सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को लखनऊ के जियामऊ में उस विवादित स्थल पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास इकाइयों के निर्माण को लेकर स्टे का आदेश दिया, जिस पर गैंगस्टर-नेता रहे मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी स्वामित्व का दावा कर रहे हैं. साथ ही, हाई कोर्ट को इस मामले की जल्द सुनवाई करने का निर्देश दिया. यह मामला लखनऊ विकास प्राधिकरण ने साल 2020 में मुख्तार अंसारी और उनके परिवार के बंगले को ध्वस्त किए जाने के बाद पैदा हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने इस मामले में दलील दी कि उच्च न्यायालय ने भूमि से संबंधित मामले पर अंतरिम रोक लगाने का कोई आदेश नहीं दिया है. उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि यथास्थिति बनाए रखते हुए उच्च न्यायालय को मामले की शीघ्र सुनवाई करने का निर्देश दिया जाए. अदालत ने कहा कि यदि मामले की सुनवाई में देरी होती है और निर्माण कार्य जारी रहता है, तो याचिकाकर्ताओं को अपूरणीय नुकसान हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को दिया निर्देश
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह शामिल थे, ने उच्च न्यायालय को आदेश दिया कि वह इस मामले की जल्द सुनवाई करें. कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि कई बार सुनवाई के बावजूद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मामले पर कोई निर्णय नहीं लिया. कोर्ट ने मामले की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते हुए कहा कि तब तक निर्माण कार्य रोका जाए, जब तक उच्च न्यायालय इस मामले पर कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं करता.
अब्बास अंसारी का दावा
अब्बास अंसारी ने दावा किया है कि उनके दादा ने 2004 में जियामऊ में एक प्लॉट खरीदा था, और यह संपत्ति उनके पास आई. याचिका में यह भी कहा गया है कि उप-विभागीय मजिस्ट्रेट ने 2020 में बिना उनकी उपस्थिति के एक आदेश पारित कर इस भूखंड को सरकारी संपत्ति घोषित कर दिया था. इस आदेश के बाद अंसारी परिवार को 2023 में बेदखल कर दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की.
इस विवाद ने केवल भूमि के स्वामित्व को लेकर तनाव बढ़ाया है, बल्कि यह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकारी निर्माण कामों में भी रुकावट पैदा कर रहा है. अदालत के आदेश ने इस मामले को और जटिल बना दिया है, क्योंकि अब इस पर उच्च न्यायालय का निर्णय आने तक निर्माण कामों को रोका जाएगा.
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