कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर दलित-बहुजन इतिहास को दबाने का गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ महात्मा फुले को दिखावटी नमन करती है और दूसरी तरफ उनके जीवन पर आधारित फिल्म को सेंसर कर रही है.
सेंसर बोर्ड ने नहीं दिया है अप्रूवल
दरअसल हाल ही में एक फिल्म निर्माता ने दावा किया है कि महात्मा फुले के जीवन पर आधारित उनकी डॉक्यूमेंट्री को सेंसर बोर्ड द्वारा अप्रूवल नहीं दिया गया है. उनका आरोप है कि बोर्ड ने कुछ तथ्यों को ‘संवेदनशील’ बताते हुए फिल्म में बदलाव की मांग की है. फुले फिल्म अनंत महादेवन द्वारा निर्देशित है.
कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को उठाया है
कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को उठाते हुए इसे सच को दबाने की साजिश करार दिया है और कहा है कि इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की राजनीति अब खुलकर सामने आ रही है. महात्मा ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले को भारत में सामाजिक न्याय, महिला शिक्षा और जातिवादी व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई के प्रतीक माना जाता है. दलित-बहुजन आंदोलन में उनका योगदान आज भी प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है.
सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित है फिल्म
‘फुले’ फिल्म महात्मा ज्योतिराव फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने भारत में सामाजिक सुधार और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया. फिल्म में प्रतीक गांधी ज्योतिराव फुले और पत्रलेखा सावित्रीबाई फुले की भूमिकाओं में हैं. यह फिल्म 11 अप्रैल 2025 को रिलीज होने वाली थी, लेकिन नहीं हो पाई. इसके बाद से अब फिल्म को लेकर विवाद बढ़ गया है.
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