महाराष्ट्र से झारखंड तक…पिता की सियासत खत्म करने में जुटे ये नेता बेटे-बेटियां कौन हैं?

देश की राजनीति में आमतौर पर बेटे-बेटियां अपने पिता की सियासी विरासत को संभालते हैं और उसे आगे बढ़ाने की कोशिश करते हैं, लेकिन इस बार महाराष्ट्र और झारखंड में 3 ऐसे बेटे-बेटियां भी हैं, जो अपनी पिता को ही पटखनी देने के लिए मैदान में उतर गए हैं. यह तीनों ही बेटे-बेटियां अपने पिता को हराकर सियासी दबदबा बनाए रखना चाहते हैं.

इन 2 नेता पुत्र-पुत्रियों में 2 झारखंड तो एक महाराष्ट्र के हैं. इस स्टोरी में इन्हीं तीनों की कहानी को विस्तार से पढ़िए…

मंत्री पिता के खिलाफ बेटी मैदान में

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में अहेरी नामक विधानसभा की सीट है. 2019 में इस सीट से एनसीपी के आत्रम धर्मतराव चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. आत्रम को इलाके का दिग्गज नेता माना जाता है. 2023 में जब एनसीपी में बगावत हुई तो आत्रम अजित के साथ निकल गए.

अजित ने एकनाथ शिंदे की सरकार में आत्रम को कैबिनेट मंत्री बनवाया. आत्रम की बगावत शरद पवार को नागवर गुजरी. उन्होंने आत्रम को घेरने के लिए उनकी बेटी को ही साथ ले लिया.

आत्रम की बेटी भाग्यश्री अब शरद गुट की तरफ से अहेरी में ताल ठोक रही हैं. 31 वर्षीय भाग्यश्री ने पुणे विद्यापीठ से ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है. भाग्यश्री का पेशा बिजनेस है और उनके पास कुल 72 लाख की संपत्ति है.

मथुरा महतो के खिलाफ दिनेश उतरे

झारखंड के टुंडी विधानसभा से मथुरा महतो विधायक हैं. 2019 में मथुरा महतो ने जेएमएम के सिंबल पर जीत हासिल की थी. मथुरा महतो की गिनती जेएमएम के बड़े नेताओं में होती है. महतो लोकसभा के चुनाव भी लड़ चुके हैं.

इस बार महतो को फिर से जेएमएम ने टुंडी से सिंबल दिया है, लेकिन इस बार उनकी टेंशन बेटे दिनेश ही बढ़ा रहे हैं. दिनेश ने यहां से निर्दलीय पर्चा भर दिया है. कहा जा रहा है कि टुंडी ने दिनेश ही चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन जेएमएम हाईकमान ने इसे नहीं माना.

कुर्मी बहुल टुंडी सीट को मथुरा महतो का गढ़ कहा जाता है. हालांकि, कहा जा रहा है कि टुंडी में दिनेश महतो से झारखंड मुक्ति मोर्चा उम्मीदवारी वापस लेने का दबाव बना रही है. 4 नवंबर तक यहां की तस्वीरें साफ हो जाएगी.

झरिया में रुस्तम के सामने सद्दाम हुसैन

झारखंड के झरिया सीट पर भी पिता और पुत्र आमने-सामने की लड़ाई लड़ रहे हैं. यहां नई-नवेली पार्टी JLKM के सिंबल पर रुस्तम अंसारी मैदान में हैं. रुस्तम पहले भी इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. 2014 में रुस्तम को इस सीट से 18 हजार से ज्यादा वोट मिले थे.

इस बार झरिया सीट पर रुस्तम के साथ-साथ उनके बेटे भी मैदान में उतर गए हैं. रुस्तम के बेटे सद्दाम हुसैन ने यहां से निर्दलीय ही पर्चा दाखिल कर दिया है. झरिया को कोलनगरी के रूप में जाना जाता है और यहां मजदूरों के साथ-साथ मुस्लिम आबादी भी एक्स फैक्टर है.

झरिया विधानसभा में इस बार मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच है. कांग्रेस को झारखंड मुक्ति मोर्चा तो बीजेपी को आजसू से यहां समर्थन प्राप्त है. इसके अलावा भी कई दल दोनों ही गठबंधन में शामिल हैं.

झारखंड में 81 तो महाराष्ट्र में 288 सीटों पर चुनाव

झारखंड में विधानसभा की 81 और महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटों पर चुनाव होने हैं. झारखंड की 81 सीटों पर दो चरणों में चुनाव कराए जाएंगे. वहीं महाराष्ट्र में एक ही चरण में सभी 288 सीटों पर चुनाव प्रस्तावित है.

महाराष्ट्र और झारखंड में एनडीए और इंडिया गठबंधन में ही सीधा मुकाबला है. झारखंड में वर्तमान में इंडिया तो महाराष्ट्र में एनडीए गठबंधन की सरकार है. महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 145 और झारखंड में 42 विधायकों की जरूरत होती है.

महाराष्ट्र इंडिया गठबंधन में शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरद), कांग्रेस और सपा शामिल हैं. इसी तरह एनडीए में बीजेपी, एनसीपी (अजित) और शिवसेना (शिंदे) जैसी पार्टियां शामिल हैं.

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