महाराष्ट्र में इस समय मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को लेकर बवाल मचा हुआ है. इसी बीच शिवसेना यूबीटी के मुखपत्र सामना में एक बार फिर औरंगजेब को लेकर उद्धव गुट ने बीजेपी पर निशाना साधा है. सामना में लिखा गया है कि देवेंद्र फडणवीस को शिवाजी महाराज से ज्यादा औरंगजेब महत्वपूर्ण लगता है. मुखपत्र में लिखा गया है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस राणाभीमदेवी की तरह केवल भाषण देते हैं, लेकिन वास्तव में कोई ठोस कार्रवाई नहीं करते, यह बार-बार दिख रहा है. साथ ही कहा गया, बीजेपी के पेट में नया शिवाजी पल रहा है.
पत्र में नागपुर में हुए दंगों को लेकर सवाल उठाए गए हैं. लिखा गया है, औरंगजेब की कब्र को लेकर नागपुर में दंगे भड़क उठे. पुलिस पर हमले हुए, नागपुर में आगजनी की घटनाएं हुईं. नागपुर का 300 साल का इतिहास है. इन 300 सालों में कभी दंगे नहीं हुए, तो अब यह विवाद क्यों भड़का? फडणवीस कहते हैं कि ये दंगाई बाहरी थे. बाहरी दंगाई शहर में आकर उपद्रव मचाने तक पुलिस क्या कर रही थी? गृह मंत्रालय के गुप्तचर सो रहे थे क्या? ऐसे सवाल उठ रहे हैं.
शिवसेना UBT ने बीजेपी पर साधा निशाना
शिवसेना यूबीटी ने सरकार पर आगे हमला करते हुए कहा, बीड में फिरौती और हत्याओं का सिलसिला खत्म नहीं हुआ है. परभणी में भी दंगे हुए. कोकण में होली के त्योहार पर नवहिंदुत्ववादियों ने दंगे की चिंगारी भड़काई. राज्य के मंत्री धार्मिक द्वेष बढ़ाने वाले भाषण देते हैं और गृहमंत्री हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. इसे राज्य चलाना नहीं कहते.
“छावा फिल्म के बाद विवाद”
पत्र में कहा गया है कि महाराष्ट्र में औरंगजेब का महिमामंडन कोई नहीं करेगा. यहां सिर्फ छत्रपति शिवाजी महाराज की ही जय-जयकार होगी इसलिए छावा फिल्म के प्रदर्शन के बाद से संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल जैसे संगठनों और बीजेपी के नवहिंदुत्ववादी तत्वों ने औरंगजेब की कब्र के खिलाफ राजनीतिक रौद्र रूप दिखाया और महाराष्ट्र का माहौल खराब कर दिया.
बाबरी मस्जिद का किया जिक्र
शिवसेना ने आगे हमला करते हुए कहा कि कब्र हटाने के लिए कारसेवा शुरू करने की योजना की घोषणा की गई है. वो औरंगजेब की कब्र की तुलना अयोध्या की बाबरी मस्जिद से कर रहे हैं. ये लोग कह रहे हैं कि बाबरी मस्जिद की तरह औरंगजेब की कब्र उखाड़ फेकेंगे, उसके लिए ये लोग कुदाल, फावड़ा, सब्बल, जेसीबी, बुलडोजर आदि जुटाने लगे हैं.
“यह सीधे-सीधे नौटंकी है”
पत्र में इन सब चीजों को नौटंकी कहा गया है, लिखा गया है, यह सीधे-सीधे नौटंकी है. औरंगजेब की कब्र हटाने के लिए यह तमाशा करने की जरूरत नहीं है. औरंगजेब कब्र के नीचे है और वह कभी उठकर बाहर नहीं आएगा. कब्र को फिलहाल केंद्रीय सुरक्षा बलों द्वारा सुरक्षा प्रदान है. केंद्र को तुरंत यह सुरक्षा हटवानी चाहिए और कब्र को दिए गए संरक्षित स्मारक का दर्जा वापस लेना चाहिए, जिससे यह जमीन मुक्त हो जाएगी और संघर्ष की संभावना खत्म हो जाएगी.
“फडणवीस को शिवाजी से ज्यादा औरंगजेब अहम लगता है”
पत्र में कहा गया, फडणवीस आदि लोगों को छत्रपति शिवाजी महाराज से ज्यादा औरंगजेब महत्वपूर्ण लगता है, यह अब साफ हो गया है कि छत्रपति शिवाजी महाराज का राज धर्म पर आधारित था, लेकिन सभी को साथ लेकर चलने वाला था. यह विचार बीजेपी को पहले भी मंजूर नहीं था और अब भी नहीं है. असल में छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज कभी भी संघ या बीजेपी की विचारधारा के प्रतीक नहीं रहे. अब वे सुविधानुसार जय शिवाजी, जय संभाजी कह रहे हैं.
शिवसेना यूबीटी ने आगे कहा, इन लोगों का मकसद शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज के महत्व को कम करना है. इसलिए छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज जिस खलनायक के खिलाफ लड़े और जिसे महाराष्ट्र में दफन किया, उस खलनायक औरंगजेब को पहले कब्र सहित खत्म करना है. खलनायक खत्म हुआ कि नायक छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज भी अपने आप खत्म हो जाएंगे, यही इनकी चाल है.
“बीजेपी ने नए शिवाजी को जन्म दिया “
सामना आगे कहा गया, लोकसभा में बीजेपी के ओडिशा के बारगढ़ से सांसद प्रदीप पुरोहित ने सार्वजनिक रूप से कहा, हमारे शिवाजी मोदी हैं. मोदी पिछले जन्म में छत्रपति शिवाजी थे. तो अब बीजेपी ने नए शिवाजी को जन्म दिया है और इसके लिए मूल शिवाजी को खत्म करने की उनकी योजना है फिर छत्रपति शिवाजी महाराज को खत्म करना है तो पहले औरंगजेब की कब्र को ध्वस्त करना होगा.
दंगों को लेकर पत्र में कहा गया, कुरान की प्रति कहीं मिल जाए तो सम्मान से वापस करें, ऐसा छत्रपति शिवाजी महाराज का आदेश पत्र बताता है, लेकिन नागपुर में कुरान की आयतों को जलाने की घटना हुई. राजापुर में होली की लकड़ियां मस्जिद में फेंककर दंगे कराने की कोशिश हुई. महाराष्ट्र में औरंगजेब के नाम पर आगजनी शुरू है. 400 साल पहले दफनाया गया औरंगजेब फिर से जिंदा किया गया है. क्योंकि बीजेपी के पेट में नया शिवाजी पल रहा है. छत्रपति शिवाजी महाराज, हमें माफ करें!
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