62 में से 20 जिलों में ही बनाए जा सके अध्यक्ष… मध्य प्रदेश भाजपा में ये क्या हो रहा, क्यों नहीं बन पा रही सहमति
भोपाल। भाजपा के संगठन चुनाव इस बार पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। जैसे-तैसे मंडल अध्यक्षों का चुनाव कराने के बाद अब पार्टी जिलाध्यक्षों के नाम तय नहीं कर पा रही है।
जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा पांच जनवरी तक की जानी थी, लेकिन नौ दिन बाद भी सभी जिलों में अध्यक्ष तय नहीं हो पाए हैं। अब तक 62 संगठनात्मक जिलों में से 20 में ही अध्यक्ष बनाए जा सके हैं।
नहीं बन पा रही आम सहमति
- दिल्ली में राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश द्वारा कमान संभालने के बाद भी जिलों में आम सहमति नहीं बन पा रही है। रविवार को पार्टी ने डॉ. मोहन यादव और शिवराज सिंह चौहान के गृह जिलों में अध्यक्ष घोषित कर दिए।
- अब पार्टी एकमुश्त सूची जारी करने के बजाय अलग-अलग जिलों में चुनाव अधिकारियों को भेजकर अध्यक्षों की घोषणा कर रही है, ताकि कार्यकर्ताओं के विरोध को थामा जा सके।
- इस देरी के कई कारण हैं। अंचल के बड़े नेता अपने हिसाब से जमावट करवाना चाहते हैं। कई जिलाध्यक्षों को लेकर बड़े नेताओं का दबाव इस कदर था कि गाइडलाइन को भी ताक पर रखना पड़ा है।
गुटबाजी में फंसे कई जिले
भाजपा की तैयारी है कि कुछ और जिलों के अध्यक्ष घोषित कर प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया आरंभ कर दी जाए। ग्वालियर जिले में कई बड़े नेता अपने-अपने समर्थक को जिलाध्यक्ष बनाए जाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया के बीच जोर आजमाइश चल रही है, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा भी इसी क्षेत्र से हैं। सभी के दावेदार समर्थकों में से जयप्रकाश राजौरिया का दावा अभी सबसे मजबूत बना हुआ है। राजौरिया शर्मा के समर्थक हैं।
इधर, सागर में पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह और कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बीच भी शक्ति प्रदर्शन चल रहा है। भूपेंद्र सिंह मौजूदा अध्यक्ष गौरव सिरोठिया को हटवाकर पूर्व सांसद राजबहादूर सिंह को अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं। वहीं, गोविंद सिंह सिरोठिया को ही रिपीट करवाने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रहे हैं।
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