‘सांस फूल रही है, भीड़ में दब गई थी मैं…’, महाकुंभ में भगदड़ के समय क्या-क्या हुआ, चश्मदीदों ने बताई आंखोंदेखी

मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान महा कुंभ का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है. यह दिन इसलिए भी खास है क्योंकि 144 साल बाद दुर्लभ ‘त्रिवेणी योग’ का संयोग बना है. इस कारण करीब 10 करोड़ श्रद्धालुओं के कुंभ में शामिल होने का अनुमान जताया गया है. भक्ति के रस में डूबे श्रद्धालु देश-दुनिया से संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में अमृत स्नान के लिए पहुंच रहे हैं. सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. लेकिन देर रात संगम नगरी में अचानक से भगदड़ (Stampede In Mahakumbh) मच गई. इस कारण कई श्रद्धालु घायल हो गए. 20 की मौत की आशंका जताई हई है. श्रद्धालुओं ने भगदड़ की आंखोंदेखी बताई है.

जब भगदड़ मची तो हर तरफ-चीख पुकार मच गई थी. लोग जान बचाने के लिए इधर उधर भाग रहे थे. पुलिस-प्रशासन ने किसी तरह स्थिति पर नियंत्रण पाया. घायलों को अस्पताल पहुंचाया. घटना के बाद मंजर का बेहद दर्दनाक दिखा. चारों तरफ श्रद्धालुओं का बिखरा सामान, जूते-चप्पल और कपड़े तितर-बितर पड़े हुए दिखे. किसी का सामान खो गया तो किसी का अपना लापता हो गया.

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भगदड़ तब मची जब स्नान के बाद भीड़ को बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिला. कुछ लोग रास्ते में पड़े लोहे के कूड़ेदानों से टकरा गए, जिससे वे गिर पड़े और उनके साथ अन्य लोग भी गिरते चले गए. तो वहीं, अन्य श्रद्धालुओं का कहना है कि भीड़ में कुछ महिलाओं का दम घुटने लगा. इसके बाद वो एक दूसरे पर वह गिरने लगीं. इसी वजह से बैरिकेडिंग टूटी और देखते ही देखते भगदड़ मच गई.

एक महिला ने बताया कि सांस फूल रही है, मैं दब गई थी. बहुत दिक्कत हो रही है. वहीं एक एंबुलेंस के ड्र्राइवर ने बताया कि वो 20 चक्कर अस्पताल के लगा चुका है और अकेले आज करीब 35 मरीजों को अस्पताल पहुंचा चुका है.

‘नहीं दिखे लोहे के कूड़ेदान, उसी से लोग गिरे’

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस भगदड़ के चश्मदीद विवेक मिश्रा ने बताया- मैं भी उस वक्त वहीं था जब भगदड़ मची. भीड़ को यह समझ नहीं आ रहा था कि स्नान के बाद कहां जाना है. जगह-जगह रखे लोहे के कूड़ेदान भी श्रद्धालुओं को दिखाई नहीं दे रहे थे, जिससे कई लोग गिर गए और उनके बैग व अन्य सामान इधर-उधर बिखर गए. मैं खुद भी गिर पड़ा और मेरे पैर में चोट लगी. मेरे माता-पिता भी गिर गए थे, जिनकी मैंने मदद की. मैंने एक अन्य महिला को भी उठाया. लेकिन तभी भीड़ में कुछ युवक घबराने लगे और एक-दूसरे को धक्का देने लगे, जिससे भगदड़ मच गई.

एक प्रत्यक्षदर्शी की मानें तो, प्रशासन मैनेज नहीं कर पाया. हम बिहार के नालंदा से 50-60 लोग आए हैं. हमारे साथ बच्चे और बुजुर्ग भी थे. भगदड़ में इतनी धक्का-मुक्की हुई कि सभी लोग एक दूसरे से बिछड़ गए.

बाहर निकलने का रास्ता था जाम

एक अन्य श्रद्धालु की मानें तो, भगदड़ इसलिए मची क्योंकि बाहर निकलने का रास्ता पूरी तरह जाम था. उन्होंने कहा, ‘हम चार लोग थे, हमारे कुछ साथी पहले ही नंदनी द्वार पहुंच चुके थे. हम पीछे रह गए और अचानक रास्ता पूरी तरह ब्लॉक हो गया. आगे लोग गिर रहे थे और पीछे से भी भीड़ बढ़ती जा रही थी. इससे भगदड़ की स्थिति बन गई.

‘हम 14 लोग बिछड़ गए’

बलिया से संगम नगरी पहुंचे एक श्रद्धालु ने बताया- हम 14 लोग महाकुंभ के लिए आए हैं. रात को जब हम मेले के लिए जा रहे थे तो अचानक इतनी भीड़ हो गई कि लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे. हम 14 लोग साथ में ही चल रहे थे. भगदड़ में कौन कहां चला गया, किसी को समझ ही नहीं आया.

दम घुट रहा था लोगों का

एक शख्स ने कहा- प्रशासन ने संगम के लिए एक ही रास्ता कर दिया था. इसलिए ये हादसा हुआ. अचानक कुछ महिलाएं गिरी. हम लोगों ने उनकी मदद की. लेकिन तब तक दूसरी ओर भी भगदड़ मच चुकी थी. संगम की ओर आने और जाने का एक ही रास्ता था. लोग इधर उधर भागने की कोशिश कर रहे थे. हालत खराब हो रही थी. दम भी घुट रहा था. लेकिन उस वक्त बस हमें जान बचाने की लगी थी कि किसी तरह हम सुरक्षित जगह पहुंच सकें.

‘पुलिस फोर्स पीछे हट गई थी’

एक श्रद्धालु ने बताया कि रात डेढ़ बजे के करीब भगदड़ मची. लोग सो रहे थे, और दूसरी और से भीड़ आई और भगदड़ मच गई. बैरिकेडिंग पर पुलिस फोर्स तैनात थी, लेकिन भीड़ को देखकर वो पीछे हट गए. इसके बाद भगदड़ मच गई. चीख पुकार शुरू हो गया. फिर घायलों को ले जाने के लिए एंबुलेंस मौके पर पहुंची. एक अन्य महिला श्रद्धालु ने भी कहा- भगदड़ के बाद मेरा सारा सामान खो गया है. मोबाइल तक टूट गया है. समझ नहीं आ रहा कि आगे क्या करना है. पिछले कई घंटे से हम एक ही जगह पर हैं. भगदड़ के वक्त लोग एक दूसरे पर चढ़ते और कूदते चले गए. पुलिस फोर्स भी पीछे हट गई थी

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