द्रयान-3 अब चंद्रमा पर उतरने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसरो ने रविवार को आधिकारिक घोषणा करते हुए बताया कि चंद्रयान-3, बुधवार 23 अगस्त को भारतीय समय के अनुसार लगभग 18:04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। इसरो चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास कर रहा है। इसमें कामयाबी मिलते ही भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इसके लैंडिग की लाइव तस्वीरें इसरो वेबसाइट, इसके यूट्यूब चैनल, फेसबुक और डीडी नेशनल टीवी पर 23 अगस्त की शाम 17:27 बजे से उपलब्ध होंगी।
TimeLine: चंद्रयान-3 का सफर
जुलाई 14, 2023 – चंद्रयान-3 को एलवीएम3 एम4 रॉकेट के जरिए सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। चंद्रयान-3 ने अपनी सटीक कक्षा में चंद्रमा की यात्रा शुरू कर दी। अंतरिक्ष यान के सभी फंक्शन सामान्य है।
जुलाई 15, 2023 – इस्ट्रैक/इसरो, बेंगलुरु से चंद्रयान का पहला कक्षा-उन्नयन (orbit-raising maneuver) सफलतापूर्वक किया गया है। अंतरिक्ष यान अब 41762 किमी x 173 किमी कक्षा में पहुंच गया।
जुलाई 17, 2023 – दूसरा कक्षा-उन्नयन युक्तिचालन (orbit-raising maneuver) भी सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। अंतरिक्ष यान अब 41603 किमी x 226 किमी कक्षा में पहुंचा।
जुलाई 22, 2023 – अगला कक्षा-उन्नयन युक्तिचालन (orbit-raising maneuver) सफलतापूर्वक पूरा हुआ। अंतरिक्ष यान अब 71351 किमी x 233 किमी कक्षा में पहुंचा।
अगस्त 01, 2023 – अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर कक्षा (translunar orbit) में स्थापित किया गया। अब ये 288 किमी x 369328 किमी कक्षा में पहुंच गया।
अगस्त 05, 2023 – चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया। पूर्वनियोजित कार्यक्रम के मुताबिक अब चंद्रयान 164 किमी x 18074 किमी कक्षा में पहुंच गया।
अगस्त 06, 2023 – एलबीएन#2 (LBN#2) चरण सफलतापूर्वक पूरा हुआ। इसके साथ ही अंतरिक्ष यान चंद्रमा के चारों ओर 170 किमी x 4313 किमी की कक्षा में घूमने लगा।
अगस्त 09, 2023 – इसरो के एक सफल युक्तिचालन (maneuver) के बाद चंद्रयान -3 की कक्षा घटकर 174 किमी x 1437 किमी हो गई।
अगस्त 16, 2023 – इसकी गति कम करने एक और सफल युक्तिचालन के बाद अंतरिक्ष यान 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में पहुंच गया।
अगस्त 17, 2023 – अंतरिक्ष यान का ‘विक्रम’ लैंडर माड्यूल सफलतापूर्वक नोदन मॉड्यूल (Propulsion Module) से अलग हुआ।
अगस्त 20, 2023 – एक और गति कम करने के प्रयास (de-boosting) के बाद लैंडर मॉड्यूल के चंद्रमा का धरातल पर उतरने की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई।
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