इंदौर। प्राचीन गोपाल मंदिर में विवाह आयोजन की अनुमति देना माफी अधिकारी और मंदिर के मैनेजर को भारी पड़ गया। आयोजन संपन्न होने के बाद संभागायुक्त दीपक सिंह ने सख्ती दिखाते हुए माफी अधिकारी विनोद राठौर को हटा दिया और मंदिर के मैनेजर केएल कौशल की सेवाएं समाप्त कर दी गई।
इधर आयोजन के दूसरे दिन सोमवार को नगर निगम द्वारा मंदिर की सफाई कराई गई। इसमें तीन ट्राली कचरा परिसर से निकाला गया। सुबह से दोपहर तक सफाई का कार्य जारी रहा। पूरे परिसर में जूठन पड़ी थी और इसके कारण मंदिर की नालियां तक चोक हो गई थीं।
पूरे मंदिर को बना दिया था मैरिज गार्डन
- गोपाल मंदिर इंदौर से सबसे प्राचीन मंदिरों में शामिल है, जिसका प्रबंधन संभागायुक्त कार्यालय के तहत आने वाला धर्मस्थ विभाग करता है। माफी अधिकारी ने नियमों को परखे बगैर मंदिर में 12 जनवरी को विवाह आयोजन की अनुमति दी थी।
- आयोजकों ने 29 जुलाई को 25,551 रुपये जमा भी करा दिए। विवाह कार्यक्रम के लिए दो दिन से तैयारियां जारी रहीं, लेकिन इनको नहीं रोका। आयोजकों ने पूरे मंदिर को मैरिज गार्डन बना दिया।
- खाना बनाने, मंदिर को फूलों से सजाने और खाना खिलाने की आलीशान व्यवस्थाएं चलती रही, लेकिन किसी ने नहीं रोका। आयोजन के बाद पूरे परिसर में गंदगी पड़ी हुई थी, जिसे सोमवार को नगर निगम ने सफाई कर हटाया।
- मंदिर में सुबह की आरती गंदगी में करना पड़ी। मंदिर पुजारी का कहना है कि गर्भगृह के सामने सुबह झाडू लगवाकर आरती की गई। कलेक्टर आशीष सिंह का कहना है कि मंदिर के संदर्भ में विस्तृत गाइडलाइन तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
जांच में सामने आई अधिकारियों की लापरवाही
अपर कलेक्टर गौरव बैनल ने जांच शुरू कर मंदिर के पुजारी, प्रबंधक और आयोजक के बयान लिए। वहीं माफी अधिकारी विनोद राठौर से प्रतिवेदन लिया गया। इसके आधार पर रिपोर्ट तैयार कर कलेक्टर के माध्यम से संभागायुक्त को सौंपी गई।
जांच में प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही और कार्य के प्रति उदासीनता पाई गई। मंदिर में अमुमन विवाह और अन्य आयोजन के लिए 500 और हजार रुपये की रसीद काटी जाती है और सामान्य फेरों के आयोजन होते थे।
वहीं इस विवाह आयोजन के लिए सौ गुणा अधिक एक लाख 551 रुपये जमा कराए गए। ऐसे में प्रशासनिक अधिकारियों को पहले से पता था कि भव्य आयोजन होने वाला है। मंदिर में 10 जनवरी से सफाई और मंदिर सजाने से लेकर खाना बनाने की तैयारी शुरू हो गई थी, लेकिन इसको रोका नहीं गया।
वहीं प्राप्त राशि को भी बैंक में जमा नहीं कराया गया। जांच में 75 हजार रुपये की राशि भी मामला उजागर होने के बाद जमा होने की पुष्टि हुई है।
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