बिलासपुर। नियम विरुद्ध किए गए संलग्नीकरण आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया था। कोर्ट के निर्देश के बाद विभाग ने जारी आदेश को निरस्त कर दिया। सुनवाई के दौरान उप महाधिवक्ता नेकोर्ट को इसकी जानकारी दी। अधिवक्ता की जानकारी के बाद कोर्ट ने याचिका को निराकृत कर दिया है।
सुरेंद्र टंडन ने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं दुर्गा मेहर के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिाक दायर की थी। दायर याचिका में कहा है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कसडोल में वाहन चालक के पद पर पदस्थ थे। उक्त पदस्थापना के दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) बलौदाबाजार द्वारा एक आदेश जारी कर सामूदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सिमगा में संलग्न कर दिया गया।
मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय हाई कोर्ट के समक्ष पैरवी करते हुए तर्क प्रस्तुत किया कि 25 अप्रैल .2023 को संचालक, स्वास्थ्य विभाग, रायपुर द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के समस्त संभागीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य एवं समस्त सीएमएचओ स्वास्थ्य विभाग को यह आदेश जारी किया गया है कि स्वास्थ्य विभाग के जिन अधिकारियों कर्मचारियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर संलग्न किया गया है यह संलग्नीकरण पूर्ण रूप से अवैध है एवं समस्त संलग्नीकरण आदेश को निरस्त किया जाए।
संचालक स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आदेश के बावजूद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, बलौदाबाजार द्वारा विधि विरूद्ध तरीके से याचिकाकर्ता का संलग्नीकरण आदेश जारी किया गया। मामले की सुनवाई जस्टिस व्यास के सिंगल बेंच में हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया था। रिट याचिका की सुनवाई के दौरान उप महाधिवक्ता ने हाई कोर्ट के समक्ष यह जानकारी दी कि याचिकाकर्ता के विरूद्ध जारी संलग्नीकरण आदेश नियम विरूद्ध होने के कारण निरस्त कर दिया गया है। उप महाधिवक्ता द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर कोर्ट ने याचिका को निराकृत कर दिया है।
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