छोटे दलों से तालमेल, निर्दलियों को समर्थन… क्या है BJP का ‘मिशन कश्मीर’?

बीजेपी जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव को लेकर गंभीर हो गई है. परिसीमन के बाद अब राज्य में इसी साल चुनाव होने के आसार बने हैं. ऐसे में बीजेपी के तरफ से चुनावी रणनीति खुद गृहमंत्री अमित शाह तैयार कर रहे हैं. हाल में ही अमित शाह और जेपी नड्डा ने राज्य में पार्टी का काम देख रहे ‘टीम 7’ के नेताओं के साथ बैठक भी की थी और राज्य की स्थिति और चुनाव की तैयारी की समीक्षा और रणनीति पर चर्चा की. इस बैठक में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष, रवींद्र रैना, संगठन महासचिव अशोक कौल, प्रदेश के तीन महामंत्री, जितेंद्र सिंह, जुगल किशोर शर्मा और चुनाव प्रभारी जी किशन रेड्डी शामिल हुए थे.

सूत्रों के मुताबिक पार्टी जम्मू कश्मीर के सभी सीटों पर चुनाव चर्चा लड़ने के बजाय अपना ध्यान जम्मू क्षेत्र के सभी सीट पर अपना ध्यान केंद्रित करेगी. परिसीमन के बाद जम्मू में विधानसभा सीटों की संख्या बढ़कर 37 से 43 हो गई है. वही कश्मीर में सिर्फ एक सीट की बढ़ोतरी हुई है और ये संख्या अब 46 से बढ़कर 47 हो गई है.

घाटी में छोटे दलों से बढ़ाएगी तालमेल

सूत्रों की मानें तो बीजेपी घाटी में खुद कम सीटों पर लड़ेगी और अधिकांश सीटों पर छोटे दलों से तालमेल करेगी और निर्दलीयों को समर्थन दे सकती है. सूत्रों के मुताबिक रफियाबाद, लोलाब ,करनाह, कुपवाड़ा, सोपोर, उरी, बारामूला, गुलमर्ग, गुरेज जैसे दर्जन भर सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है.इस बार का चुनाव इसलिए भी अहम है कि यह न सिर्फ राज्य में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद पहला विधानसभा चुनाव है, बल्कि पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का चुनाव भी है.

लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना उम्मीदवार घाटी में नहीं उतारा था लेकिन परोक्ष तौर पर राशिद इंजीनियर को समर्थन दिया था और राशिद बारामूला सीट जीतने में कामयाब रहे. अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद बीजेपी के लिए यहां का चुनाव काफी प्रतिष्ठा का है. आतंकवाद में कमी और बदले माहौल में बीजेपी को काफी उम्मीदें है.

आम चुनाव में उमर अब्दुल्ला तक को मिली हार

आम चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी को देखते हुए राज्य में चुनाव को लेकर खासा उत्साह है. आम चुनाव के नतीजे भी चौंकाने वाले रहे हैं. राज्य के दो क्षेत्रीय दलों के बड़े नेता पूर्व सीएम और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती और नेशनल कांफ्रेंस के नेता और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला को हार का सामना करना पड़ा. इस बार के लोकसभा में लोग बढ़चढ़ कर अपने मताधिकार का प्रयोग किए.

बीजेपी ने 2014 में बनाई थी सरकार

बीजेपी ने 2014 के पिछले विधानसभा चुनाव में पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. तब 87 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी को जम्मू क्षेत्र में 25 सीटों पर बड़ी जीत मिली थी जबकि पीडीपी ने घाटी में 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बाद में यह गठबंधन टूट गया था. 2019 के बाद हालात बदल गए हैं. जम्मू- कश्मीर का विभाजन हुआ और लद्दाख जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेश बने.

हाल ही में खत्म हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कश्मीर घाटी के तीनों लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार खड़े नहीं किए थे. ऐसे में विधानसभा चुनाव में बगैर घाटी में उम्मीदवार उतारे सरकार बनाने के लिए बहुमत पाना नामुमकिन है.

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