आज के समय में कभी-कभी लोगों को यह समझना थोड़ा कठिन हो जाता है कि हमारे बुजुर्ग हमें क्या बताते हैं, खासकर तब जब हम उन्हें केवल एक पुरानी परंपरा या विश्वास के रूप में देखते हैं, लेकिन जब हम इन्हें गहराई से समझते हैं तो हमें पता चलता है कि इन बातों के पीछे कुछ खास कारण और तर्क हैं. परम्पराओं या प्रथाओं में से एक यह है कि, “आटा गूंथने के बाद उस पर उंगलियों के निशान बना दिए जाते हैं.” क्या आप इसके पीछे का कारण जानते हैं? धर्मग्रंथ इस बारे में क्या कहते हैं? आइए जानते हैं.
आटा गूंथना हमारे जीवन का एक सामान्य कार्य है, लेकिन इस साधारण कार्य का भी कुछ विशेष महत्व है. विशेषकर महिलाएं दिन में कई बार आटा गूंथती हैं, जिससे रोटियां, पराठे और चपाती बनाई जाती हैं. लेकिन शास्त्रों में इसको लेकर कुछ विशेष निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि यह कार्य केवल भोजन बनाने से ही संबंधित नहीं है, बल्कि यह हमारी मानसिकता और भक्ति से भी जुड़ा हुआ माना जाता है. हिंदू धर्म में भोजन को सिर्फ आहार नहीं बल्कि एक प्रकार का प्रसाद माना जाता है और इसलिए रसोई में हर काम सावधानी से करने की सलाह दी जाती है.
आटा गूंथने के बाद क्यों बनाते हैं उंगलियों के निशान
बुजुर्गों का कहना है कि आटा गूंथने के बाद उंगलियों के निशान बनाना उचित है. यह तो बस एक प्रथा है. दरअसल इसके पीछे का कारण शास्त्रों और पुरानी मान्यताओं में छिपा है. हमारे पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है. पिंड चावल के आटे से बनाया जाता है और आकार में गोल होता है. आटा गूंथने के बाद जो गोल आकार बनता है उसे गेंद कहा जाता है. यह पूर्वजों को अर्पित किया जाने वाला प्रसाद है.
ऐसे आटे से चपाती बनाना शुभ नहीं
बुजुर्ग कहते हैं कि ऐसे आटे से चपाती बनाना शुभ नहीं माना जाता है. इसलिए आटा गूंथने के बाद उस पर उंगलियों के निशान छोड़ना जरूरी माना जाता है. ताकि यह एक ‘स्तंभ’ के रूप में प्रकट न हो. इसलिए, आटा गूंधने के बाद उंगलियों के निशान बनाना उचित होता है.
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