10 एपिसोड, 10 घंटे की मिर्जापुर की वो 5 खामियां जो इसे बाकी दोनों सीजन से बोरिंग बनाती हैं

खूब जोर-शोर और तैयारी के साथ मिर्जापुर 3 जारी कर दी गई है. कई लोगों ने आते ही सीरीज लपक ली है और देख भी डाली. मैं भी उनमें से एक हूं. इस बार सीरीज के 10 एपिसोड्स आए हैं. और सभी भारी-भरकम हैं. मतलब 1 घंटे तक के. सीरीज के पहले दोनों पार्ट काफी हिट रहे और पूरा माहौल बनाया. बस उस माहौल को ही 4 साल बाद मेकर्स ने भुनाने की कोशिश की है और कहानी को विस्तार दे दिया है. ये विस्तार सीरीज को इस बार जरा बोरिंग कर चला है. क्योंकि जो वॉव फैक्टर दोनों पार्ट्स में देखने को मिला था वो इस बार गायब नजर आ रहा है. इसकी 5 बड़ी वजहें हैं. आइये उनपर गौर करते हैं और देखते हैं कि इस बार मेकर्स से बड़ी चूंक कहां हुई.

नो मुन्ना भैया

सीरीज की शुरुआत जब हुई थी जो सबसे ज्यादा हाइप मुन्ना भैया ने क्रिएट की थी. सीरीज में उनका रोल भी तगड़ा था. एक बड़े बाहुबली के बिगड़ैल बेटे का रोल उन्होंने प्ले किया था. सीरीज में उनकी दबंगई का अलग ही जलवा देखने को मिला. दिव्येंदु शर्मा ने इस रोल को जैसा प्ले किया था उनका अंदाज लोगों को पसंद आया. अब इससे ज्यादा क्या कहा जा सकता है कि मिर्जापुर पर राज करने वाले गुड्डू भैया की इंस्पिरेशन भी मुन्ना ही थे. लेकिन मुन्ना का रोल दूसरे सीजन के अंत में ही खत्म कर दिया गया था. इस सीजन में वे नहीं हैं और सबसे बड़ा मिसिंग फैक्टर भी मुन्ना भैया ही हैं. क्योंकि इस कैरेक्टर की अपनी फैन फॉलोइंग है. उनका होना सीरीज में मायने रखता था.

 

कालीन भैया का शॉर्ट रोल

इस बार कालीन भैया का कैरेक्टर भी सीरीज में ज्यादा खर्च नहीं किया गया है. पहले हॉफ में तो बस उनकी झलक दिखी है. बाकी में भी उनके जरा-जरा से सीन्स हैं. इस सीरीज को लोग सिर्फ मार-धाड़ के लिए नहीं देखते. वैसे भी ये काल्पनिक सीरीज है. ऐसे में कालीन भैया का किरदार जो गढ़ा गया है वो इस सीरीज की जान है. उसके बिना सीरीज के 10 एपिसोड्स घसीट ले जाना बहुत रिस्की था. पता नहीं मेकर्स ने ये रिस्क क्यों लिया.

अपीलिंग किरदारों की कमी

पिछले सीजन्स में देखा गया कि कैसे लाला और रॉबिन के किरदार ने दर्शकों को खूब मौज कराई. इस बार भी इन दोनों किरदारों पर उतना फोकस नहीं किया गया. या ये भी नोटिस करने की बात है कि ऐसे नए किरदार लाए ही नहीं गए. लाने चाहिए थे. मजा तो तभी आता. इस बार की सीरीज में कुछ नया नहीं है.

डायलॉग्स की कमी

सीरीज पर शुरुआत से ही ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि इसमें काफी गाली-गलौज है. इस बार भी है. लेकिन पिछले दोनों पार्ट्स में डायलॉग्स का काफी अहम रोल था. इस बार वो गायब दिखे. गालियां और ज्यादा भर दी गईं. आम बोल-चाल जो चलन में है उसे रियलिस्टक दिखाने के लिए गालियों का इस्तेमाल किया जाता रहा है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं हो जाता कि आप डायलॉग्स खत्म ही कर दें. लाला का एक डायलॉग बड़े ह*मी हो मिया, या रॉबिन का बात-बात में ये भी ठीक है कहना, ऐसे कुछ छोटे-छोटे इनपुट्स ने दूसरे सीजन को खास बना दिया था. लेकिन इस बार ये भी मिसिंग है.

लंबे एपिसोड्स

ये आखिरी प्वाइंट है और ये अहम इसलिए हो जाता है क्योंकि सीरीज वैसे ही इस बार ज्यादा ग्रिपिंग नहीं है. ऊपर से इसे लंबा खींच दिया है. इस सीरीज को 8 एपिसोड्स में बनाना था. 10 बना डाले. और सभी लंबे-लंबे. तो ये भी एक वाजिब वजह है जिसे देख आप बोरिंग फील कर सकते हैं

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