महिलाओं को खिड़कियों तक से झांकने नहीं दे रहा तालिबान, पुरुषों की ‘हराम’ आदतों पर अरबों कर रहा कुर्बान
अफगानिस्तान में साल 2021 में तालिबान ने सत्ता हासिल की और देश में 2021 से लेकर अब तक महिलाओं के लिए कई नियम बनाए गए, उन पर कई तरह की पाबंदी लगाई गई हैं, जिसमें वो अकेले और बिना परदे के घर से बाहर नहीं जा सकती हैं, पब्लिक में जोर से बात नहीं कर सकती हैं, उनकी आवाज पर भी पर्दा लगा दिया गया, इसी के साथ अब एक नए आदेश के तहत महिलाओं को खिड़कियों से झांकने तक की आजादी नहीं है, लेकिन जहां हर तरफ इस बात का जिक्र है कि तालिबान सत्ता महिलाओं के लिए क्या-क्या आदेश जारी कर रही हैं. वहीं, शायद इस बात से कई लोग अनजान हैं कि तालिबान सरकार दूसरी तरफ पुरुषों की हराम आदतों पर अरबों रुपये कुर्बान कर रही है.
एक तरफ महिलाओं पर पाबंदी, दूसरी तरफ पुरुषों के लिए बड़ा दिल करने वाली तालिबान सरकार का दोहरा रूप हैरान करने वाला है. जहां हाल ही में महिलाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एनजीओ में काम करने से मना कर दिया गया है, वहीं सरकार पुरुषों को ड्रग्स से बाहर निकालने के लिए कदम उठा रही है. पुरुषों को ड्रग्स की लत से निकालने के लिए सरकार 1 अरब से ज्यादा रकम खर्च कर रही है.
महिलाओं के खिड़कियों से झांकने पर पाबंदी
अफगानिस्तान में हाल ही में तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट कर आदेश जारी किया था कि महिलाएं अब देश में खिड़कियों से नहीं झांक सकती, साथ ही नई बिल्डिंगों में किचन, आंगन जैसी उन जगहों पर कोई खिड़की नहीं होगी, जिन जगहों को महिलाएं इस्तेमाल करती हैं, जहां से महिलाओं को देखा जा सके. सरकारी प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि MCD इस बात को सुनिश्चित करें कि किसी भी बिल्डिंग में ऐसी खिड़कियां न हो जिनमें से पड़ोसियों के किचन और महिलाएं जहां काम करती हैं उन जगहों को देखा जा सके.
पुरुषों के लिए अरबों रुपये खर्च
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार पुरुषों के लिए अरबों रुपये खर्च कर रही है. इस्लाम में नशा, शराब, ड्रग्स जैसी चीजें हराम है, इसके बावजूद अफगानिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा हीरोइन, अफीम उत्पादक था. यूएन की 25 जून 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा हीरोइन का उत्पादक था, साथ ही देश में 4 मिलियन लोग ड्रग्स का इस्तेमाल करते थे. हालांकि, देश में 2021 में तख्तापलट होने के बाद अफीम की खेती में गिरावट आई है.
संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (यूएनओडीसी) ने मंगलवार को कहा कि 2022 में तालिबान के मादक पदार्थ पर प्रतिबंध लगाने के बाद अफगानिस्तान में अफीम की खेती में 95 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसी के बाद से अब म्यांमार दुनिया का सबसे बड़ा अफीम का उत्पादक बन गया है.
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार एक अरब रुपये लोगों की ड्रग्स की लत छुड़ाने के लिए खर्च कर रही है. देश के काउंटर नारकोटिक्स के डिप्टी आंतरिक मंत्री अब्दुल हक अखुंद ने कहा, सरकार के बजट में से 1 अरब रुपये ड्रग्स की लत का सामना कर रहे लोगों की लत छुड़ाने के लिए खर्च किए जा रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा देश के हर प्रांत में रिहैबिलिटेशन सेंटर (Rehabilitation Centers) चलाए जा रहे हैं.
देश में 66 रिहैबिलिटेशन सेंटर
सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रशासनिक उप मंत्री अब्दुल वली हक्कानी ने कहा कि मंत्रालय ने देश में ड्रग्स के आदी लोगों के इलाज के लिए अहम कदम उठाए हैं. सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, फिलहाल देश में 66 ड्रग रिहैबिलिटेशन सेंटर हैं. पब्लिक हेल्थ मंत्रालय के Therapeutic Medicine हेड वाहदत अलोकोजाई ने बताया कि सरकार ने ड्रग्स के आदी लोगों के इलाज के लिए चार नए सेंटर बनवाए हैं.
अफगानिस्तान की अफीम खेती का इतिहास
अफगानिस्तान की अफीम की खेती का इतिहास सालों पुराना है. साल 1990 में अफगानिस्तान पूरी दुनिया में सबसे बड़ा अफीम प्रोड्यूस करने वाला देश बन गया था. 1999 में वो 79 प्रतिशत अफीम प्रोड्यूस की. 2000 में यह 70 प्रतिशत तक पहुंच गया था. हालांकि, साल 2021 में तालिबान सरकार के सत्ता में आने के बाद उन्होंने 2022 में अफीम की खेती पर रोक लगाई. अधिकारियों ने अप्रैल 2022 में सख्त नए कानूनों के तहत अफीम की खेती और सभी नशीले पदार्थों पर प्रतिबंध लगा दिया.
खेती पर प्रतिबंध की घोषणा के बाद अफीम की कीमतें बढ़ गई. इसी के चलते अफीम की खेती करने वाले अफगान किसानों की सैलरी तीन गुना से भी अधिक हो गई और 2021 में $425 मिलियन से बढ़कर 2022 में $1.4 बिलियन हो गई. अब पूरी दुनिया में म्यांमार में सबसे ज्यादा अफीम की खेती की जाती है. UNODC की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2024 में भी अफीम की पैदावार देश में कम रही और 433 टन अफीम प्रोड्यूस किया गया.
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