मध्य प्रदेश से काम की तलाश में मेरठ गये बच्चू लाल तीस साल पहले परिवार वालों के लिए मर चुके थे. बच्चू लाल को घरवालों ने काफी ढूंढा लेकिन उनका कोई पता ठिकाना परिजनों को नहीं मिला. मनोसमर्पण संस्था के माध्यम से 30 साल बाद बच्चू लाल ने अपने परिवार वालों से वीडियो काल पर बात की तो उनकी आंखें छलक आईं.
उत्तर प्रदेश के बरेली में अजीबोगरीब मामला सामने आया है जहां मध्य प्रदेश से काम की तलाश में मेरठ गए बच्चू, 30 साल पहले परिवार वालों के लिए मर चुके थे. बच्चू लाल को घर वालों ने काफी ढूंढा लेकिन उनका कोई भी सुराग नहीं मिला तो परेशान होकर परिवार वालों ने बच्चू को मरा हुआ समझ लिया. मनोसमर्पण संस्था के माध्यम से 30 साल बाद बच्चू लाल ने अपने परिवार वालों से वीडियो कॉल पर बात की तो उनकी आंखें झलक आई. पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. परिवार वाले बच्चू लाल को वीडियो कॉल पर देखकर खुशी के मारे झूम उठे.
मध्य प्रदेश के रहने वाले बच्चू लाल 30 साल पहले उत्तर प्रदेश के मेरठ में काम की तलाश में आए थे. इसके बाद वह वह कभी परिवार से संपर्क में नहीं आ पाए. परिवार वालों का बच्चू लाल से हर संपर्क टूट गया. बच्चू लाल के परिवार वालों ने उन्हें तलाशने की काफी कोशिश की लेकिन उनका कोई पता नहीं चल सका. वह बच्चू को मृतक समझ कर अपने घर बैठ गए. लेकिन, मनोसमर्पण संस्था की टीम को बरेली के पीलीभीत रोड पर बच्चूलाल लावारिश और बदहवास हालत में मिले हैं. बच्चू लाल को बरेली के रजऊ परसपुर के स्थित मनोसमर्पण पुनर्वास केंद्र लाया गया.
परिजन बच्चू लाल को ले गए
बताते चलें कि परिवार को सूचना देने के बाद बच्चू लाल के पिता बुढनवाह, पुलिस थाना गोहपारु, जिला शहडोल, मध्यप्रदेश सकुशल पहुंच गए. बच्चूलाल को लेने उनके भाई और बहनोई लेने पहुंचे. बच्चू लाल के मिलने के बाद पूरे परिवार में खुशी का माहौल है और पूरा परिवार खुशी की लहर में झूम रहा है. वहीं भाई और बहनों ने मनोसमर्पण संस्था का धन्यवाद कहा है.
साइकोलॉजिस्ट शैलेश शर्मा ने दी डिटेल
वहीं मनोसमर्पण के फाउंडर और साइकोलॉजिस्ट शैलेश शर्मा ने जानकारी देते हुई बताया कि बच्चूलाल पीलीभीत रोड पर बेहोशी की हालत में मिले थे. उसके बाद पुलिस की मदद से संस्था लाया गया फिर काउंसलिंग की तो धीरे धीरे उनकी मानसिक स्थिति में काफी सुधार हुआ. अपने घर परिवार की जानकारी दी. शैलेश शर्मा ने बताया कि जब परिवार को बच्चूलाल के बारे में बताया तो उन्हें बिलकुल यकीन ही नहीं हुआ.
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