पूर्व मंत्री जुगल किशोर बागरी की बहू ने रोते हुए वापस लिया था नामांकन, अब पति के साथ बीजेपी को दिया बड़ा झटका
पूर्व मंत्री जुगल किशोर बागरी की बहू ने रोते हुए वापस लिया था नामांकन, अब पति के साथ बीजेपी को दिया बड़ा झटका
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। इसी बीच बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। पूर्व विधायक और मंत्री स्वर्गीय जुगल किशोर बागरी के छोटे बेटे देवराज बागरी और बहू वंदना बागरी ने बड़ा फैसला लिया है।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच विंध्य के सतना जिले में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है। बागरी समाज के नेता और रैगांव विधानसभा सीट से 5 बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री स्वर्गीय जुगल किशोर बागरी के परिवार ने बड़ा झटका दिया है। छोटे बेटे देवराज बागरी और बहू वंदना बागरी ने बीजेपी को अलविदा कह दिया है। दोनों कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। देवराज और वंदना दोनो ही सतना जिला पंचायत के सदस्य रह चुके हैं।
24 अगस्त गुरुवार को देवराज और वंदना ने भोपाल में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के हाथों कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली है। बीजेपी को अलविदा कह कर कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा राजनीतिक गलियारे में जोरों पर है। वहीं, बीजेपी पदाधिकारियों से उनकी नाराजगी पिछले विधानसभा उपचुनाव के दौरान से ही चल रही थी।
रैगांव विधानसभा में हुए 2018 के उपचुनाव के समय भी स्वर्गीय पूर्व मंत्री जुगल किशोर बागरी के बड़े बेटे पुष्पराज बागरी, छोटा बेटा देवराज बागरी और छोटी बहू वंदना बागरी ये सभी उपचुनाव विधानसभा की प्रबल दावेदार थे। वंदना बागरी ने तो विधानसभा उपचुनाव के प्रत्याशी के लिए पर्चा भी भर दिया था। लेकिन बा में उन्होंने अपना पर्चा वापस ले लिया था । वंदना बागरी का ज प्रमाण पत्र का मुद्दा भी उस समय सुर्खियों में था। मायके पक्ष उनकी जाति एससी रिजर्व नहीं मानी गई थी। लिहाजा जिला प्रशासन सतना ने सतना से बना उनका एससी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया था। हालांकि मामला न्यायालय में भी पहुंचा था।
रैगांव की राजनीति में बागरी परिवार का प्रभाव रहा है। जुगल किशोर यहां से लगातार चुनाव जीते थे। साल 2013 के विधानसभा चुनाव में जुगल किशोर की जगह उनके बड़े बेटे पुष्पराज बागरी को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था।
बीजेपी विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन से खाली हुई इस
सीट पर बीजेपी ने उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट नहीं दिया था। जुगल किशोर बागरी के परिवार से किसी को टिकट देने की बजाए पार्टी ने प्रतिमा बागरी पर विश्वास जताया। बीजेपी को इसी का नुकसान उठाना पड़ा है।