फरवरी, मार्च या अप्रैल…भूकंप का सबसे तगड़ा झटका किस महीने में लगता है?

दुनिया में तगड़ा झटका देने वाला सबसे शक्तिशाली भूकंप किस महीने आता है? यह सवाल आपके भी मन में होगा. हालिया एक रिपोर्ट ने इसको लेकर थोड़ी तस्वीर साफ की है. यह रिपोर्ट रिक्टर पैमाने पर 8 डिग्री से ज्यादा के झटके वाले भूकंप को लेकर तैयार किया गया है. दुनियाभर में 1906 से 2012 तक 8.4 से ज्यादा तीव्रता के 22 झटके लग चुके हैं.

स्टेटिस्का ने दुनियाभर के शक्तिशाली भूकंप को लेकर जो रिपोर्ट जारी की है, उसमें करीब 30 फीसद से ज्यादा भूकंप के झटके मार्च के महीने में लगे हैं. फरवरी में यह आंकड़ा करीब 20 फीसद का है. यानी 20 फीसद शक्तिशाली भूकंप के झटके फरवरी के महीने में लगे. कुल मिलाकर देखा जाए तो भूकंप के ज्यादातर शक्तिशाली झटके जनवरी से अप्रैल तक के बीच ही लगे हैं.

106 साल में 22 भूंकप शक्तिशाली

स्टेटिस्का के मुताबिक 1906 में कोस्ट इक्वाडोर के पास रिक्टर स्केल पर 8.8 तीव्रता का भूकंप आया था. उसके बाद 2011 तक 22 शक्तिशाली भूकंप पूरी दुनिया को हिला चुका है. 1950 में ग्रेट चीलियन में 9.5 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था. इसी तरह साल 1964 में अलास्का के प्रिंस विलियम साउंड में 9.2 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था.

2012 में सुमात्रा में 8.6 तीव्रता वाला भूकंप महसूस किया गया था. अप्रैल 2015 में नेपाल में जो भूकंप आया था, उसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.8 और 8.2 का था. जापान में 2011 में 9.1 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसने भारी तबाही मचाई थी. कमचेत्स्की में साल 1952 में 9 तीव्रता वाला भूकंप का झटका महसूस किया गया था.

किस महीने लगे भूकंप के तेज झटके?

दुनियाभर में अब तक भूकंप के 7 बड़े झटके मार्च के महीने में लगे हैं. इनमें 1957 में आईसलैंड अलास्का, 1960 में ग्रेट चीलियन, 1964 में अलास्का, 2005 में नॉर्थ सुमात्रा, 2010 में चीली और 2011 में होंसू जापान का भूकंप शामिल है. इन शहरों में भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 8.4 से ज्यादा का महसूस किया गया.

मार्च के बाद भूकंप के 4 बड़े झटके अप्रैल के महीने में महसूस किए गए हैं. इनमें 1923 में रूस, 1946 में साउथ अलास्का, 2012 में वेस्ट-कॉस्ट सुमात्रा और 2015 में नेपाल का विनाशकारी भूकंप शामिल हैं.

फरवरी महीने में शक्तिशाली भूकंप के 3 बड़े झटके महसूस किए गए. ये भूकंप रात आइसलैंड अलास्का (1965), बांडा सी-इंडोनेशिया (1938) और चीली (2010) में आए.

भूकंप से हर साल औसतन 40 हजार मौतें

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भूकंप से हर साल औसतन 40 हजार लोगों की मौत हो जाती है. संस्था की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1998 से 2017 तक पूरी दुनिया में भूकंप की वजह से 7 लाख 50 हजार लोग मारे गए. मरने की सबसे बड़ी वजह भूकंप का सटीक पूर्वानुमान न होना था.

भूकंप के सटीक पूर्वानुमान को लेकर पूरी दुनिया में काम चल रहा है, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस परिणाम नहीं मिल पाया है. जानकारों का यह भी कहना है कि भूकंप का समय और ग्रह से कोई फर्क नहीं पड़ता है. यही वजह है कि वैज्ञानिक ठोस तरीके से इसके महीने का भी आकलन नहीं करते.

हालांकि, जिस तरीके से शक्तिशाली भूकंप को लेकर आंकड़े सामने आए हैं, वो जरूर रहस्य बना हुआ है. आखिर भूकंप से सबसे ज्यादा शक्तिशाली झटके मार्च के महीने में ही क्यों लगे?

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