पॉपुलेशन कंट्रोल बिल या कुछ और…फैमिली प्लानिंग को लेकर क्या है केंद्र की योजना?

भारत की बढ़ती आबादी और बच्चे पैदा करने को लेकर मचे तनातनी के बीच जनसंख्या नियंत्रण को लेकर केंद्र की बड़ी प्लानिंग सामने आई है. कहा जा रहा है कि सरकार फिलहाल जनसंख्या नियंत्रण को लेकर पॉपुलेशन कंट्रोल बिल का सहारा नहीं लेगी. केंद्र की कोशिश स्कीम के जरिए फर्टिलिटी रेट को कम करने की है.

दरअसल, हालिया शीतकालीन सत्र में जब राज्यसभा में शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने पॉपुलेशन कंट्रोल से जुड़े बिल को लेकर सरकार से सवाल पूछा तो सरकार ने इस पर चुप्पी साध ली. वहीं लोकसभा में एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय न कहा कि फर्टिलिटी रेट में कमी आई है. हम इसे और कम करने की कवायद में जुटे हैं.

संजय राउत का सवाल क्या था?

राज्यसभा में अतारांकित सवाल के जरिए संजय राउत ने पूछा था कि क्या सरकार जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कोई बिल लाने की तैयारी में है? या जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कोई और ही प्रस्ताव है?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस सवाल के जवाब में पॉपुलेशन कंट्रोल बिल पर कुछ जवाब नहीं दिया. सरकार की तरफ से कहा गया कि लगातार फर्टिलिटी रेट में कमी आ रही है और सरकार की कोशिश इसे और कम करने की है.

सरकार का कहना था कि देश में वर्तमान में फर्टिलिटी रेट 2.0 है, जो साल 2000 के 2.1 से कम है.

फर्टिलिटी रेट में कमी, राज्यवाड़ आंकड़े

केंद्र सरकार के मुताबिक देश में वर्तमान में फर्टिलिटी रेट 2.0 है. आंकड़े के मुताबिक सिक्किम में सबसे कम फर्टिलिटी रेट 1.1 है. लद्दाख, गोवा और अंडमान का फर्टिलिटी रेट 1.3 है. वहीं लक्ष्यद्वीप, चंडीगढ़ और जम्मू कश्मीर का फर्टिलिटी रेट 1.4 है.

देश के कुल 31 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश का फर्टिलिटी रेट 2.0 या उससे कम है. राजस्थान का फर्टिलिटी रेट 2.0 है. हालांकि, बिहार और यूपी जैसे राज्यों का फर्टिलिटी रेट टेंशन बढ़ाने वाला है.

केंद्र के मुताबिक बिहार का टोटल फर्टिलिटी रेट सबसे ज्यादा 3.0 है. यूपी का फर्टिलिटी रेट 2.4 तो झारखंड का फर्टिलिटी रेट 2.3 है. मेघालय का 2.9 तो मणिपुर का 2.2 फर्टिलिटी रेट है.

फर्टिलिटी रेट या प्रजनन दर किसी महिला द्वारा अपने जीवन में पैदा किए जाने वाले बच्चों की औसत संख्या को कहते हैं.

फैमिली प्लानिंग की क्या है प्लानिंग?

लोकसभा में सांसद सेल्वराज के और सुब्रयाण के एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि सरकार का फोकस फर्टिलिटी रेट और ज्यादा कम करने पर है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इसके लिए अलग से बजट की व्यवस्था और पीआईपी मॉडल का प्रयोग किया जा रहा है.

जानकारों का कहना है कि फर्टिलिटी रेट कम होने की स्थिति में खुद ही जनसंख्या पर नियंत्रण हो जाएगा. भारत की आबादी अभी 142 करोड़ से ज्यादा है, जो दुनिया में सबसे अधिक है.

फर्टिलिटी रेट कम करने के लिए सरकार 4 तरीके का प्रयोग कर रही है.

1. सरकार के मुताबिक शादीशुदा महिलाओं को अंतारा और छाया स्कीम के तहत गर्भनिरोधक मुहैया कराई जा रही है. 2017 से इस स्कीम को देश के अलग-अलग हिस्सों में ले जाया जा रहा है. अंतारा स्कीम के तहत महिलाओं को अनचाहे गर्भ से निजात दिलाने के लिए एक इंजेक्शन लगाया जाता है. 2023-24 में अकेले यूपी में 13 लाख से ज्यादा महिलाओं ने इस स्कीम का लाभ लिया.

2. जागरूकता के जरिए भी सरकार फर्टिलिटी रेट को रोकने में जुटी है. हर साल सरकार जागरूकता के लिए विश्व जनसंख्या दिवस पर पखवाड़े का आयोजन करती है. इसके अलावा अलग-अलग हिस्सों में ह्यूमन चेन के जरिए भी यह संदेश देने की कवायद की जाती है.

3. जिन राज्यों में प्रजनन दर सबसे अधिक है, वहां मिशन विकास परिवार के तहत सरकार बड़े पैमाने पर काम कर रही है. यहां गर्भनिरोधक विकल्प से लेकर नसबंदी तक के स्कीम को एग्जक्यूट किया जा रहा है. महिलाओं को नसबंदी कराने पर सरकार की तरफ से 2200 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है.

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