सिंघाड़ों में भी मिलावट! बिगाड़ सकता है सेहत, जरा संभलकर खाएं मध्यप्रदेश By Nayan Datt On Nov 14, 2025 भोपाल: सर्दियां शुरू होने के साथ ही सिंघाड़ों की भी मांग बढ़ जाती है. सिंघाड़े को विटामिन और मिनरल्स का अच्छा स्त्रोत माना जाता है. इस वजह से लोग इसे खूब चाव से खाते हैं. राजधानी भोपाल में ही हर दिन करीबन 20 टन सिंघाड़ों की बिक्री हर रोज हो जाती है, लेकिन सिंघाड़े खरीदते समय एक सवाल मन में हमेशा उठता है कि आमतौर पर उबले हुए सिंघाड़े काले कैसे हो जाते हैं. सिंघाड़ों को काला रंग देने के लिए ऐसा खाद्य पदार्थ मिलाया जा हरा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और लोगों की सेहत पर असर डालता है, लेकिन इसके बाद भी अब तक प्रशासन इससे अंजान है. यह भी पढ़ें बिरसा मुंडा जयंती पर मध्य प्रदेश में बनेगा नया इतिहास,… Nov 14, 2025 दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे पर रफ्तार का कहर, रतलाम में खाई… Nov 14, 2025 काला करने मिलाया जा रहा विषाक्त पदार्थ भोपाल कोहेफिजा थाने के पास महेश विश्वकर्मा हाथ ठेले पर सिंघाड़े बेचते हैं. वे बताते हैं कि सर्दियों में सिंघाड़े की अच्छी बिक्री होती है, इसलिए तीन महीनों के दौरान वे सिंघाड़े ही बेचते हैं. कच्चे सिंघाड़े से ज्यादा मांग उबले हुए सिंघाड़ों की होती है. जब उनसे सवाल किया गया कि कच्चे सिंघाड़े हरे और लाल होते हैं, तो फिर उबले हुए काले कैसे हो जाते हैं? वे बताते हैं कि इन सिंघाड़ों को उबालते समय इसमें एक पदार्थ मिलाया जाता है. जिसे हम लोग कसीस बोलते हैं. यह भी हर जगह नहीं मिलता. पुराने शहर की कुछ दुकानों पर ही यह मिलता है. जब उनसे पूछा गया कि यह हानिकारक तो नहीं है, तो महेश कहते हैं कि वह तो सालों से इसको डालकर उबालते आ रहे हैं, कभी कोई नुकसान नहीं हुआ. सिंघाड़े में डाला जा रहा हरा कसीस महेश जिस कसीस का जिक्र कर रहे हैं, उसको हरा कसीस कहा और अंग्रेजी में ग्रीन विटरोल कहा जाता है. इसका रासायनिक नाम फेरस सल्फेट होता है. आमतौर पर इसका उपयोग औद्योगिक, बागवानी में किया जाता है, लेकिन इसे किसी खाद्य पदार्थ में मिलाना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है. आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. राहुल जैन बताते हैं “हरा कासीस को विषाक्त पदार्थ माना जाता है, आयुर्वेद में इसको दवा के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन इसके पहले शोधन किया जाता है और इसके बाद भस्म बनाने के लिए इसे पकाया जाता है. इस शोधन की प्रक्रिया में करीबन 3 महीने का समय लगता है. इसके बाद ही इसका मेडिसिन में उपयोग किया जाता है. शोधित होने के बाद यह दवा है और सीधे पेट में जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. सीधे किसी खाद्य पदार्थ में डालने और खाद्य पदार्थ को खाने से पेट से जुड़ी गंभीर बीमारी का खतरा पैदा हो सकता है. डॉक्टर के मुताबिक यदि इसे डालकर सिंघाडे़ को उबाला जा रहा है, तो इसी वजह से सिंघाड़े का कलर काला हो जाता है, बाद में इन्हें खाते समय यह भी खरीद के अंदर जाता है, जो हानिकारक हो सकता है.” घर पर उबालकर खाना बेहतर विकल्प डायटीशियन डॉ. अमिता सिंह कहती हैं कि “फेरस सल्फेट एक आयरल सप्लीमेंट की तरह उपयोग किया जाता है, लेकिन जब इसे सीधे खाद्य पदार्थ के साथ पेट में पहुंचता है, तो पेट की समस्या काफी बढ़ा सकता है. इसकी वजह से पाचन तंत्र पर असर पड़ सकता है. इसके अलावा फेरस सल्फेट को खाद्य पदार्थ में मिलाने से उसके पोषक तत्व कम हो जाते हैं. इस वजह से ऐसे सिंघाड़े खाने से जो फायदे मिलने चाहिए, वह नहीं मिल पाते.डायटीशियन के मुताबक बेहतर होगा कि बाजार में फेरस सल्फेट से उबाले जाने वाले सिंघाड़े को बचें तो बेहतर होगा, इसके स्थान पर कच्चे सिंघाड़े को लेकर घर में उबालकर खा सकते हैं. उबले हुए सिंघाड़े को अच्छी तरह से धोकर खाएं. सिंघाड़े में कई विटामिन्स का होता है भंडार डायटीशिन के मुताबिक सिंघाड़े में विटामिन्स और मिनरल्स की अच्छी मात्रा होती है. सिंघाड़े में विटामिन बी-6, फाइबर, पोटैशियम के अलावा इसमें भरपूर एंटीऑक्सीडेंटस होता है. यह हार्ट हेल्थ के लिए बेहतर माने जाते हैं. इसको खाने से ब्लड प्रेशर में कमी लाने में मदद मिलती है और बेड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी यह कम करता है. इसमें पाए जाने वाले बी-6 विटामिन स्ट्रेस के स्तर को कम करने में मददगार होता है और इससे अच्छी नींद आती है. इसमें एंटी ऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो शरीर को रोगों से लड़ने के लिए मजबूत बनाता है और यह फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करते हैं. सिंघाड़े में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, इस वजह से यह पेट को लंबे समय तक भरा रखते हैं. 100 ग्राम सिंघाड़े में सिर्फ 97 कैलोरी होती है. फैट की मात्रा भी बेहद कम होती है, लो कैलोरी डाइट के दौरान इसे खाना फायदेमंद होता है. Share