जम्मू कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान के बाद अब नशा तस्करों के खिलाफ लड़ाई तेज हो गई है. एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स कश्मीर ने मादक पदार्थों की तस्करी और दुरुपयोग के खिलाफ डॉग स्क्वायड की टीम तैनात की है. इसके लिए नए शामिल किए गखोजी कुत्ते ‘सफा’ को उन्नत मादक पदार्थों की पहचान करने में प्रशिक्षित किया गया है. यह प्रतिबंधित मादक पदार्थों की पहचान करने और उनका पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
जम्मू कश्मीर पुलिस के आईजी वीके बिर्दी ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि पुलिस नार्को टेस्ट और नशे की लत के खिलाफ पहले दिन से सख्त कार्रवाई करती आ रही हैं. नशा तस्करों के खिलाफ ‘नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस’ (NDPS) एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि पुलिस नार्को टेरर और ड्रग तस्करों के खिलाफ सदैव प्रतिबद्ध है.
मादक पदार्थों की समस्या खत्म करने का पहल
आईजी वीके बिर्दी ने कहा कि यह स्पष्ट होता हैं कि हर बार ऐसे तस्करों के खिलाफ NDPS एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है. उनकी संपत्ति भी जब्त की जा रही हैं, ताकि आम आदमी को जो अमन और चैन से रहना चाहता है, को ऐसा माहौल प्रदान किया जाए. डॉग स्क्वायड की टीम से हेरोइन, भांग, अफीम और अन्य प्रतिबंधित पदार्थों जैसी अवैध दवाओं की पहचान करने और उनका पता लगाने में मदद मिलेगी.
एक अन्य अधिकारी के अनुसार, इन अत्यधिक कुशल कुत्तों को चेकपॉइंट, हवाई अड्डों, सीमावर्ती क्षेत्रों और संदिग्ध मादक पदार्थों के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान प्रमुख स्थानों पर तैनात किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह पहल मादक पदार्थों की समस्या को खत्म करने और क्षेत्र में एक सुरक्षित, मादक पदार्थों से मुक्त समाज सुनिश्चित करने के लिए एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स की प्रतिबद्धता को उजागर करती है.
डाग स्क्वायड सेना-पुलिस का अभिन्न अंग
गौरतलब हैं कि इस से पहले डॉग स्क्वायड जम्मू कश्मीर में सेना, सीआरपीएफ समेत पुलिस और सभी सुरक्षा एजेंसियों का एक अभिन्न अंग बनकर आतंक विरोधी अभियानों में आगे-आगे रहती है. जम्मू कश्मीर में कुछ आतंक विरोधी अभियानों में ऐसे डॉग स्क्वायड के केनाइन (कुत्तों) ने जान भी गंवा दी है. डाग स्क्वायड में शामिल कुत्तों को कड़े प्रशिक्षण की अग्निपरीक्षा से गुजरना होता है.
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