स्पेस में जाने से पहले कौन से वर्कआउट करने होते हैं? इनके बारे में कितना जानते हैं आप

स्पेस में जाने के लिए शरीर को फिट और मजबूत बनाए रखना बहुत जरूरी होता है. जीरो ग्रैविटी में मसल्स और हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, इसलिए स्पेस मिशन से पहले अंतरिक्ष यात्रियों को खास तरह के वर्कआउट करने पड़ते हैं. ये एक्सरसाइज उनकी ताकत, स्टैमिना और फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ाने में मदद करती हैं, जिससे वे वहां लंबे समय तक बिना किसी परेशानी के काम कर सकें.

बहुत से लोगों के मन में ये सवाल आता है कि आखिर स्पेस में जाने से पहले अंतरिक्ष यात्रियों को कौन-कौन से वर्कआउट करने होते हैं. अगर आप भी इस सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो ये आर्टिकल आपके लिए है. यहां बताया गया है कि अंतरिक्ष यात्री स्पेस में जाने से पहले कौन से वर्कआउट करते हैं और वो उनकी सेहत के लिए जरूरी क्यों होते हैं. यहां ये भी बताया गया है कि ये अंतरिक्ष यात्रियों को लंबे समय तक बिना किसी हेल्थ प्रॉब्लम के काम करने में मदद सकते हैं.

स्पेस में जाने से पहले एस्ट्रोनॉट्स करते हैं ये वर्कआउट

कार्डियो एक्सरसाइज: अंतरिक्ष में हार्ट और लंग्स को सही से काम करने के लिए मजबूत बनाए रखना जरूरी होता है. इसलिए एस्ट्रोनॉट्स रनिंग, साइकलिंग और रोइंग जैसी कार्डियो एक्सरसाइज करते हैं. यह वर्कआउट उनके स्टैमिना को बढ़ाता है और हार्ट को हेल्दी रखता है, जिससे वे स्पेस में बेहतर तरीके से सांस ले सकें और थकान कम हो.

वेट ट्रेनिंग: जीरो ग्रैविटी में मसल्स कमजोर होने लगती हैं, इसलिए मिशन से पहले वेट ट्रेनिंग पर खास ध्यान दिया जाता है. एस्ट्रोनॉट्स डेडलिफ्ट, स्क्वाट, बेंच प्रेस और डम्बल एक्सरसाइज करते हैं, जिससे उनकी मसल्स मजबूत बनी रहें. यह वर्कआउट स्पेस में बोन लॉस और मसल्स लॉस को कम करने में मदद करता है.

कोर स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज: स्पेस में बैलेंस बनाए रखना और बॉडी को कंट्रोल करना आसान नहीं होता. इसलिए कोर स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज बहुत जरूरी होती है. प्लैंक, सिट-अप्स और मेडिसिन बॉल वर्कआउट से एस्ट्रोनॉट्स की एब्डोमिनल और बैक मसल्स मजबूत होती हैं, जिससे वे बिना किसी परेशानी के जीरो ग्रैविटी में मूव कर सकें.

फ्लेक्सिबिलिटी और स्ट्रेचिंग: स्पेस में शरीर को फुर्तीला बनाए रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि वहां मूवमेंट अलग तरह से होता है. योगा, पिलाटे और डायनेमिक स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज से बॉडी की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाई जाती है, जिससे अंतरिक्ष यात्री किसी भी पोजिशन में आसानी से काम कर सकें और चोटों का खतरा कम हो.

बैलेंस और कोऑर्डिनेशन ट्रेनिंग: स्पेस में शरीर को कंट्रोल करना मुश्किल होता है, क्योंकि वहां ग्रैविटी नहीं होती. इसलिए एस्ट्रोनॉट्स को बैलेंस और कोऑर्डिनेशन वर्कआउट करवाया जाता है. बैलेंस बोर्ड, स्टेबिलिटी बॉल और जंपिंग एक्सरसाइज से उनका बॉडी कंट्रोल बेहतर होता है, जिससे वे वहां तेजी से एडजस्ट कर सकें.

हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग: मिशन से पहले एस्ट्रोनॉट्स को HIIT वर्कआउट भी कराया जाता है, जिसमें शॉर्ट टाइम में हाई-इंटेंसिटी एक्सरसाइज करनी होती है. यह वर्कआउट उनकी हार्ट हेल्थ, मसल्स स्ट्रेंथ और स्टैमिना को बूस्ट करता है, जिससे वे कठिन परिस्थितियों में भी ज्यादा देर तक काम कर सकें.

स्पेस-लाइक कंडीशन में वर्कआउट: कुछ एक्सरसाइज जीरो ग्रैविटी जैसी स्थितियों में करवाई जाती हैं, जिससे एस्ट्रोनॉट्स को असली मिशन में कम परेशानी हो. पानी के अंदर वर्कआउट, सस्पेंशन ट्रेनिंग और जिरो ग्रैविटी सिमुलेटर में ट्रेनिंग देकर उन्हें स्पेस में काम करने के लिए तैयार किया जाता है.

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