औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर महाराष्ट्र का नागपुर जल उठा. सोमवार को यहां पर हिंसा भड़क गई. दरअसल, औरंगजेब की कब्र को हटाने को लेकर प्रदर्शन हो रहा था, इसी दौरान धर्मग्रंथ जलाए जाने की अफवाह फैल गई. इस हिंसा के 59 किरदार हैं, जिसमें 8 विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के हैं.
VHP-बजरंग दल पर क्या आरोप?
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा है. पुलिस ने दोनों संगठनों के कुछ पदाधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि गणेशपेठ थाने में महाराष्ट्र और गोवा के VHP के प्रभारी सचिव गोविंद शेंडे और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.
अधिकारियों ने बताया कि इलाके में यह अफवाह फैली कि छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर VHP के आंदोलन के दौरान एक समुदाय के धर्म ग्रंथ को जला दिया गया. उन्होंने बताया कि आंदोलन के बाद प्रदर्शनकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी, जिसमें एक समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया.
गणेशपेठ थाने के एक अधिकारी ने बताया कि शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. उन्होंने बताया कि VHP और बजरंग दल के पदाधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी में अमोल ठाकरे, डॉ. महाजन, तयानी, रजत पुरी, सुशील, वृषभ अर्खेल, शुभम और मुकेश बारापात्रे के नाम भी शामिल हैं.
अब तक कुल 46 आरोपी गिरफ्तार
इस बीच मामले में FIR की एक कॉपी भी सामने आई है, जिसमें 51 आरोपियों का नाम है. अब तक कुल 46 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. सभी को 21 मार्च तक रिमांड पर भेजा गया है. छह आरोपियों को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इन आरोपियों के खिलाफ गणेश पेठ और तहसील पुलिस स्टेशन में विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं.
जिन 46 आरोपियों को नागपुर पुलिस ने अरेस्ट किया है उनमें ज्यादातर के चेहरे सीसीटीवी के जरिए पुलिस को मिले हैं. पकड़े गए आरोपियों में किसी की परचून की दुकान है तो कोई गैरेज चलाता है.
पुलिस का रूट मार्च
नागपुर के दंगा प्रभावित इलाकों में पुलिस आयुक्त के नेतृत्व में दल ने मंगलवार को रूट मार्च किया. पुलिस आयुक्त रविन्द्र सिंघल ने बताया कि पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि हिंसा कैसे शुरू हुई और कुछ लोगों ने अचानक इसे कैसे भड़काया.
सिंघल ने बताया कि किसी इलाके में तनावपूर्ण या दंगे जैसी स्थिति में लोगों के बीच सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए इस तरह के मार्च निकाले जाते हैं. उन्होंने बताया, रूट मार्च निकालने का मुख्य उद्देश्य यह समझना होता है कि कहीं हिंसा दोहराने की कोई साजिश तो नहीं रची जा रही है. रूट मार्च से क्षेत्र पर नियंत्रण सुनिश्चित होता है ताकि लोगों का विश्वास न टूटे और उन्हें पता चले कि पुलिस उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.
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