अमेरिका की खुफिया एजेंसियां दुनिया में सबसे ताकतवर मानी जाती हैं. हाल ही में इसकी काफी चर्चा हो रही है क्योंकि अमेरिका ने अस्थाई रूप से यूक्रेन को दी जाने वाली खुफिया जानकारी पर रोक लगा दी है. यह जानकारी बीते तीन सालों से रूस-यूक्रेन युद्ध में अहम भूमिका निभा रही थी
यह अमेरिकी खुफिया तंत्र का ही नतीजा था कि पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि रूस जल्द ही यूक्रेन पर हमला करेगा, जब बाकी दुनिया को इस पर संदेह था. तो आइए जानते हैं कि आखिर अमेरिका की खुफिया एजेंसियां इस महत्वपूर्ण जानकारी को कैसे जुटाती हैं?
18 संगठनों से मिलकर बना है इंटेलिजेंस कम्युनिटी
अमेरिका की इंटेलिजेंस कम्युनिटी (IC) कई अलग-अलग सरकारी खुफिया एजेंसियों और संगठनों का एक समूह है. इनमें कुल 18 संगठन होते हैं जो सभी मिलकर और अलग-अलग काम करते हैं ताकि अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत किया जा सके. इस कम्युनिटी में एयर फोर्स इंटेलिजेंस, आर्मी इंटेलिजेंस, सीआईए, डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी, एफबीआई, नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी जैसे डिपार्टमेंट शामिल हैं. इनका मुख्य काम जरूरी जानकारी इकट्ठा करना और देश की सुरक्षा से जुड़े अहम फैसलों में मदद करना है.
1. इंटरनेट डेटा तक पहुंच
अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी (NSA) के पास इंटरनेट कंपनियों से डेटा इकट्ठा करने की क्षमता होती है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2013 में लीक की गई फाइलों से पता चला कि NSA के पास फेसबुक, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और याहू जैसी बड़ी टेक कंपनियों के सर्वर तक पहुंच थी. इस ताकत के जरिए NSA चैट लॉग्स, ईमेल, फाइल ट्रांसफर और सोशल मीडिया डेटा ट्रैक कर सकती थी.
2. फाइबर ऑप्टिक केबल्स को टैप करना
कई लीक हुए दस्तावेजों के मुताबिक अमेरिकी NSA और ब्रिटेन की GCHQ एजेंसी समुद्र के भीतर मौजूद फाइबर-ऑप्टिक केबल्स से डेटा एक्सेस करती हैं. 2013 में सामने आए दावों के अनुसार, GCHQ को 200 फाइबर-ऑप्टिक केबल्स तक पहुंच थी, जिससे हर दिन 600 मिलियन संचारों की निगरानी संभव होती थी. इसी तरह, NSA ने गूगल और याहू के डेटा सेंटर को भी टारगेट किया था, जिससे उसे मेटाडाटा, टेक्स्ट, ऑडियो और वीडियो की जानकारी मिल सकती थी.
3. फोन टैपिंग और ईव्सड्रॉपिंग
बीबीसी की एक खबर के मुताबिक 2015 में विकीलीक्स की तरफ से लीक किए डॉक्युमेंट्स से पता चलता है कि NSA ने फ्रांस के तीन राष्ट्रपति और उनके मंत्रियों के फोन कॉल्स रिकॉर्ड किए थे. इसी तरह, 2013 में स्नोडेन के दस्तावेजों से खुलासा हुआ था कि जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल का फोन एक दशक तक निगरानी में था. NSA ने दुनिया भर के नेताओं और नागरिकों की फोन कॉल्स को ट्रैक किया. खुफिया एजेंसियां मोबाइल एन्क्रिप्शन सिस्टम में कमजोरी का फायदा उठाकर संदेशों को उनके एन्क्रिप्ट होने से पहले या बाद में एक्सेस कर सकती हैं.
4. टेक्स्ट मैसेज से भी की जाती है निगरानी
2014 में रिपोर्ट आई कि NSA हर दिन लगभग 200 मिलियन टेक्स्ट मैसेज इकट्ठा करती थी. इन टेक्स्ट्स से उपयोगकर्ताओं के स्थान, संपर्कों और वित्तीय लेन-देन की जानकारी जुटाई जाती थी. यह निगरानी एक निर्धारित टार्गेट तक सीमित न होकर बड़े स्तर पर की जाती थी, हालांकि, NSA ने दावा किया कि यह डेटा कानूनी रूप से इकट्ठा किया गया था.
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