1970 के पहले का दशक याद करो, समर्पित जिलाध्यक्ष बनाओ और दिल्ली से नहीं जिलों से कांग्रेस चलाओ…कांग्रेस सांसद राहुल गांधी इस नए तेवर के साथ पार्टी के सुनहरे दिन वापस लाने में जुटे हुए हैं. इस कड़ी में मंगलवार को AICC महासचिवों और राज्य प्रभारियों की बैठक मैराथन बैठक हुई. टीवी9 भारतवर्ष ने आपको सबसे पहले बताया था कि कांग्रेस संगठन में बड़े पैमाने पर नए महासचिवों और प्रभारियों की नियुक्ति के बाद हुई मैराथन बैठक में राहुल ने जिलाध्यक्ष मजबूत तो कांग्रेस मजबूत का मंत्र दिया था. अब पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जनु खरगे और राहुल गांधी ने इस बाबत प्रभारियों और महासचिवों से सुझाव मांगे हैं.
तीन घंटे की इस बैठक के बाद तय हुआ कि कांग्रेस को अब दिल्ली केंद्रित नहीं जिला केंद्रित किया जाएगा. राहुल ने साफ कहा है कि हम जिलाध्यक्षों को पूरी ताकत देंगे लेकिन सुनिश्चित करेंगे कि वो पूरी तरह समर्पित हों. ऐसे में टिकट बंटवारे में भी जिलाध्यक्ष की भूमिका रहे. जिलाध्यक्षों की राय के आधार पर जिले, प्रदेश, देश के मुद्दे तय किए जाएं. कुल मिलाकर 1970 के पहले की तर्ज पर जिलाध्यक्षों को मजबूती तो दी जाए लेकिन उनका समर्पण और जवाबदेही की भी परख रहे.
बैठक में AICC अधिवेशन पर लंबी चर्चा हुई
आज हुई बैठक को लेकरक कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, आज बैठक में AICC अधिवेशन पर लंबी चर्चा हुई, जो 8 और 9 अप्रैल को अहमदाबाद में होने जा रहा है. 8 अप्रैल को अहमदाबाद में ही कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक होगी और 9 तारीख को AICC का अधिवेशन होगा. इसके अलावा 27 मार्च, 28 मार्च और 3 अप्रैल को दिल्ली के इसी इंदिरा गांधी भवन में देश के सभी जिला कांग्रेस कमेटी (DCC) अध्यक्षों की बैठक बुलाई गई है. ये बैठक कई सालों बाद हो रही है. मुझे लगता है कि 16 साल के बाद इस बैठक का उद्देश्य DCC को और मजबूत बनाना है.
जिलाध्यक्षों से 27-28 मार्च और 3 अप्रैल को होगा संवाद
बता दें कि करीब 750 जिलाध्यक्षों को 250-250 के तीन खेमों में बांटकर 27-28 मार्च और 3 अप्रैल को ये संवाद होगा. इसके बाद जो अंतिम रूप होगा, उसे 8 अप्रैल को अहमदाबाद में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में रखा जाएगा. फिर वहां से मंजूरी मिलने पर 9 अप्रैल को वहां अधिवेशन में पास किया जाएगा. कुल मिलाकर अब आने वाले विधानसभा चुनाव बिहार, गुजरात, असम समेत 2029 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस राहुल के इसी मंत्र के तहत संगठन को मजबूत करने की कोशिश करेगी और चुनाव भी लड़ेगी. मगर, राहुल के सामने चुनौती यही है कि 1970 के पहले जो होता था 2025 से वो फिर हो पाएगा?
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