बांग्लादेश में आतंकियों को जमानत, पर हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की याचिका क्यों हुई खारिज?

बांग्लादेश के हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका पर गुरुवार को चटगांव मेट्रोपॉलिटन सेशन जज कोर्ट में सुनवाई हुई. वहां जज ने हिंदू नेता की जमानत अर्जी खारिज कर दी. परिणामस्वरूप, चिन्मय कृष्ण दास को फिलहाल जेल में ही रहना होगा. बता दें कि बांग्लादेशी हिंदू नेता के पहले वकील शुभाशीष शर्मा गिरफ्तारी से बचने के लिए लंबे समय से छुपे हुए हैं. दूसरी ओर, एक अन्य वकील रवींद्र दास को सीने में दर्द के कारण कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया है, हालांकि, उनकी अनुपस्थिति में भी चिन्मयकृष्ण की जमानत की कोशिशें नहीं रुकीं. चिन्मय कृष्ण दास को अदालत में वर्चुअली पेश किया गया.

इस दिन, चिन्मय मामले के दो मुख्य वकीलों की अनुपस्थिति में, वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य 11 वकीलों की एक टीम ने चिन्मय कृष्ण दास के जमानत मामले की पैरवी की, लेकिन सामूहिक प्रयासों से कोई फायदा नहीं हुआ. चटगांव मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सैफुल इस्लाम ने हिंदू नेता की जमानत याचिका खारिज कर दी. उन्होंने तर्क दिया कि राजद्रोह के मामले गैर-जमानती हैं.

चिन्मय दास के खिलाफ राजद्रोह का मामला

चटगांव जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नाजिम उद्दीन चौधरी ने चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला है और राजद्रोह के मामले में आजीवन सजा का प्रावधान है. यदि वे चाहते हैं कि वे हाईकोर्ट जाएं तो जा सकते हैं. दूसरी ओर, अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने कहा कि चटगांव कोर्ट के फैसले के खिलाफ वे लोग हाईकोर्ट में अपील करेंगे.

गौरतलब है कि बांग्लादेश में शेख हसीना के सरकार के पतन के बाद वहां ‘आतंक का माहौल’ है. अंतरिम सरकार के गठन के बाद से ‘यूनुस सरकार की कोर्ट ‘ ने प्रमुख उग्रवादी नेताओं को जमानत दे दी है. लेकिन इस बार उस अदालत में साधु चिन्मय कृष्ण दास जमानत याचिका खारिज हो गई.

कोर्ट ने उग्रवादियों को दी जमानत, चिन्मय दास को क्यों नहीं?

2004 के ग्रेनेड हत्याकांड मामले में फांसी की सजा पाने वाले बीएनपी के उपाध्यक्ष अब्दुस सलाम पिंटू को कुछ दिन पहले जमानत मिल गई है. इससे पहले इसी मामले में पूर्व गृह राज्य मंत्री लुत्फुज्जमां बाबर और बीएनपी चेयरमैन तारिक रहमान को जमानत मिल चुकी है. इतना ही नहीं, यूनुस के कार्यकाल में उल्फा प्रमुख आतंकवादी परेश बरुआ की मौत की सजा को माफ कर दिया गया था. ब्लॉगर राजीव हैदर हत्याकांड में अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के प्रमुख जसीमुद्दीन रहमानी को जमानत मिल गई है, लेकिन इतने उग्रवादी नेताओं को जमानत मिलने के बावजूद चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका खारिज कर दी गयी. इसे लेकर सवाल किए जा रहे हैं.

नवंबर में चिन्मय कृष्ण दास को किया गया था गिरफ्तार

चिन्मय कृष्ण दास को पिछले साल नवंबर में बांग्लादेश एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था. वह बांग्लादेश सनातन जागरण मंच और बांग्लादेश संयुक्त अल्पसंख्यक गठबंधन के प्रवक्ता हैं. चिन्मय कृष्ण दास हमेशा बांग्लादेश के हिंदुओं पर ‘आतंक’ और उनके अधिकारों की बात करते नजर आए हैं. उन्होंने यूनुस की अंतरिम सरकार के गठन के बाद बांग्लादेश में शुरू हुई हिंदुओं की हत्या के खिलाफ आवाज उठाई थी, तो यूनुस सरकार ने उन पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया और उनके खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज कर दिया.

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