जबलपुर। जेडीए (जबलपुर विकास प्राधिकरण) में व्याप्त गड़बड़ी थमने का नाम नहीं ले रही है। ऐसा ही एक गड़बड़झाला सामने आया है। जिसमें जेडीए ने स्कीम नंबर 11 शताब्दीपुरम में संपत्ति क्रमांक 55 और 56 में दो-दो हजार से ज्यादा वर्गफीट के भूखंड 39- 39 लाख रुपये में बेचने के लिए आनलाइन बोली लगाई। इस बोली में यथास्थिति यानी भूखंड में अतिक्रमण होने की जानकारी भी समाहित की गई।
अधिकांश खरीदार भूखंड में अतिक्रमण होने से बोली लगाने से पीछे हट गए। जबकि जो बड़े व्यापारी व कारोबारी थे। उन्होंने तय समय सीमा के पहले ही आवेदन कर दिए क्योंकि आवेदन करने की अवधि 31 जुलाई से 28 अगस्त तक यानी सोमवार तक की नियत थी। बिड (वह राशि है जो खरीदार किसी सुरक्षा के लिए भुगतान करने को तैयार है) डालने की अंतिम मियाद 29 अगस्त 2023 तक रखी गई।
उन्हें पता था…
उन्हें पता था कि ये फायदे का सौदा है जेडीए आज नहीं तो कल अतिक्रमण हटा ही देगा नहीं भी हटाएगा तो वे हटाने सक्षम है। हालांकि ये गड़बड़ी पहले ही सामने आ गई। अब जब बोली लगाने यानी आवेदन करने की मियाद खत्म हो चुकी है तब जेडीए इसे त्रुटि बताकर पल्ला झाड़ रहा है।
जानकार बोले कहीं षड़यंत्र तो नहीं
जानकार जेडीए के क्रियाकलापों को करीब से जानने वाले इसे षड़यंत्र से जोड़कर देख रहे हैं। उनका कहना है कि शताब्दीपुरम क्षेत्र की जमीन की कीमत वर्तमान में कहीं अधिक है। लेकिन जेडीए 2324 वर्गफीट के दो-दो भूखंड महज 39-39 लाख रुपये में बेच रहा है। उसमें भी ये शर्त जोड़ दी कि उक्त प्लाट में अतिक्रमण है, मसलन खरीदने वाले को स्वयं हटाना पड़ेगा। कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने की नियत से कीमती जमीन को खुर्दबुर्द करने का षडयंत्र भी हो सकता है। ताकि कम आय वर्ग के लोग अतिक्रमण के चक्कर में भूखंड न खरीदें और साठगांठ कर लोगों को भूखंड बेच दिए जाएं।
नवागत साहब ने भी नहीं दिया ध्यान
अपनी कार्यप्रणाली को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाले जेडीए में नए सीईओ ने 15 दिन पहले ही आमद दी है। लिहाजा वे भी जेडीए के अधिकारी, कर्मचारियों के क्रियाकलाप से वाकिफ नहीं है। उन्हें भी इस त्रुटि या यूं कहे जानबूझ कर की गई गलती पर ध्यान नही दिया और मामला भोपाल तक पहुंच गया।
भोपाल में उठा मामला तब लिया यू-टर्न
दरअसल जेडीए द्वारा की गई इस कारस्तानी का मामला भोपाल में उठा। पूर्व वित्त मंत्री व जबलपुर के पश्चिम क्षेत्र के विधायक तरूण भनोत ने भोपाल में जेडीए की कारस्तानी उजागर की और अतिक्रमण सहित भूखंड की नीलामी करने पर सवाल उठाए थे। हुआ ये कि सोमवार को जेडीए ने यूटर्न लेते हुए इसे त्रुटिवश प्रकाशित होना बता दिया।
जेडीए सीईओ बोले-नियमानुसार भूखंड या भवनों का कब्जा देते हैं
जेडीए सीईओ दीपक कुमार वैद्य बोले- जेडीए कोई भी भूखंड या संपत्ति का विक्रय करता है उसमें किसी तरह के अतिक्रमण नही हाेते। नियमानुसार ही भूखंड या भवनों का कब्जा देते हैं। जो आफर पत्र जारी किया उसमें यथास्थिति प्रकाशित किया जाना था जो त्रुटिवश अतिक्रमण सहित प्रकाशित हो गया।
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