कश्मीर का वो नेता जिससे खौफ खा रहे महबूबा-अब्दुल्ला! जेल से हिला चुका है उमर की चूलें

जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला की पार्टी ने पूरा जोर लगा दिया है. ये चुनाव पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए अपनी खोई साख को हासिल करना का मौका है. फारूक की पार्टी को 2014 के चुनाव में शिकस्त का सामना करना पड़ा था तो वहीं महबूबा की पार्टी चुनाव के बाद सत्ता में तो आई, लेकिन इसके लिए उसे बीजेपी का सहारा लेना पड़ा. इस बार के चुनाव में दोनों ही पार्टियों को अवामी इतिहाद पार्टी (AIP) से ज्यादा डर लगता दिख रहा है. ऐसा महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के बयानों से जाहिर हो रहा है. दोनों ने इंजीनियर राशिद की पार्टी को बीजेपी का प्रॉक्सी बताया है.

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि राशिद जेल में हैं, फिर AIP हर जगह अपने उम्मीदवारों को कैसे लड़ा रही है. उन्होंने कहा कि मुफ्ती साहब को पार्टी बनाने में 50 साल लग गए और हमारे पास अभी भी इतने संसाधन नहीं हैं कि हम हर जगह उम्मीदवार उतार सकें. मैं जानना चाहती हूं, जो व्यक्ति (इंजीनियर राशिद) जेल में है वह संसदीय चुनाव लड़ता है, यह अच्छा है, लेकिन उनकी पार्टी के पीछे कौन है. कैसे उनके उम्मीदवार हर जगह खड़े हो जाते हैं.

महबूबा के आरोपों में कितना दम?

महबूबा मुफ्ती आगे कहती हैं कि पीडीपी, एनसी और कांग्रेस को छोड़कर अन्य सभी राजनीतिक दल और निर्दलीय उम्मीदवार बीजेपी के प्रॉक्सी हैं. उनका उद्देश्य कश्मीर में वोटों को विभाजित करना है. विशेष रूप से पीडीपी उनका लक्ष्य है. वे जानते हैं कि पीडीपी एकमात्र पार्टी है जो कश्मीर के लोगों के लिए खड़ी हुई. महबूबा मुफ्ती ने आगे कहा कि पीडीपी राजनीतिक कैदियों के लिए खड़ी हुई. हमारी पार्टी केंद्र सरकार के धारा 370 हटाने के फैसले का विरोध कर रही है. AIP के उम्मीदवारों को सरकार से पैसा और सुरक्षा मिलती है.

पीडीपी प्रमुख ने कहा कि मैं सरकार से पूछना चाहती हूं कि क्या वे इंजीनियर रशीद साहब की पार्टी को सामने लाना चाहते हैं. आपकी अन्य सभी प्रॉक्सी पार्टियां विफल हो गई हैं और अब आप पैसे और अन्य तरीकों से उसका पूरा समर्थन करते हैं. हमें सीधे बताएं कि किसी अन्य राजनीतिक दल को चुनाव नहीं लड़ना है.

इससे पहले उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बीजेपी ने केंद्र शासित प्रदेश में सरकार बनाने में मदद के लिए कुछ दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ सौदा किया है. उनका लक्ष्य सिर्फ गांदरबल से एनसी उम्मीदवार उमर अब्दुल्ला ही है.

महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ऐसा बयान दे रहे हैं तो इसकी वजह भी है. दरअसल, इंजीनियर राशिद ने लोकसभा चुनाव में बारामूला में उमर अब्दुल्ला को शिकस्त दी थी.जेल से चुनाव लड़ने वाले इंजीनियर राशिद को 4 लाख 72 हजार 481 वोट मिले थे. उनका वोट प्रतिशत 45.7 फीसदी थी.

वहीं, उमर के खाते में 2 लाख 68 हजार 339 वोट आए थे. एनसी नेता को करीब 26 फीसदी वोट मिले थे. इस सीट पर पीडीपी चौथे स्थान पर रही थी. उसे यहां पर महज 2.66 फीसदी वोट मिला था.

इंजीनियर राशिद के साथ सिम्पैथी फैक्टर

इंजीनियर राशिद दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं. आर्टिकल 370 हटने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया. लोकसभा चुनाव के दौरान उनके बेटे अबरार अहमद ने प्रचार का मोर्चा संभाला था. उन्होंने रोड शो किया. बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक रोड शो में शामिल हुए थे.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इंजीनियर राशिद के साथ सिम्पैथी फैक्टर है. ऐसे बहुत कम नेता हैं जो जेल में बंद हैं और उनके रोड शो में भीड़ उमड़े. जनता ने इस उम्मीद में अपना समर्थन दिया कि राशिद की जीत उन्हें जेल से बाहर कर देगी. इंजीनियर राशिद के प्रति सहानुभूति की लहर ने जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और सज्जाद गनी लोन जैसे दिग्गजों को हरा दिया.

राशिद के भाई ने चुनाव के लिए छोड़ी सरकारी नौकरी

इंजीनियर राशिद के भाई खुर्शीद अहमद शेख ने चुनाव लड़ने के लिए सरकार नौकरी छोड़ दी है. उन्होंने VRS लिया है. वह 2003 से सरकारी स्कूल में शिक्षक थे. शेख ने कहा कि यह ‘पारिवारिक राज’ नहीं बल्कि ‘पारिवारिक बलिदान’ है. उन्होंने कहा, मैंने अपनी नौकरी दे दी, यह वंशवादी राजनीति नहीं बल्कि त्याग का उदाहरण है. पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी मैं उसके लिए तैयार हूं. राशिद की पार्टी का कहना है कि उसे घाटी की 47 सीटों में से 20 सीटें जीतने का भरोसा है. यदि वे ये सीटें जीतते हैं तो यह केंद्र शासित प्रदेश में सत्ता हासिल करने की क्षेत्रीय पार्टियों की कोशिश को झटका देगा.

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