असम के बाद अब बिहार में गोमांस पर बैन लगाने की मांग उठी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU के सांसद दिलेश्वर कामैत ने बिहार में बीफ बैन होना चाहिए. असम सरकार ने ठीक निर्णय लिया है. दिलेश्वर कामैत लोकसभा में जेडीयू संसदीय दल के नेता हैं.
इससे पहले बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने भी बीफ को लेकर बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि सारे फसाद की जड़ नेहरू हैं. नेहरू अगर भारत में गौ हत्या पर प्रतिबंध लगा दिए होते आज यह दशा नहीं होती.
असम में हुआ बैन
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने घोषणा की कि राज्य सरकार ने रेस्तरां, होटल एवं सार्वजनिक स्थलों पर गोमांस परोसे जाने और खाने पर रोक लगाने का फैसला किया है. राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस संबंध में मौजूदा कानून में संशोधन कर नए प्रावधानों को शामिल करने का निर्णय लिया गया.
उन्होंने कहा कि गोमांस सेवन पर मौजूदा कानून सख्त है, लेकिन रेस्तरां, होटल और धार्मिक या सामाजिक समारोहों में गोमांस खाने पर अभी तक कोई प्रतिबंध नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा, अब हमने असम में सार्वजनिक स्थानों पर भी गोमांस सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए कानून को और सख्त बनाने का फैसला किया है.
असम में गोमांस का सेवन अवैध नहीं है, लेकिन असम मवेशी संरक्षण अधिनियम 2021 उन क्षेत्रों में पशु वध और गोमांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाता है जहां हिंदू, जैन और सिख बहुसंख्यक हैं और मंदिर के पांच किलोमीटर के दायरे में हैं. यह प्रतिबंध अब पूरे राज्य में होटल, रेस्तरां और सार्वजनिक स्थानों पर लगाया गया है.
विपक्ष और बीजेपी आमने-सामने
विपक्ष असम सरकार के फैसला का विरोध कर रहा है. शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि आरएसएस के प्रमुख नेताओं ने भी पहले बोला है कि खान-पान निजी मामला है. गोवा में बीफ बैन क्यों नहीं है. नॉर्थ ईस्ट में क्यों नहीं है.
विपक्ष के हमले का जवाब बीजेपी के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने दिया है. उन्होंने ‘वोट बैंक की राजनीति’ के लिए इस प्रतिबंध का विरोध करने के लिए कई कांग्रेस नेताओं पर सवाल उठाए हैं. शहजाद पूनावाला ने असम में हिंदुओं की परवाह न करने के लिए कांग्रेस पर हमला किया है.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.