इंदौर। शनिवार सुबह शहर में बादल छाए रहे और उत्तर पूर्वी हवाएं अधिकतम 32 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चली। सुबह धुंध का असर रहा और न्यूनतम दृश्यता 2000 मीटर तक पहुंची। शनिवार सुबह न्यूनतम तापमान 22.4 डिग्री दर्ज किया गया जो कि सामान्य था, वहीं एयरपोर्ट स्थित वेदर स्टेशन पर स्थित 24 घंटे में 2.5 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। दोपहर करीब सवा 12 बजे को विजय नगर क्षेत्र में बारिश का दौर शुरू हुआ।
गौरतलब है कि स्मार्टफोन सीरियल में इंदौर में अब तक 596 मिलीमीटर वर्षा हो चुकी है हालांकि अगस्त माह में पिछले वर्षों के मुकाबले इस बार कम वर्षा हुई है।
फिर मानसून सक्रिय, प्रदेश में आज झमाझम के आसार
बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र के कारण प्रदेश में शिथिल पड़ा मानसून फिर सक्रिय हो गया है। इसके चलते शुक्रवार से अलग-अलग क्षेत्रों में रुक-रुककर वर्षा का सिलसिला शुरू हो गया है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक वर्षा का दौर अभी जारी रहने की संभावना है। प्रदेश में शनिवार को भी जबलपुर, शहडोल, रीवा, सागर, भोपाल, इंदौर, उज्जैन, नर्मदापुरम, ग्वालियर संभाग के जिलों में रुक-रुककर वर्षा होगी। जबलपुर, सागर, नर्मदापुरम संभाग के जिलों में कहीं-कहीं भारी वर्षा भी हो सकती है।
उधर, शुक्रवार को सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक खजुराहो में 62.4, सिवनी में 38, उमरिया में 37, जबलपुर में 31, पचमढ़ी में 30, सागर में 23, मलाजखंड में 17, भोपाल में 16.7, बैतूल में 14, नरसिंहपुर में 13, रायसेन में आठ, सीधी में छह, मंडला में पांच, नौगांव में चार, नर्मदापुरम में तीन, दमोह में एक मिलीमीटर वर्षा हुई। उज्जैन में बूंदाबांदी हुई।
मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक वर्तमान में बंगाल की खाड़ी में बंगाल एवं उससे लगे उत्तरी ओडिशा के तट पर एक कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। यह मौसम प्रणाली पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा में छत्तीसगढ़ की तरफ आगे बढ़ेगी। पूर्वी उत्तर प्रदेश पर भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है। पंजाब और उसके आसपास एक पश्चिमी विक्षोभ द्रोणिका के रूप में बना हुआ है।
मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि अलग-अलग स्थानों पर सक्रिय इन मौसम प्रणालियों के कारण मानसून फिर सक्रिय हो गया है। विशेषकर पूर्व मप्र में अच्छी वर्षा हो रही है। 24 अगस्त के आसपास बंगाल की खाड़ी में एक अन्य चक्रवात बनने के भी संकेत मिले हैं। इस वजह से रुक-रुककर वर्षा का सिलसिला बना भी रह सकता है। मानसून के सक्रिय होने से किसानों के चेहरे खिल गए हैं। हालांकि, मौसम विज्ञानियों का अनुमान है कि इस बार मानसून की वर्षा सामान्य से कम बनी रह सकती है।
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