मंगेली में अवैध आश्रम तोड़ने से पहले ही भोपाल से आया फोन, आश्रम में रह रहीं गायों की सुरक्षा को लेकर निर्णय
नर्मदा नदी के 300 मीटर की परिधि में बने मंगेली में अवैध आश्रम को तोड़ने की तैयारी प्रशासन ने मंगलवार रात को पूरी कर ली थी लेकिन और वक्त पर भोपाल से फोन आते ही तैयारी पर पानी फिर गया. सूत्रों की माने तो भोपाल से प्रदेश सरकार ने कार्यवाही को फिलहाल रोकने की निर्देश दिए हैं. आचार संहिता और आश्रम में गायों का हवाला देकर आश्रम और उससे जुड़े अनुयायियों ने भोपाल में मुख्यमंत्री के पास गुहार लगाई थी, इसके बाद कार्यवाही की तैयारी को तत्काल रोक दिया गया।
आश्रम में रह रहीं गायों की सुरक्षा को लेकर यह कार्रवाई रुकी गई
जबलपुर तहसील के एसडीएम अभिषेक सिंह ने बताया कि आश्रम को तोड़ने की कार्रवाई फिलहाल अभी नहीं की जाएगी।जल्दी ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। सूत्रों की मानें तो हाई कोर्ट में लगी आश्रम को न तोड़ने की याचिका खारिज होने के बाद भी आश्रम से जुड़े एक जनप्रतिनिधि ने इस मामले को लेकर भोपाल में शिकायत की। इसके बाद कार्रवाई को फिलहाल रोका गया है। बताया जाता है कि आश्रम में रह रहीं गायों की सुरक्षा को लेकर यह कार्रवाई रुकी गई।
रिसोर्ट बनाने 40 में से 36 एनओसी ली
भेड़ाघाट, धुंआधार, न्यू भेड़ाघाट के ग्राम गोपालपुर में आने वाले कई ऐसे रिसोर्ट हैं, जिन्होंने प्रशासन, शासन से लेकर नगर निगम, नगर परिषद, फायर, प्रदूषण, पर्यटन विभाग समेत कई जगहों से निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) ले ली। यहां तक की अवैध निर्माण के लिए कई ऐसे प्रोजेक्ट बनाए गए, जिसमें पर्यटन, पर्यटक का हवाला देकर इनकी एनओसी ली, लेकिन निर्माण होने के बाद यह यह दोनों से दूर हो गए।
किंग आफ क्लाउड रिसोर्ट में भी यही हुआ
गोपालपुर ग्राम धुंआधार से 100 मीटर की परिधि में बने किंग आफ क्लाउड रिसोर्ट में भी यही हुआ। इस रिसोर्ट के लिए लगभग 40 एनओसी की जरूरत थी, जिसमें पर्यटन विभाग से लेकर फायर, सेफ्टी समेत मध्यप्रदेश और केंद्र सरकार स्तर पर लगभग 38 एनओसी ले ली गई। अवैध निर्माण के बाद भी एनओसी लेने में किसी तरह की परेशानी नहीं आई, लेकिन जब मामला जिला प्रशासन के पास अंतिम स्वीकृति के लिए पहुंचा तो इसे रोक दिया गया। इधर यह मामला नईदुनिया में प्रकाशित होने के बाद कलेक्टर दीपक सक्सेना ने गोरखपुर एसडीएम को इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं।
नर्मदा घाट का सौंदर्य और पर्यटकों की जान, खतरे में
जानकारों के मुताबिक किंग आफ क्लाउड रिसोर्ट में पर्यटकों की सुरक्षा को देखते हुए गोरखपुर तहसीलदार ने स्टेट आर्डर जारी किया, बावजूद इसके रिसोर्ट बनकर तैयार हो गया, लेकिन अब कलेक्टर के जांच के आदेश के बाद इसके निर्माण के लिए ली गई एनओसी और जमीन अधिगृहण से जुड़े तथ्यों की जांच होगी। वहीं इसमें जिन विभाग और अधिकारियों ने इसे एनओसी ली, उसकी भी सहभागिता देखी जाएगी। दूसरी ओर मंगलवार को गोरखपुर तहसीलदार रश्मि चौधरी ने इस मामले में नोटिस जारी की जमीन के मालिक को बयान देने बुलाया है वहीं संचालकों से स्टेट के बाद निर्माण की वजह पूछी गई है। हालांकि इसकी जांच करने वाले अधिकारी, इसे कितनी गंभीरता से लेते हैं, यह भी जांच का विषय है।
नगर परिषद के कर्मचारियों को भी नोटिस
नर्मदा तट के 300 मीटर के दायरे में अवैध निर्माण रूकने का नाम नहीं ले रहे। हालात यह है कि भेड़ाघाट में सबसे ज्यादा अवैध निर्माण 2008 के बाद हुए। इनका निर्माण करने वालों में न सिर्फ रिसोर्ट के मालिक, राजनेता बल्कि जिन्हें अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी दी है, उन्होंने भी अवैध निर्माण कर दो से तीन मंजिल मकान तान दिया। ऐसे ही एक मामला नगर परिषद भेड़ाघाट का है। यहां के एक शासकीय कर्मचारी ने घर की मरम्मत के नाम पर तीन मंजिल मकान तान दिया। इसकी जानकारी तक परिषद को लगी तो सीएमओ ने उन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा। जवाब में उन्होंने घर की मरम्मत का हवाला देकर निर्माण कर लिया। परिषद प्रशासन के मुताबिक अब तक 25 से ज्यादा लाेगों को अवैध निर्माण करने के लिए नोटिस दिया गया।
जिलहरी घाट पर हो गए अवैध निर्माण
श्री त्रिमूति कला मंदिर पंसारी मोहल्ला ने जिलहरी घाट पर हो रहे अवैध निर्माण पर रोक लगाने की मांग की है। मंदिर के पदाधिकारियों ने बताया कि ग्वारीघाट वार्ड की सीमा में आने वाले इस घाट की मुख्य सड़क और साइड की सड़क पर अतिक्रमण हो गए हैं। अवैध रूप से यहां पर साइकिल स्टैंड चल रहा है। इस पर रोक लगाने की मांग की गई है।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.