व्रत का महत्व रवि प्रदोष व्रत का विधि-विधान से पारण करने पर भगवान शिव और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. सूर्य देव को आरोग्य, तेज और यश का कारक माना जाता है. इस व्रत को करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य उत्तम रहता है, और व्यक्ति रोगों से मुक्त होता है. यह दीर्घायु का आशीर्वाद भी देता है. रवि प्रदोष व्रत को पितृ दोष निवारण के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा और पितरों के निमित्त कुछ कर्म करने से पितरों को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. Share