शहडोल। गणेश महोत्सव कल यानी 19 सितंबर से शुरू होने जा रहा है। इसके लिए लोगों ने जमकर तैयारियां की हैं। इस बार भी लोगों ने अपने अपने घरों में प्रथम पूज्य भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करने की तैयारी की है। अधिकांश लोगों ने छोटी प्रतिमाएं ही बाजार से लाकर पूजा घर में रखने की तैयारी की है
घर में खुद बना रही प्रतिमा
कुछ तो ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने अपने हाथों से मिट्टी की प्रतिमा को साकार रूप दिया है और अब इसको बेहद आकर्षक ढंग से सजाकर मंगलवार को विधि विधान से स्थापित करने को तैयार हैं। शहर के कृष्णा कालोनी में रहने वाली सानिध्या शर्मा उनमें से एक हैं इन्होंने पांच साल पहले अपने हाथों से गणेश की प्रतिमा को बनाया था और तब से अब तक यह स्वयं द्वारा निर्मित प्रतिमा को ही स्थापित करती हैं।
घर के अंदर गमले में ही विसर्जन
सानिध्या शर्मा बताती हैं कि उनकी मां संध्या ने मूर्ति बनाने की प्रेरणा दी थी। सच मानो तो अपने हाथों से बनाई हुई प्रतिमा से बेहद लगाव हो जाता है। यूं कहें कि उस प्रतिमा में जान बस जाती है। इनका कहना है कि गणेश प्रतिमा का विसर्जन हम घर के अंदर एक टब में पानी भरकर उसमें ही करते हैं और उस पानी को फिल घर के गमलों में डाल देते हैं। इस तरह से पवित्रता बनी रहती है। सानिध्या का कहना है कि प्राकृतिक रंगों से हम प्रतिमा को सजाते हैं ताकि पेड़ पौधों को भी नुकसान न हो।
लोग पीओपी नहीं करते पसंद
कलकत्ता के कलाकार विश्वजीत पाल से नईदुनिया ने बात की तो उनका कहना था कि अब लोग मिट्टी की प्रतिमा ही बनाने का आर्डर देते हैं। पीओपी की प्रतिमा को लोग नकार रहे हैं और यह सही भी है। विश्वजीत का कहना है कि इस बार मैंने 20 से अधिक बड़ी प्रतिमाओं का निर्माण किया है जिसमें पुआल मिट्टी और लकड़ी का उपयोग किया है। साथ ही प्राकृतिक रंगों से सजावट की है।
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