भोपाल। शहर से सटे केरवा, कलियासोत, मेंडोरा, संस्कार वैली और जागरण लेकसिटी से सटे जंगल में बाघों की चहल-कदमी एक बार फिर बढ़ गई है। बाघिन टी-123 तो जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी परिसर के अंदर दाखिल हो गई थी। जिसके कारण कुछ छात्रों व सुरक्षा कर्मियों को जान बचाकर भागना पड़ा है। यह घटना शनिवार तड़के करीब पांच बजे की है। जिसके बाद क्षेत्र में वन विभाग ने निगरानी बढ़ा दी है। यह बाघिन टूट तार फेंसिंग से निकलकर बाहर आ गई थी। बाघिन का मूवमेंट यूनिवर्सिटी परिसर में लगे सीटीवीवी कैमरे में कैद हुआ है।
दरअसल भोपाल के कलियासोत डैम के पास जागरण यूनिवर्सिटी में बाघिन टी-123 अंदर प्रवेश कर लिया था। वह शनिवार तड़के 4.53 बजे बाघिन कुलपति के केबिन के बाहर पहुंच गई थी। इससे कर्मचारी दहशत में आ गए। उन्होंने भागकर जान बचाई। पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। बाघिन टी-123 के करीब आठ महीने के चार शावक भी है, जो मां के साथ ही घूमते हैं। उसने कैंपस के बाहर गाय का शिकार भी किया था। वन विभाग एसडीओ आरएस भदौरिया ने बताया कि संभवत: बाघिन शिकार की तलाश में अंदर आ गई। तीन दिन पहले भी उसने एक जंगली जानवर का शिकार किया था। बाघिन के मूवमेंट के बाद से ही वन विभाग का अमला यूनिवर्सिटी के अंदर गश्त कर रहा है। कैंपस की तार फेंसिंग ऊपर-नीचे है। इसलिए प्रबंधन को कहा गया है कि वे फेंसिंग ठीक करवा लें। बाघिन के दो शावक ढाई साल के हो चुके हैं, जो अब अपना क्षेत्र को बढ़ा रहे हैं।
भोज यूनिवर्सिटी परिसर में भी दाखिल हो चुके हैं बाघ
पूर्व की तुलना में बाघों का मूवमेंट शहर के नजदीक तक बढ़ा है। लंबे समय से बाघिन टी-123 व उसके शावक सक्रिय हैं, पूर्व में ये भोज यूनिवर्सिटी परिसर के अंदर भी दाखिल हो चुके हैं। इसके पहले शाहपुरा की आकाशगंगा कालोनी में मोर वन से होते हुए तेंदुए पहुंच गए थे, जिन्होंने बिल्ली पर हमला कर दिया था। लोगों के घरों के गमले टूट गए थे। पूर्व में मेंडोरा के जंगल में एक बाघ ने वनकर्मी नारायण मीणा पर हमला कर दिया था। वह बाघ के सामने आ गया था।
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