अब NCR में बिल्डर-बैंक के गठजोड़ पर होगा जबरदस्त प्रहार, SC ने CBI से कहा- 2 सप्ताह में जांच के लिए पेश करें प्रस्ताव

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर में घर खरीदारों और निवेशकों की मेहनत की गाढ़ी कमाई ठगने वाले बिल्डरों और बैंकों के गठजोड़ की जांच करने के लिए सीबीआई को अपना प्रस्ताव पेश करने को कहा है. कोर्ट ने सीबीआई को 2 सप्ताह के भीतर यह बताने के लिए कहा है कि बिल्डरों और बैंकों के गठजोड़ की जांच कैसे की जाए. जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा करने और एक प्रस्ताव पेश करने के लिए कहा कि वो उन मुद्दों पर जांच कैसे आगे बढ़ाना चाहते हैं, जिनका उल्लेख कोर्ट के 4 मार्च 2025 के आदेश और उससे पहले किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अदालत की कानूनी सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव जैन को एमाइकस क्यूरे-न्याय मित्र नियुक्त किया है. साथ ही पीठ से जैन से एक संक्षिप्त नोट दाखिल करने का आग्रह किया कि मामले को आगे कैसे बढ़ाया जाए. जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा कि प्रस्ताव 2 सप्ताह के भीतर उसके समक्ष रखा जाए.

इससे पहले सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भाटी ने पीठ को आश्वासन दिया है कि इस तरह का प्रस्ताव 2 सप्ताह के भीतर पेश कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारा यह भी मानना ​​है कि मामले में एक न्याय मित्र की नियुक्ति की जानी चाहिए. मामले की सुनवाई शुरू होने पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि उन्होंने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के साथ-साथ सीबीआई अधिकारियों से भी चर्चा की है.

यह काम बहुत बड़ा होगा

उन्होंने कहा, अगर न्यायालय चाहे तो सीबीआई जांच का निर्देश दे सकता है. हालांकि, उसे यह ध्यान रखना चाहिए कि यह काम बहुत बड़ा होगा. भाटी ने पीठ को सुझाव दिया कि शीर्ष अदालत ग्रेटर नोएडा की 1-2 परियोजनाओं के साथ जांच शुरू करने की अनुमति दे सकता है. यही वह जगह है, जहां समस्या मूल रूप से है और हमें प्रतिनियुक्ति पर अधिकारियों की आवश्यकता हो सकती है.

इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, इसलिए हमने सोचा कि आप (सीबीआई) प्रमुख एजेंसी हैं और केवल 1-2 एजेंसियां ​​ही काम करती हैं. आपके पास एक विशेष टीम है और ये सभी मामले केवल आर्थिक अपराधों से जुड़े हैं. अगर कोई प्रथम दृष्टया मामला बनता है. उन्होंने कहा कि इसलिए सीबीआई दो सप्ताह के भीतर एक प्रस्ताव पेश करे कि गड़बड़ी को वास्तव में कैसे सुलझाया जा सकता है.

साथ ही कहा कि इसके बाद सीबीआई को जो भी सहायता की आवश्यकता है, कोर्ट उसे प्रदान कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिल्डर और बैंक के गठजोड़ की इस जांच को पायलट आधार पर संचालित किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट एनसीआर में घर खरीदारों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें कहा गया है कि बिल्डरों/डेवलपर्स द्वारा देरी के कारण उन्हें फ्लैटों का कब्जा प्राप्त किए बिना ही बैंकों द्वारा ईएमआई का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

इससे पहले पीठ ने कहा था कि कुछ रियल एस्टेट कंपनियों और बैंकों ने एनसीआर में उनके प्रोजेक्ट के लिए उन्हें ऋण स्वीकृत किया था, गरीब घर खरीदारों को फिरौती के तौर पर लिया है. न्यायालय ने बिल्डर-बैंकों के गठजोड़ की सीबीआई जांच का निर्देश देने का संकेत दिया था.

कैसे मान लें बैंक के अधिकारियों की मिलीभगत नहीं?

