नहीं निकलेगी टोरी कॉर्नर की गेर:सड़क की खुदाई बनी परेशानी का कारण, प्रशासन से नहीं बैठा तालमेल
रंगपंचमी की गेर में कई दशकों से अपना अलग स्थान बनाकर लोगों को रंगों में भिगोने वाली टोरी कॉनर्र की गेर इस बार नहीं निकलेगी। पारंपरिक गेर मार्ग के बीच खुदाई और प्रशासन से तालमेल नहीं बैठने के साथ ही अपने निजी और व्यक्तिगत कारणों को लेकर गेर संचालक शेखर गिरी ने गेर नहीं निकालने का फैसला लिया है। यह लगातार तीसरा वर्ष होगा जब जोर शोर से निकलने वाली गेर में टोरी कॉर्नर की गेर नहीं होगी। पूरे लवाजमे के साथ निकलने वाली इस गेर के शामिल नहीं होने से संभव है कि इस बार गेर के उत्साह में कमी आएगी।
परंपरागत गेर मार्ग में आधा किमी की खुदाई होने के कारण इस बार जिला प्रशासन ने सभी गेर संचालकों के साथ एक बैठक की थी। इस बार गेर लोहार पट्टी से होकर सराफा, राजबाडा होते हुए उसी मार्ग से लौटने का तय किया गया। इसमें हिन्द रक्षक फाग यात्रा, रसिया कॉर्नर, मॉरल क्लब, संगम गेर के संचालकों ने अपनी सहमति दी है। जबकि टोरी कॉर्नर गेर संचालक गिरी इस रुट से सहमत नहीं है।
गेर में रहते हैं कई वाहन, जगह उपयुक्त नहीं
उनका कहना है कि प्रशासन ने जो रुट तय किया है उसमें उनकी पारंपरिक गेर निकलना संभव ही नहीं है। क्योंकि यह गेर काफी लंबी होती है। इसमें दो बड़े टैंकर, दो डीजे की गाडियां, चार ट्रेक्टर, आयशर सहित कई वाहनों के साथ हजारों लोग साथ चलते हैं। जिसमें काफी जगह लगती है। लोहार पट्टी वाले रोड पर यह संभव ही नहीं है। क्योंकि प्रशासन ने गेर का आखिरी वाहन गोराकुंड पर रहने की शर्त रखी है। गिरी का कहना है कि हमने छोटा गणपति से गोराकुंड, राजबाडा का विकल्प दिया था लेकिन मार्ग में काफी गड्ढे खुदे हैं। प्रशासन ने यह विकल्प दिया है कि गोराकुंड, राजबाडा रुट से उक्त गेर निकाले लेकिन लंबाई ज्यादा होने से यह व्यवहारिक नहीं है।
गेर की परम्परा राजनीति से परे, लेकिन अब ऐसा नहीं
गिरी के मुताबिक शनिवार को यह निर्णय लिया गया है कि इस बार गेर नहीं निकाली जाएगी। उनका आरोप है कि गेर की परम्परा राजनीति से परे रही है। लेकिन इस बार टोरी कॉर्नर की गेर को कांग्रेस समर्थित मानकर अनुमति नहीं दी गई। उधर, प्रशासन का कहना है कि इस बार परम्परागत रुट से गेर निकालना संभव ही नहीं है, क्योंकि काफी हिस्सा खुदा हुआ है।