रोशनी के त्योहार पर भी अंधेरी सड़कें

ग्वालियर (नप्र)। त्योहारी सीजन आ गया है लेकिन शहर में शाम ढ़लते ही अंधेरा है। 20 हजार स्ट्रीट लाइटें ठप पड़ीं हैं और वीआइपी गांधी रोड जहां अफसराें के बंगले हैं वहां शाम ढ़लने से पहले लाइटें जल जाती हैं। ग्वालियर की फिलहाल यही हकीकत है। स्मार्ट सिटी कंपनी के पास चेतावनी देने के बहाने के अलावा कुछ नहीं है। शहर के पाश इलाके हों या मुख्य मार्ग, रात को वाहनों की हेडलाइट के भरोसे सफर होता है। आचार संहिता और वीआइपी मूवमेंट में व्यस्त अफसरों के पास जनता की इस परेशानी को दूर करने समय नहीं है। यह भी याद होगा कि यहां यह हालत है कि खुद कलेक्टर को नगर निगम को पत्र लिखकर कलेक्ट्रेट की स्ट्रीट लाइटें सुधरवानी पड़ीं थीं। बुधवार को नईदुनिया टीम ने शाम ढ़लने के बाद अंधेरे के हाल की पड़ताल की जिसमे बुरे हालात सामने आए।

ठप पड़ी हैं 20 हजार लाइटें

एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईइएसएल) से स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन ने दो साल पहले शहर में 62 हजार स्ट्रीट लाइटें लगवाई थीं, लेकिन गुणवत्ता में कमी के कारण ये लाइटें लगातार खराब हो रही हैं। शहर में वर्तमान में 20 हजार से ज्यादा लाइटें बंद पड़ी हुई हैं इसका कारण है कि कंपनी इनकी रिपेयरिंग के लिए उपकरण सप्लाई में ही फेल हो गई है। हालांकि स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन ने नए सिरे से संचालन एवं संधारण की टेंडर प्रक्रिया कर नोएडा की एचपीएल इलेक्ट्रिकल्स कंपनी को ठेका सौंप दिया। कंपनी ने लाइटों की मरम्मत के लिए निर्धारित से आधे संसाधन लगा रखे हैं, स्थिति यह है कि अब उपकरण सप्लाई में भी ये कंपनी फेल होती नजर आ रही है। हालांकि जिम्मेदारों ने संबंधित कंपनी को नोटिस जारी करते हुए सुधार काम तेजी लाने के लिए अंतिम चेतावनी भी दी है। स्मार्ट सिटी रोजाना 700 स्ट्रीट लाइटें सुधारने का दावा करती है वहां, कंपनी औसतन सिर्फ 117 ही सुधार पा रही है ।

शिकायतों के बाद भी लापरवाही बरकरार

ऐसा नहीं है कि इन समस्याओ की शिकायत नहीं हुई है। स्थानीय क्षेत्रवासियों सहित जनप्रतिनिधियों ने भी इस मामले में कई बार शिकायत की है लेकिन फिर भी न तो कोई सुनने को तैयार है और न परेशानी का निराकरण करने को तैयार है। लिखित आवेदन के माध्यम से शिकायतों सहित सीएम हेल्पलाइन तक पर कई शिकायतें दर्ज है लेकिन समाधान के नाम पर सिर्फ कछुआ चाल से काम हो रहा है। हालात यह हैं कि यहां एक स्ट्रीट लाइट सुधरती है तो वहां तीन खराब हो जाती है।

टैफिक सुधार की कवायद बैठक तक सीमित

लश्कर के बाजारों में ट्रैफिक सुधार की कवायद सिर्फ बैठक तक सीमित हो गई है। तीन दिन पहले महाराज बाड़ा और आसपास के प्रमुख बाजारों में ट्रैफिक सुधार के बिंदुओं पर पुलिस अधिकारियों ने कारोबारियों से चर्चा की। तमाम बिंदु तय हुए, लेकिन यह सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहे। बुधवार को महाराज बाड़ा और आसपास के बाजारों में दिनभर जाम लगता रहा। ट्रैफिक सुधार के लिए कई बिंदु तय हुए, इन पर कार्रवाई होनी थी, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ।

जगह जगह लग रहा है जाम

यह वजह..जिनकी वजह से लग रहा जाम, इन पर होनी थी कार्रवाई गलत दिशा में आने वाले वाहन माधौगंज चौराहा, चिठनीस की गोठ से महाराज बाड़े की तरफ गलत दिशा में आने वाले वाहन और महाराज बाड़े से दौलतगंज की तरफ जाने वाले वाहन जाम लगा रहे हैं। माधौगंज से छापे खाने की तरफ आने वाले रास्ते पर बेरीकेड लगा दिए गए हैं, लेकिन यहां ट्रैफिक प्वाइंट न होने की वजह से वाहन आ रहे हैं। चिठनीस की गोठ से गाड़ियां गलत दिशा में आ रही हैं। इससे महाराज बाड़े पर जाम लग रहा है। सामने पुलिस चौकी पर पुलिसकर्मी रहते हैं, लेकिन जाम खुलवाने तक नहीं पहुंचते। ट्रैफिक प्वाइंट यहां दिन में गायब था। इसी तरह महाराज बाड़े से दौलतगंज की तरफ गलत दिशा में गाड़ियां आ रही थी। इन पर भी कार्रवाई चल रही थी।

सड़क पर कब्जा

महाराज बाड़ा, सराफा बाजार और दौलतगंज में सड़क पर कब्जा है। महाराज बाड़े पर हाकर्स और हाथ ठेले बैठ रहे हैं। पैडस्ट्रियन जोन में पैदल चलने की जगह नहीं है। तीन दिन पहले हुई बैठक में तय हुआ था, इन पर कार्रवाई होगी लेकिन बुधवार को सुबह से शाम तक हाकर्स बैठे थे। सराफा बाजार में स्थाई रूप से खड़ी होने वाली गाड़ियां जाम की सबसे बड़ी वजह हैं। पहले स्थाई रूप से खड़ी गाड़ियां जगह घेरती हैं। इसके दुकानदारों की गाड़ियां खड़ी होती है। फिर यहां ग्राहकों की गाड़ियां लगती है। इससे आधी से ज्यादा सड़क घिरी हुई है। इसलिए यहां जाम के हालात बन रहे हैं। यहां स्थाई रूप से खड़ी गाड़ियों को हटाया जाना था।

पार्किंग चिह्नित, गाड़ियां सड़क पर ही लग रहीं

महाराज बाड़ा और आसपास के बाजारों में खरीदारी करने आने वाले लोगों के लिए पार्किंग स्पाट चिन्हित कर दिए गए हैं। लेकिन यहां गाड़ियां खड़ी नहीं हो रहीं। गाड़ियां सड़क पर ही लग रही हैं। गाड़ियां सड़क पर खड़ी होने से जाम लगता ।

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Pradesh Samna
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