सुनवाई के दौरान एक बैंक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ से कहा कि कुछ पक्षों ने सद्भावनापूर्वक काम किया है और अगर कोई बिल्डर कॉर्पोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया में चला गया तो ऐसे में वित्तपोषक दोषी नहीं है. इस पर जस्टिस सूर्यकांत कहा कि बैंकों/वित्तपोषकों को इस बात के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए कि यह जानते हुए भी कि साइट पर एक ईंट भी नहीं रखी गई है, उसने लोन की आधे से अधिक धनराशि जारी कर दी.

उन्होंने कहा कि आपकी (बैंक/वित्तपोषक) गलती यह है कि यह अच्छी तरह जानते हुए भी कि साइट पर एक ईंट भी नहीं रखी गई है. आप 60 फीसदी 70 फीसदी यहां तक की 80 फीसदी रकम जारी कर रहे हैं. क्या यह बिना किसी लेन-देन के संभव है? उन्होंने कहा कि हम कैसे मान सकते हैं कि अधिकारियों के हाथ साफ हैं? पीठ ने कहा कि हम किसी भी बैंक को संदेह से मुक्त प्रमाणित नहीं करेंगे, हमने उनकी कार्यप्रणाली देखी है.

पीठ ने कहा, ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, जब हम उन्हें देख रहे हैं. हमें उनकी कार्यप्रणाली के बारे में पता है. बैंक के अधिकारी बहुत चालाकी से कहते हैं कि जहां तक ​​हमारे अधिकारियों का सवाल है, किसी को भी इसमें शामिल नहीं पाया गया है. फिर भी यह 380 करोड़ रुपये का घोटाला है और इसलिए आप एफआईआर दर्ज करते हैं. इस पर अधिवक्ता सिंघवी ने पीठ से कहा कि कब्जा दिए जाने तक की अवधि के लिए उनका मुवक्किल ब्याज नहीं लेने के लिए तैयार है.

इससे बड़े मुद्दे का समाधान नहीं होगा

इस पर पीठ ने कहा कि इससे बड़े मुद्दे का समाधान नहीं होगा. पीठ ने कहा कि यह उस बीमारी को ठीक नहीं करेगा, जिससे पूरा सिस्टम पीड़ित है. उन्होंने (बैंकों) तबाही मचा दी है. लाखों लोग परेशान हैं. सुप्रीम कोर्ट हर रोज गरीब लोगों की दुर्दशा को देख और संभाल रहा है. एचडीएफसी बैंक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने पीठ के सामने आवास उद्योग पर राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा फरवरी 2025 में जारी रिपोर्ट और सितंबर 2024 का एक दस्तावेज भी न्यायालय के संज्ञान में लाए.

उन्होंने पीठ से कहा कि सीबीआई जांच का आदेश देने से पहले अदालत को इन रिपोर्ट के आंकड़ों को देखना चाहिए. वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने पीठ से मामले की जांच सीबीआई को देने के बजाए भारतीय रिजर्व बैंक को सौंपने का आदेश देने का आग्रह किया. इस पर पीठ ने कहा कि आरबीआई के पास अपना कोई जांच दल नहीं है जो बैंकों के प्रबंधन अधिकारियों के आचरण की जांच कर सके.

सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को लगाई थी फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुपरटेक के घर खरीदारों के मामले की सुनवाई करते हुए नोएडा प्राधिकरण को कड़ी फटकार लगाई थी. अदालत ने कहा था कि प्राधिकरण को सिर्फ अपने बकाए पैसे की चिंता है लेकिन उन हजारों घर खरीदारों से कोई लेना-देना नहीं है, जो घर खरीदने के बावजूद किराए के घर में रहने को मजबूर हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी द्वारा अपीलीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के उस फैसले के खिलाफ अपील करने पर आपत्ति जताई, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी एनबीसीसी को दिवालिया रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक की 16 अधूरे आवासीय परियोजना को पूरा करने की इजाजत दी गई थी. कोर्ट ने कहा कि वह अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए एक विशेष जांच दल गठित कर सकता है.

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