बिहार की धरती संस्कृति के साथ-साथ कृषि के लिहाज से भी काफी समृद्ध है. अब बिहार इथेनॉल उत्पादन के क्षेत्र में भी प्रवेश करने जा रहा है. बिहार राज्य ने इथेनॉल के लिए अपने संसाधनों के उपयोग का एक नया अवसर खोजा है. 7 मई, 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्णिया में बिहार के पहले इथेनॉल प्लांट का उद्घाटन किया था. इस प्लांट की रोजाना 65,000 लीटर इथेनॉल उत्पादन करने की क्षमता है. इसके बाद 6 अप्रैल, 2023 को मुख्यमंत्री ने मुजफ्फरपुर जिले के मोतीपुर में राज्य के दूसरे इथेनॉल प्लांट का उद्घाटन किया था. इस प्लांट में मक्का और चावल से रोजाना 110 किलोलीटर की दर से इथेनॉल का उत्पादन करने की क्षमता है.
बिहार सरकार ने कहा कि राज्य में पहले ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट की शुरुआत होने से सीमांचल क्षेत्र खासतौर पर अररिया, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज में विकास की गति और तेज होगी. वर्तमान में इथेनॉल सम्मिश्रण की मात्रा देश में 5% है, जिसको साल 2025 तक 20% तक करने की तैयारी है. इससे पेट्रोल के खर्च में कमी आएगी और बिहार के साथ-साथ देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा. उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा लायी गई नीतियों एवं आधारभूत संरचना में सुधार के फलस्वरूप पिछले एक वर्ष में 562 निवेशकों से निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिसमें से 177 निवेशकों के द्वारा उद्योग लगाने का कार्य शुरू कर दिया गया है. इनमें से 119 उद्योगों द्वारा उत्पादन भी प्रारंभ कर दिया गया है.
मक्का का सबसे ज्यादा उत्पादन बिहार में
इथेनॉल प्लांट में कृषि उत्पादों के व्यापक उपयोग से किसानों सहित सभी को फायदा होगा. इथेनॉल उत्पादन के लिए आवश्यक मक्का का सबसे ज्यादा उत्पादन बिहार में ही होता है. बिहार में अन्य राज्यों की जरूरत के लिए भी इथेनॉल उत्पादन की क्षमता है. इथेनॉल प्लांट खुलने से बिहार के लोगों को उनके गृह राज्य में ही रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे. इथेनॉल एक कृषि सह-उत्पाद है जो मुख्य रूप से गन्ने से चीनी के प्रसंस्करण के दौरान प्राप्त होता है. यह चावल की भूसी या मक्का जैसे अन्य स्रोतों से भी प्राप्त होता है. वाहनों के परिचालन में जीवाश्म ईंधन की खपत कम करने के लिए पेट्रोल के साथ इथेनॉल को मिलाना इथेनॉल सम्मिश्रण या इथेनॉल ब्लेंडिंग कहलाता है. वर्तमान में हमारे वाहनों में उपयोग किये जा रहे पेट्रोल में 10% इथेनॉल मिश्रित होता है. कृषि अवशेषों से अधिकाधिक इथेनॉल का उत्पादन किसानों की आय में वृद्धि करेगा और पराली जलाने की घटना में कमी लाकर वायु प्रदूषण को न्यूनतम करेगा.
ई-रेडिएशन सेंटर एवं एक्सपोर्ट पैक हाउस
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहारवासियों को उद्योग विभाग की 1 हजार 68 करोड़ रुपये की लागत से कुल 75 योजना, 447 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित 33 परियोजना और 621 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाली 42 परियोजनाओं का तोहफा दिया है. साथ ही मुख्यमंत्री ने 59 करोड़ रुपये की लागत से बिहटा में ई-रेडिएशन सेंटर एवं एक्सपोर्ट पैक हाउस लोगों को समर्पित किया. इसके तहत कृषि उत्पादों के रेडिएशन एवं पैकिंग की सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे किसानों को लाभ होगा. पटना, मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण एवं भागलपुर जिलों में 24 लाख वर्ग फीट के प्लग एण्ड प्ले शेड्स भी लोगों को समर्पित किया गया.
उद्योग विभाग के तहत 106 करोड़ रूपये की लागत से पटना जिले के फतुहा इंडस्ट्रियल एरिया, पूर्णिया जिले के पूर्णिया इंडस्ट्रियल एरिया तथा भागलपुर जिले के बरारी इंडस्ट्रियल एरिया में स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम, बिटुमिनस रोड तथा स्ट्रीट लाइट संबंधी योजना का लाभ भी जल्द ही लोगों को मिलने लगेगा. कई योजनाओं के तहत 21 करोड़ 9 लाख रुपये की लागत से पटना के गांधी मैदान के पास उद्योग भवन एवं फ्रेजर रोड पर बीएसएफसी बिल्डिंग में नए स्टार्ट अप बिजनेस सेन्टर संबंधी योजनाओं के साथ-साथ 4 करोड़ 23 लाख रूपये की लागत से मुजफ्फरपुर जिले के गोरौल इंडस्ट्रियल एरिया में फ्लेक्सिबल पेवमेन्ट योजना को शामिल किया गया है.
बक्सर में बियाडा कार्यालय भवन का निर्माण जल्द ही
9 करोड़ 40 लाख रुपये की लागत से नालंदा, भागलपुर और गोपालगंज जिलों में जिला उद्योग केंद्र के नये भवन तथा बक्सर जिले में बियाडा कार्यालय भवन का निर्माण कार्य भी जल्द ही शुरू करा दिया जाएगा. साथ ही 36 करोड़ 97 लाख की रुपये की लागत से भागलपुर जिले में सीपेट बिल्डिंग तथा हाजीपुर जिले में सीपेट ब्वायज हॉस्टल का निर्माण कार्य एवं 31 करोड़ 98 लाख रूपये की लागत से मुजफ्फरपुर जिले के मोतीपुर एवं पानापुर इंडस्ट्रियल एरिया में सड़क एवं पुल का निर्माण कार्य कराया जा रहा है. इसके अलावे 7 करोड़ रुपये की लागत से रोहतास जिले के दिनारा में टूल एवं ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट तथा हॉस्टल का निर्माण कार्य भी शुरू कराया जा रहा है.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.