रतन टाटा की कुंडली का पारस पत्थर योग, मिट्टी को सोना बना दिया, लेकिन इस योग ने नहीं होने दी शादी

देश के महान उद्योगपति रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं हैं. बुधवार की शाम उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली थी. रतन टाटा भले ही अपने प्रेम संबंध को सर्वोच्च परिणाम तक नहीं ले जा पाए, लेकिन लोक व्यवहार में उन्होंने जो भी चाहा हासिल किया. उन्हें किसी भी काम में सहज ही उपलब्धि कैसे मिल जाती थी? इस सवाल को लेकर अक्सर अन्य उद्योगपति ही नहीं, ज्योतिष विज्ञान के जानने वाले लोग भी हैरान रह जाते थे. दरअसल, इस सवाल का जवाब उनके जन्म की परिस्थिति को देखने को मिल जाता है. दरअसल रतन टाटा की जन्म कुंडली ऐसी है, जिसमें वह किसी भी काम में हाथ लगाते ही सृष्टि के सभी ग्रह और नक्षत्र खुद सफलता का मार्ग बनाने लग जाते थे.

आइए, यहां उनकी जन्म कुंडली पर एक सरसरी नजर डालते हैं. रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 की सुबह 6.30 बजे हुआ था. उनकी जन्मकुंडली धनु लग्न और तुला राशि की है. उनके लग्न में सूर्य, बुध और शुक्र शानदार पोजिशन में बैठे हैं. बड़ी बात यह कि गुरू बृहस्पति धन भाव में है और मंगल तीसरे भाव में. इसी प्रकार शनि की स्थिति चतुर्थ भाव में है. जबकि चंद्रमा एकादश और राहु-केतु बारहवें व छठें भाव में बेहतर समीकरण बना रहे हैं. इस परिस्थिति में रतन टाटा की लग्न कुंडली में दुर्लभ बुधादित्य योग बन रहा है. यह परिस्थिति जातक को दूर दृष्टि के साथ तत्काल और बेहतर परिणाम वाला निर्णय देने की शक्ति प्रदान करता है. दूसरे शब्दों में कहें तो इस परिस्थिति की वजह से ही उन्हें कोई भी काम करने से पहले ही हानि और लाभ का ज्ञान हो जाता था.

Ratan Tata kundli:लग्न कुंडली में बुधादित्य योग

तमाम ज्योतिष विज्ञानी लग्न कुंडली में इस तरह के योग को पारस पत्थर योग की संज्ञा देते हैं. इसका अर्थ यह होता है कि इस योग का स्वामी यदि किसी काम को छू दे या किसी भी काम में उसका नाम भी शामिल हो जाए तो सफलता का प्रतिशत अपने आप बढ़ जाता है. वहीं कुंडली में सूर्य की ताकतवर स्थिति उन्हें आत्मविश्वासी और दृढ इच्छा शक्ति वाला बनाती थी. लग्न कुंडली में मौजूद तीन ग्रहों में से एक शुक्र का भी उनके जीवन पर बड़ा प्रभाव देखने को मिलता है. इस कुंडली में शुक्र 4 डिग्री पर हैं. यह परिस्थिति उनकी उच्च महत्वकांक्षा को तो दर्शाती ही है, उनके पारिवारिक जीवन को भी स्पष्ट करती है. इसके ही वजह से रतन टाटा के जीवन में प्रेम संबंध तो बने, लेकिन वैवाहिक परिणाम तक नहीं पहुंच सके. लेकिन यही शुक्र उनकी शैक्षिक स्थिति को भी उच्च स्तर तक ले जाने में कारगर रहा है.

Ratan Tata’s Graha Dasa: दशमेश बुध और भाग्येश का योग

रतन टाटा की लग्न कुंडली में बुध का बली होना उन्हें सफल बिजनेसमैन बनाता है. दशमेश बुध और भाग्येश का योग भी उन्हें राज योग प्रदान करता है. इस योग की वजह से वह ना केवल व्यक्तिगत जीवन में उन्नति करते हैं, बल्कि उन्हें सामाजिक और कारोबारी प्रतिष्ठा भी हासिल होती है. यही नहीं, उनसे जुड़े लोग और संस्थाओं के लिए भी उन्नति के मार्ग खुल जाते हैं. बड़ी बात यह कि रतन टाटा की कुंडली में दशमेश बुध, भाग्येश सूर्य तथा लाभेश शुक्र का संयोग भी शुभ फल देने वाला बन जाता हैं. वैश्विक ख्याति दिलाने वाला यह दुर्लभ योग बहुत कम जातकों की कुंडली में पाया जाता है.

तीसरे भाव में मंगल ने बनाया कुशल आर्किटेक्ट

इस योग की वजह से उनका कारोबार ना केवल जंबूद्वीप, बल्कि समूचे मृत्युलोक यानी विश्व में चरम तक पहुंचा. रतन टाटा की कुंडली में लग्नेश बृहस्पति नीच राशि में नजर आ रहा है. यहां शनि केंद्र में होने की वजह से गुरु बृहस्पति का नीचभंग राजयोग बना हुआ है. रतन टाटा की कुंडली के करियर वाले भाव यानी दसवें स्थान पर शनि की दृष्टि है. चूंकि शनि की पहचान कल पुर्जों से है. इसलिए यही शनि उन्हें कुल पुर्जों के कारोबार में श्रेष्ठ फल देने वाला बन जाता है. वहीं तीसरे भाव में मंगल उन्हें अच्छा कलाकार भी बनाता है. इसी दशा की वजह से रतन टाटा एक अच्छे आर्किटेक्ट बन जाते हैं.

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