आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य हरभजन सिंह ने पंजाब सरकार की ‘युद्ध नशेयां विरुद्ध’ मुहिम को लेकर पार्टी विचारधारा से अलग बयान दिया है. भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने कहा कि कोई नशा बेचता है तो उसका घर गिरा दिया, मैं इस बात के हक में नहीं हूं.
हरभजन ने क्या कहा?
जालंधर के रहने वाले पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने कहा कि मुझे लगता है कि घर गिरा देना कोई अच्छा विकल्प नहीं है. इस पर अन्य किसी चीज पर काम किया जा सकता है. अगर कोई सरकारी जमीन पर बैठा तो फिर ऐसी कार्रवाई मान्य होती है.
हरभजन सिंह ने आगे कहा कि कोशिश ये होनी चाहिए, अगर किसी ने घर बनवा ही लिया है तो उन्हें उक्त घर में रहने देने देना चाहिए. घर तोड़ देना अच्छा विकल्प नहीं है. किसी व्यक्ति ने पता नहीं कैसे घर बनाया होगा.
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पुलिस आयुक्तों, उपायुक्तों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों (एसएसपी) को राज्य से ड्रग्स को खत्म करने के लिए तीन महीने की समयसीमा दी है. इसके अलावा सरकार ने दोषी ड्रग तस्करों और उनके परिवारों को मुफ्त बिजली और पानी सहित सरकारी सब्सिडी से वंचित करने के उपायों की घोषणा की है.
हाई कोर्ट ने जारी किया था नोटिस
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस महीने की शुरुआत में कथित ड्रग तस्करों की संपत्तियों को ध्वस्त करने के मामले में पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया था. यह नोटिस मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमित गोयल की पीठ ने पीपुल वेलफेयर सोसाइटी पंजाब द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) के जवाब में जारी किया, जिसमें पुलिस की बुलडोजर कार्रवाई को चुनौती दी गई है.
अधिवक्ता कंवर पॉल सिंह के माध्यम से दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि इस तरह की तोड़फोड़ उचित कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार करके संवैधानिक अधिकारों और कानून के शासन का उल्लंघन करती है.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि आपराधिक मामलों में आरोपों या दोषसिद्धि के आधार पर संपत्तियों को ध्वस्त नहीं जा सकता. दोष का निर्धारण करना एक न्यायिक कार्य है और उचित प्रक्रिया को दरकिनार करने वाली कोई भी कार्रवाई मौलिक कानूनी सिद्धांतों को कमजोर करती है. याचिकाकर्ता ने कहा, सरकार निष्पक्ष सुनवाई के बिना संपत्ति को ध्वस्त करके व्यक्तियों को दंडित करके न्यायाधीश और जल्लाद दोनों की भूमिका नहीं निभा सकती.
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