मंदसौर। भारत सरकार की चीता पुनर्स्थापना योजना के अंतर्गत गांधीसागर अभयारण्य में चीते बसाने की तैयारी अब तेजी से पूरी हो रही है। अब तक हो चुकी तैयारियां पर्याप्त मानी जाती हैं तो जल्द ही गांधीसागर अभयारण्य में चीते दौड़ते दिखेंगे।
तैयारियों को देखने केन्या से आए छह सदस्यीय विशेषज्ञ दल ने गांधीसागर का निरीक्षण किया। विशेषज्ञों ने 6400 हेक्टेयर में बने बाडे, क्वारंटाइन बाड़ों, हाई मास्ट कैमरा, जलस्रोत मानीटरिंग के लिए बनाए गए स्थल और उपचार केंद्र सहित सभी तैयारियां देखीं।
इससे पहले दक्षिण अफ्रीका के दल ने भी अप्रैल में गांधीसागर अभयारण्य का निरीक्षण किया था। इसके बाद कुछ सुझाव वन विभाग को दिए गए। मंगलवार को पहले दिन गांधीसागर एवं कुनो प्रबंधन ने केन्या दल के विशेषज्ञों की मौजूदगी में तैयारियों और कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता प्रोजेक्ट के संबंध में प्रस्तुतिकरण दिया।
भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून एवं नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अर्थारिटी के विशेषज्ञों द्वारा भारत में वन्यप्राणियों की मानीटरिंग के लिए उपयोग किए जा रहे उपकरणों एवं तकनीकी के संबंध में भी दल को अवगत कराया गया।
दक्षिण अफ्रीका एवं नामीबिया के साथ हो चुका है एमओयू
भारत से विलुप्त हो चुके चीतों को पुनः बसाने के लिए भारत सरकार द्वारा दक्षिण अफ्रीका एवं नामीबिया के साथ पूर्व में ही एमओयू हस्ताक्षरित किया जा चुका है। वर्तमान में केन्या से आए दल द्वारा भी चीता पुनर्स्थापना के लिए चयनित स्थलों को भ्रमण किया जा रहा है, ताकि भविष्य में केन्या के साथ भी चीता के संबंध में आवश्यक कार्रवाई की जा सके, जो भारत में चीता पुनर्स्थापना एवं इनके संरक्षण के लिए चीता प्रोजेक्ट के माध्यम से किए जा रहे प्रयासों को और अधिक बल देगी।
केन्या से आए दल ने दो दिनों तक गांधीसागर अभयारण्य में चीतों को बसाने के लिए की गई सभी तैयारियों का निरीक्षण किया है। हमने लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। संभावना है कि जल्द ही गांधीसागर में चीते आएंगे। – राजेश मंडवारिया, अधीक्षक, गांधीसागर अभयारण्य।
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