40 साल में सरकारी कर्मचारियों की बढ़ी 69 गुना सैलरी, मिलते थे 750 रुपए

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स के भत्तों में संशोधन के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी. इस कदम से केंद्र सरकार के लगभग 50 लाख कर्मचारियों और करीब 65 लाख पेंशनर्स को बेनिफिट होगा. जानकारों की मानें तो 8वें वेतन आयोग के तहत कें​द्रीय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 51,480 रुपए प्रति माह सकती है. क्या आपको जानकारी है कि अब से 40 साल पहले साली 1986 को चौथे वेतन आयोग के तहत केंद्रीय कर्म​चारियों की कितनी मिनीमम सैलरी थी.

केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार चौथे वेतन आयोग से लेकर 8वें वेतन आयोग की सिफारिश के तहत आए अनुमानित आंकड़े केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में करीब 69 गुना का इजाफा देखने को मिल चुका है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर अब से 40 साल पहले देश के कितने कर्मचारियों को वेतन आयोग का फायदा मिल रहा था और मिनिमम वेतन कितना था.

8वें वतन आयोग को लेकर सरकार का फैसला

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को जानकारी देते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए आठवें केंद्रीय वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है. आयोग के चेयरमैन और दो सदस्यों की नियुक्ति जल्द की जाएगी. सातवें वेतन आयोग का गठन 2014 में किया गया था और इसकी सिफारिशें एक जनवरी, 2016 से लागू हुई थीं. इसकी अवधि 2026 में समाप्त हो रही है. मंत्री ने कहा कि 2025 में नए वेतन आयोग के गठन का प्रोसेस शुरू होने से यह सुनिश्चित होगा कि सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल पूरा होने से पहले इसकी सिफारिशें प्राप्त हो जाएं और उसकी समीक्षा की जा सके.

कैसे काम करता है आयोग

वेतन आयोग सरकार को सिफारिशें देने से पहले केंद्र और राज्य सरकारों और अन्य संबंधित पक्षों के साथ व्यापक परामर्श करता है. सरकारी कर्मचारियों के लिए सैलरी स्ट्रक्चर, बेनिफिट और भत्ते तय करने में वेतन आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका है. राज्य सरकारों के स्वामित्व में आने वाली ज्यादातर इकाइयां आयोग की सिफारिशों को लागू करती हैं. जानकारी के अनुसार इस कदम से रक्षा क्षेत्र में काम कर रहे कर्मचारियों सहित केंद्र सरकार के लगभग 50 लाख कर्मियों को लाभ होगा. साथ ही लगभग 65 लाख पेंशनर्स की पेंशन में भी बढ़ोतरी होगी.

दिल्ली के कितने कर्मचारियों को फायदा

इससे अकेले दिल्ली में लगभग चार लाख कर्मचारियों को लाभ होगा. इनमें रक्षा और दिल्ली सरकार के कर्मचारी शामिल हैं. दिल्ली में पांच फरवरी, 2025 को विधानसभा चुनाव होने हैं. सूत्रों ने कहा कि आमतौर पर, दिल्ली सरकार के कर्मचारियों के वेतन में केंद्रीय वेतन आयोग के साथ वृद्धि होती है. इससे सरकारी कर्मचारियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ कंजंप्शन और आर्थिक वृद्धि को महत्वपूर्ण गति मिलेगी. सातवें वेतन आयोग के तहत वित्त वर्ष 2016-17 में खर्च में एक लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई थी.

कितनी हो सकती है मिनीमम सैलरी

किंग स्टब एंड कासिवा के पार्टनर, एडवोकेट्स एंड अटॉर्नी रोहिताश्व सिन्हा मीडिया रिपोर्ट में कहते हैं कि वेतन आयोग ज्यादातर मामलों में केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी का आकलन करने और उनमें बदलाव करने करने के लिए हर 10 साल में स्थापित किया जाता है. अंतिम वेतन आयोग, यानी 7 वां वेतन जनवरी 2016 में प्रभावी हुआ था. जिसमें फिटमेंट फैक्टर 2.57 का यूज करके मिनिमम बेसिक सैलरी को 7000 रुपए से बढ़ाकर 18,000 रुपए कर दिया गया गया था.

ऐसा माना जा रहा है कि 8वें वेतन आयोग में बेसिक सैलरी में आश्चर्यजनक रूप से 186 फीसदी की बढ़ोतरी होगी, जिससे मिनिमम बेसिक सैलरी 51,480 रुपए प्रति माह हो सकता है. उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि 8वें वेतन आयोग के लिए फिटमेंट फैक्टर 2.86 है. वेतन में बदलाव को केंद्रीय सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियम, 2025 के माध्यम से लागू किए जाने की संभावना है. इससे पेंशन और ईपीएफ, ग्रेच्युटी आदि जैसे दूसरे रिटायरमेंट बेनिफिट्स में भी बढ़ोतरी हो सकती है.

