नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था यानी जीएसटी के लागू होने के बाद इसमें लगातार बदलाव किए जाते रहे हैं, ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें कंपनियों या अन्य निकायों ने फर्जी बिल लगाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया हो, जीएसटी प्राधिकरण की ओर से इसे दुरुस्त करने के कई प्रयास किए गए हैं, हालांकि इसके बाद भी जीएसटी चोरी के मामले सामने आते रहते हैं, अब इस दिशा में और सख्ती की तैयारी चल रही है, वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने इस संबंध में कर अधिकारियों को साफ निर्देश दिया है, वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने शनिवार को केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीआईसी के अधिकारियों के साथ बैठक की, बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान में बताया गया कि वित्त मंत्री ने फेक बिलिंग और इनपुट टैक्स क्रेडिट के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम को तेज करने के लिए कहा, उन्होंने कहा कि पहले से जो ऐसे मामले सामने आए हैं, सीबीआईसी उनका अध्ययन करे और उसके आधार पर मूल कारण का पता लगाए, उन्होंने सीबीआईसी अधिकारियों को कहा कि विस्तार से अध्ययन करने के बाद वे इस ट्रेंड पर लगाम लगाने के लिए तकनीक पर आधारित समाधानों का सुझाव दें, वित्त मंत्री सीतारामन ने करदाताओं का आधार बढ़ाने में भी तकनीक की मदद लेने पर जोर दिया, उन्होंने कहा कि तकनीक का इस्तेमाल कर टैक्सपेयर्स बेस को बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए, इसके लिए एक एक्शन प्लान बनाने की जरूरत पर उन्होंने बल दिया, इसके साथ ही वित्त मंत्री ने सीबीआईसी को इस बात का भी निर्देश दिया कि अगले सप्ताह तक ऑटोमेटेड जीएसटी रिटर्न स्क्रूटनी को पेश कर दिया जाए, बैठक के दौरान वित्त मंत्री को बताया गया कि अंतिम समीक्षा के बाद 2022-23 में अप्रत्यक्ष करों का कुल संग्रह 13.82 लाख करोड़ रुपये रहा है, यह इससे एक साल पहले यानी वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में ठीक-ठाक बढ़ोतरी है, वित्त वर्ष 2021-22 में अप्रत्यक्ष करों का कुल संग्रह 12.89 लाख करोड़ रुपये रहा था, जीएसटी को लेकर उन्होंने वित्त मंत्री को बताया कि 2022-23 के दौरान औसत मासिक संग्रह 1.51 लाख करोड़ रुपये रहा है, वहीं लगातार 12 महीने जीएसटी कलेक्शन 1.4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहा है, बैठक में वित्त मंत्री ने सीबीआईसी को कर्मचारियों के कल्याण, कैडर की पुनर्संरचना, कैपेसिटी बिल्डिंग एंड ट्रेनिंग, समय पर पदोन्नति और अनुशासन से संबंधित मामलों में समय पर प्रभावी कदम उठाने का भी निर्देश दिया, उन्होंने इस दौरान ट्रेड फैसिलिटेशन, टैक्स पेयर सर्विसेज, व्यापार संबंधी शिकायतों के निपटान और बुनियादी संरचना परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की।