देश में लगातार जीबीएस सिंड्रोम बीमारी का कहर बढ़ता जा रहा है. यह बीमारी अब राज्य दर राज्य फैलने लगी है. बंगाल में पिछले चार दिनों में संदिग्ध जीबीएस से एक बच्चे सहित तीन लोगों की मौत हो गई है. हालांकि, हेल्थ डिपार्टमेंट ने अभी तक मौत के कारण की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है. जानकारी के मुताबिक, मरने वालों में नॉर्थ 24 परगना के जगद्दल निवासी देबकुमार साहू (10), अमदंगा निवासी अरित्रा मनाल (17) और हुगली जिले के धनियाखली गांव निवासी 48 साल के एक व्यक्ति शामिल हैं.
देबकुमार की 26 जनवरी को कोलकाता के बीसी रॉय अस्पताल में मौत हो गई, जबकि शहर के एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इलाज करा रहे अमदंगा के मनाल की अगले दिन मौत हो गई. हुगली के व्यक्ति की बुधवार को वहां के एक अस्पताल में मौत हो गई. देबकुमार साहू के चाचा गोविंदा साहू ने कहा कि अस्पताल ने हमें यह नहीं बताया कि उसकी मौत जीबी सिंड्रोम से हुई है, लेकिन मृत्यु प्रमाण पत्र में जीबी सिंड्रोम का उल्लेख किया गया था.
सूत्रों ने बताया कि संदिग्ध जीबी सिंड्रोम से पीड़ित चार और बच्चों का बीसी रॉय अस्पताल एवं बाल स्वास्थ्य संस्थान में इलाज किया जा रहा है. पश्चिम बंगाल में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और घबराने की कोई बात नहीं है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और घबराने की कोई बात नहीं है.
महाराष्ट्र में जीबीएस सिंड्रोम का कहर
महाराष्ट्र में इस बीमारी ने कहर बरपाया हुआ है. महाराष्ट्र में यह बीमारी पुणे के अलावा सोलापुर, कोल्हापुर और नागपुर तक फैल गई है. जीबीएस सिंड्रोम से अब तक दो की मौत हो हुई है. 127 एक्टिव मरीज हैं. पुणे में इसके मामले सबसे ज्यादा हैं. बीमारी से पीड़ित 14 मरीज वेंटिलेटर पर हैं. जीबीएस का पहला हमला पुणे में हुआ. दरअसल, यह एक दुर्लभ बीमारी है.
यह वायरस या बैक्टेरिया संक्रमण के कारण होता है. इस रोग के कारण थकान होती है. हाथ-पैर में झुनझुनी होती है. सांस लेने में दिक्कत होती है. घबराहट होती है. इस बीमारी में रोग प्रतिरोधक शक्ति अपने ही शरीर पर हमला करती है. यह शक्ति शरीर के तंत्रिका तंत्र पर आक्रमण करती है. नसों को प्रभावित करती है. यह मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को गंभीर रूप से प्रभावित करता है.
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