क्या राजनीतिक रंजिश की वजह से हुई बाबा सिद्दीकी की हत्या? जानें पुलिस क्या बोली

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का जल्द ऐलान होने वाला है. इससे पहले एनसीपी नेता और पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की शनिवार की हत्या से राजनीतिक हडकंप मच गया है. हाल में बाबा सिद्दीकी कांग्रेस छोड़कर एनसीपी (अजित पवार) गुट में शामिल हुए थे. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या राजनीतिक रंजिश की वजह से बाबा सिद्दीकी की हत्या हुई है. मुंबई की किलो कोर्ट में रविवार को बाबा सिद्दीकी हत्याकांड के दो कथित शूटरों में से एक को 21 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया और दूसरे के नाबालिग होने का दावा करने के बाद उसकी अस्थि परीक्षण का आदेश दिया.

बता दें कि बाबा सिद्दीकी पर शनिवार रात करीब 9:30 बजे बांद्रा ईस्ट के निर्मल नगर इलाके में अपराधियों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थी. उन्हें आनन-फानन में लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी मौत हो गई.

उत्तर प्रदेश के निवासी धर्मराज कश्यप और हरियाणा के आरोपी गुरमैल सिंह की रिमांड मांगते हुए पुलिस ने अदालत से कहा कि पुलिस इस पहलु की जांच करना चाहती है कि क्या यह हत्या राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का नतीजा है, क्योंकि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव बहुत ही नजदीक हैं.

नाबालिग आरोप का अस्थि परीक्षण का आदेश

पुलिस ने कोर्ट को बताया कि आरोपियों के पास से 28 जिंदा गोलियां जब्त हुई है. ऐसे में पूरी वारदात की जानकारी और किसी दूसरी घटना के होने से रोकने के लिए हिरासत में पूछताछ की जरूरत है. पुलिस ने बताया कि मामले की जांच के लिए दस टीमें बनाई गई हैं, जिसमें दो लोग अभी भी वांछित हैं.

अदालत ने सिंह को 21 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया, जबकि कश्यप की उम्र निर्धारित करने के लिए अस्थि परीक्षण का आदेश दिया गया. अदालत ने पुलिस को परीक्षण पूरा होने के बाद कश्यप को फिर से पेश करने का निर्देश दिया, जिसके बाद यह तय किया जाएगा कि उसके खिलाफ कार्यवाही नियमित अदालत में होगी या किशोर अदालत में. रिमांड आवेदन की सुनवाई की शुरुआत में, कश्यप ने अदालत को बताया कि वह 17 साल का है, इसलिए नाबालिग है.

हालांकि, पुलिस ने अदालत को बताया कि उनके पास से बरामद आधार कार्ड से उसकी उम्र 21 साल बताई गई है. पुलिस ने यह भी कहा कि उन्होंने कश्यप की उम्र की पुष्टि करने वाला कोई अन्य दस्तावेज जब्त नहीं किया है.

इसके बाद अदालत ने कार्यवाही रोक दी और अभियोजन पक्ष से संबंधित आधार कार्ड पेश करने को कहा. पुलिस ने अपने एक अधिकारी के मोबाइल फोन से ली गई कार्ड की तस्वीर पेश की. अदालत ने बचाव पक्ष से पुष्टि करने को कहा कि आधार कार्ड पर दी गई जानकारी सही है या नहीं. बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि जानकारी सही है.

आरोपी को कौन कर रहा था फंडिंग?

दोनों आरोपियों की 14 दिन की रिमांड मांगते हुए पुलिस ने कहा कि गोलीबारी की घटना से पहले दोनों कुछ दिनों के लिए मुंबई और पुणे में रुके थे और यह पता लगाने की जरूरत है कि उन्हें कौन फंड दे रहा था.

पुलिस ने अदालत को बताया कि यह भी पता लगाने के लिए जांच की जरूरत है कि दोनों ने अपराध में इस्तेमाल किए गए हथियार और वाहन को कैसे हासिल किया और साथ ही फायरिंग की ट्रेनिंग किसने दी. अभियोजन पक्ष ने कहा कि मारा गया व्यक्ति कोई आम व्यक्ति नहीं था, बल्कि सुरक्षा प्राप्त एक पूर्व मंत्री था और फिर भी वे उसे गोली मारने में कामयाब रहे.

पुलिस ने अदालत को बताया कि यह एक संवेदनशील अपराध था और विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण, इस बात की जांच करने की जरूरत है कि क्या कोई राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता शामिल है. पुलिस ने यह भी कहा कि इस मामले में कोई अंतरराष्ट्रीय लिंक तो नहीं है, इसकी भी जांच करने की जरूरत है.

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