वाराणसी के यूपी कॉलेज में सियासी पारा चढ़ता जा रहा है. सोमवार को वक्फ बोर्ड का पुतला फूंकने के बाद मंगलवार को छात्र हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए जुटने लगे. करीब 500 की संख्या में छात्र एकत्र होकर हनुमान चालीसा का पाठ शुरू किए कि पुलिस ने उनको हटाना शुरू कर दिया. छात्रों और पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई. नौ छात्रों को हिरासत में लेकर हनुमान चालीसा का पाठ खतम करा दिया गया. पुलिस की इस हरकत से छात्रों में जबरदस्त आक्रोश है. आक्रोश को देखते हुए आज नमाजियों ने कॉलेज कैंपस में नमाज भी नहीं पढ़ी. छात्रों ने आने वाले जुमे की नमाज का बहिष्कार किया है.
इस बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए कॉलेज प्रशासन ने सर्कुलर जारी करते हुए कैंपस में आईडी कार्ड कंपल्सरी कर दिया है. कॉलेज के प्रिंसिपल धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि अब चाहे छात्र हों या कोई बाहरी व्यक्ति, सबको पहचान पत्र और उनकी आवश्यकता को देखते हुए ही कॉलेज कैंपस में एंट्री दी जाएगी.
क्या था वक्फ बोर्ड और यूपी कॉलेज से जुड़ा विवाद?
100 एकड़ में फैले यूपी कॉलेज पर यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने छह साल पहले वक्फ प्रॉपर्टी होने का दावा किया था. 115 साल पुराने इस स्वशासी महाविद्यालय को 6 दिसंबर 2018 को यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, लखनऊ के सहायक सचिव आले अतीक ने वक्फ एक्ट 1995 के तहत नोटिस भेजा था कि भोजूबीर तहसील सदर के रहने वाले वसीम अहमद खान ने रजिस्ट्री पत्र भेजकर ये बताया है कि यूपी कॉलेज छोटी मस्जिद नवाब टोंक की संपत्ति है, जिसे नवाब साहब ने छोटी मस्जिद को वक्फ कर दिया था.
चैरिटेबल एंडाउमेंट एक्ट के अंतर्गत आधार वर्ष के उपरांत ट्रस्ट की जमीन पर अन्य किसी का मालिकाना हक स्वयं समाप्त हो जाता है. इसके बाद से यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से कोई नोटिस नहीं आया. यूपी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले कॉलेज कैंपस की मस्जिद में कुछ निर्माण कार्य कराया जा रहा था, जिसे प्रशासन से कहकर रुकवा दिया गया था. मस्जिद के बिजली का कनेक्शन भी कॉलेज से ही था, जिसे हटवा दिया गया है. उनको अपना कनेक्शन लेने के लिए कह दिया गया है.
अब कहां हैं वसीम अहमद खान?
इस मामले में जब वसीम अहमद खान से संपर्क करने की हमने कोशिश की तो पता चला कि पिछले साल 75 वर्ष की अवस्था में उनका इंतकाल हो गया था. उनके बेटे तनवीर अहमद खान ने बताया कि 2018 में वक्फ बोर्ड को उनके पिता ने ये रजिस्ट्री पत्र भेजा था, लेकिन 2022 में उनके पिता ने वक्फ बोर्ड को ये भी बता दिया था कि उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती. लिहाजा वो इस मामले को परस्यू नहीं कर सकते.
तनवीर अहमद खान ने बताया कि 1857 के गदर में टोंक के नवाब को अंग्रेजों ने यहां नजरबंद किया था. उनके लोग उनकी वजह से यहां बस गए थे और नवाब साहब ने अपने लोगों के लिए बड़ी मस्जिद और छोटी मस्जिद बनवाई थी. यूपी कॉलेज के परिसर में छोटी मस्जिद है. अब अब्बा के न रहने पर हमारा इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है.
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