वैसे तो अदालतों में रोज ही फैसले होते हैं, इनमें से कुछ फैसलों की खूब चर्चा भी होती है. बिहार की एक अदालत में एक ऐसी घटना हुई, जिसमें भले ही कोई फैसला नहीं हुआ, लेकिन यह घटना सुर्खियों में है. इस घटना को जान और सुनकर आप भी वाह-वाह कह उठेंगे. दरअसल मामला बिहार के वैशाली में आयोजित लोक अदालत में बैंक लोन संबंधी एक मामले की सुनवाई से जुड़ा है. इस मामले की सुनवाई करते हुए जज ने खुद अपनी जेब से रकम निकालकर महिला का लोन भर दिया.
इसे देखकर पहले तो लोग हैरान रह गए और फिर हर आदमी ने अपनी क्षमता के मुताबिक महिला की मदद की. जानकारी के अनुसार वैशाली जिले के पातेपुर ब्लॉक के विभूतिनगर गांव में रहने वाले सरोज कुमार चौधरी ने साल 2014 में अपनी पत्नी के नाम पर बैंक से 40 हजार रूपये का लोन लिया था. इस रकम को उन्होंने खेती के काम में लगा दिया. संयोग से खेती से उतनी आय नहीं हो पायी कि वह लोन की राशि चकुकता करें और इसी बीच उनकी आंखों की रोशनी चली गयी.
बैंक ने नहीं की कोई मदद
इसके बाद सरोज का पूरा परिवार आर्थिक संकट से घिर गया. हालात ऐसे बन गए कि सरोज के पूरे परिवार का भर पोषण ससुराल वाले करने लगे. सरोज की पत्नी अलका के मुताबिक इस संकट के बीच बैंक की किस्तें नहीं जमा हो पायीं. ऐसे में यह लोन बढ़ कर एक लाख 13 हजार रूपए हो गया. यहीं नहीं, इस रकम के लिए बैंक की ओर से बार बार नोटिस जारी होने लगे. ऐसे में अलका ने बैंक मैनेजर से मिलकर राहत की गुहार की, लेकिन उन्होंने कोई मदद नहीं की. थक हार कर अलका ने बीते 14 नवंबर को लोक अदालत की शरण ली. उस समय मामले की सुनवाई तो हुई, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला.
जज ने अपनी जेब से भर दिया लोन
हालांकि इसी लोक अदालत में बैठे जज ने सरोज की पत्नी अलका से पूरा मामला सुना और उनका दिल पसीज गया. अलका ने बताया कि आठ मार्च को जब हाजीपुर में फिर लोक अदालत लगी और वह कोर्ट पहुंची तो जज ने उन्हें देखकर बड़ी पहल की. उन्होंने खुद अपनी जेब से 10 हजार रुपये निकालकर टेबल पर रख दिया. इसके बाद कुछ और लोगों ने भी मदद की. इस प्रकार इकट्ठा हुए 13 हजार रुपये बैंक को देखकर जज ने सरोज का लोन माफ करा दिया. इस मौके पर जज ने बैंक के अधिकारियों को भी गैर जिम्मेदाराना व्यवहार पर फटकार भी लगाया.
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