फिटमेंट फैक्टर से कैसे कैलकुलेट करें सैलरी?

केंद्र सरकार के कर्मचारी 8वें वेतन आयोग द्वारा घोषित फिटमेंट फैक्टर के आधार पर सैलरी हाइक को कैसे कैलेकुलेट कर सकते हैं? इसे उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं. मान लीजिए कि आपकी बेसिक सैलरी वर्तमान में 40,000 रुपए प्रति माह है और 8वें वेतन आयोग ने 2.5 के फिटमेंट फैक्टर की सिफारिश की है. इसके आधार पर आपकी बेसिक सैलरी बढ़कर 1 लाख रुपये प्रति माह हो जाएगी. हालांकि, शुरुआती अवधि में महंगाई भत्ता नहीं मिलेगा क्योंकि आमतौर पर वेतन आयोग इसकी रिकमेंडेशंस करता है. वेतन आयोग की रिकमेंडेशंस के अनुसार महंगाई भत्ता आमतौर पर भविष्य के वर्षों में वेतन में जुड़ जाता है. वेतन आयोग की रिकमेंडेशंस के अनुसार दूसरे अलाउंस में भी बदलाव हो सकता है.

पिछले वेतन आयोगों की ओर से की गई सिफारिशें

7वां वेतन आयोग (फरवरी, 2014 से नवंबर, 2016)

अध्यक्ष : न्यायमूर्ति ए के माथुर

न्यूनतम वेतन :18,000 रुपए प्रति माह तक बढ़ाया गया.

अधिकतम वेतन :2,50,000 रुपए प्रति माह.

खास सिफारिश :ग्रेड पे सिस्टम की जगह नए पे मैट्रिक्स की सिफारिश की गई.

खास बात :भत्तों और कार्य-जीवन संतुलन पर ध्यान दिया गया.

लाभार्थी: एक करोड़ से अधिक (पेंशनधारक सहित)

छठा वेतन आयोग (अक्टूबर, 2006 से मार्च, 2008)

चेयरमैन: न्यायमूर्ति बी.एन. श्री कृष्ण

खास बात :पे बैंड और ग्रेड पे पेश किया गया

न्यूनतम वेतन: 7,000 रुपए प्रति माह.

अधिकतम वेतन: 80,000 रुपए प्रति माह.

इंसेंटिव : प्रदर्शन संबंधी इंसेंटिव पर जोर.

लाभार्थी : लगभग 60 लाख कर्मचारी

5वां वेतन आयोग (अप्रैल, 1994 से जनवरी, 1997)

चेयरमैन: न्यायमूर्ति एस. रत्नावेल पांडियन

न्यूनतम वेतन : 2,550 रुपए प्रति माह की सिफारिश की गई.

खास बात : वेतनमान की संख्या कम करने का सुझाव दिया सरकारी दफ्तर को आधुनिक बनाने पर ध्यान.

लाभार्थी: लगभग 40 लाख कर्मचारी

चौथा वेतन आयोग (सितंबर, 1983 से दिसंबर, 1986)

चेयरमैन: पीएन. सिंघल

न्यूनतम वेतन : 750 रुपए प्रति माह की सिफारिश की गई.

खास बात : सभी रैंक में वेतन में असमानताओं को कम करने पर ध्यान दिया गया. प्रदर्शन से जुड़ा सैलरी स्ट्रक्चर पेश किया गया.

लाभार्थी: 35 लाख से अधिक कर्मचारी.

40 साल में 69 गुना का इजाफा

अगर 8वें वेतन आयोग के तहत मिनिमम बेसिक सैलरी 51,480 रुपए हो गई तो बीते 40 साल में केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में 69 गुना का इजाफा हो जाएगा. आंकड़ों के अनुसार 40 साल पहले यानी 1986 को चौथा वेतन आयोग लागू हुआ था. जिसमें मिनिमम बेसिक सैलरी 750 रुपए थी. इसका मतलब है कि तब से लेकर 8वे वेतन आयोग तक मिनिमम बेसिक सैलरी में 6,764 फीसदी का इजाफा हो चुका होगा. यानी केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में चौथे वेतन आयोग से लेकर 8वे वेतन आयोग तक 69 गुना का इजाफा हो चुका होगा.

क्यों होता है वेतन आयोग का गठन

आमतौर पर, हर 10 साल में केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के वेतन को रिवाइज्ड करने के लिए वेतन आयोग का गठन करती है. 1947 के बाद से सात वेतन आयोग का गठन किया गया है. वेतन आयोग केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स को महंगाई की भरपाई के उद्देश्य से महंगाई भत्ते और महंगाई राहत में संशोधन के फार्मूले की भी सिफारिश करता है. राज्य सरकारें भी केंद्रीय वेतन आयोग की तर्ज पर अपने कर्मचारियों के वेतन में संशोधन करती हैं.

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